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अंतर्राष्ट्रीय

अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन और फर्स्ट लेडी जिल बाइडेन ने PM नरेंद्र मोदी के लिए व्हाइट हाउस में स्टेट डिनर रखा।

 PM नरेंद्र मोदी के लिए व्हाइट हाउस में स्टेट डिनर रखा। मोदी का अमेरिका दौरे का यह तीसरा दिन था। इस मौके पर उन्होंने डिनर के लिए आभार जताया।

उन्होंने कहा, ‘खास सत्कार के लिए मैं दिल से आभारी हूं। मैंने देखा है कि मेहमाननवाजी से प्रभावित होकर कई बार लोग गाना भी गाने लगते हैं। काश! मुझमें भी गाने की कला होती तो मैं भी गाना सुनाता। भारतीय मूल के लोग हर क्षेत्र में आगे बढ़ रहे हैं। धीरे-धीरे दोनों देशों के लोग एक-दूसरे को बेहतर समझ रहे हैं।’

मोदी और बाइडेन ने दोनों देशों की पार्टनरशिप, दोस्ती, दो महान देशों के विकास, साझेदारी के लिए टोस्ट किया। मोदी ने इस दौरान जिंजर एल पिया। इसमें फर्स्ट लेडी जिल बाइडेन समेत 200 गेस्ट मौजूद रहे।

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गर्मी की मारी बेचारी मछलियां

वॉशिंगटन। अमेरिका के टेक्सास राज्य में लाखों मछलियां समुद्र के किनारे मरी हुई मिली हैं। मामला क्विंटाना बीच का है। अधिकारियों के मुताबिक इन मछलियां की मौत तापमान बढ़ने के चलते पानी में सांस नहीं ले पाने के कारण हुई। मछलियों को सांस लेना मुश्किल होता है और वो मर जाती हैं। ज्यादातर मछलियां मैनहेडन प्रजाति की हैं।

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भारत को दो दिन में दो झटके!: पहली बार तेल की खेप भेजने के बाद रूस बोला- पाकिस्तान से संबंध बढ़ाना चाहते हैं

रूस के विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव के बयान ने मॉस्को-दिल्ली के रिश्तों को लेकर भारत की चिंता बढ़ा दी है। लावरोव ने कहा कि रूस आगे भी पाकिस्तान के साथ द्विपक्षीय संबंध बढ़ाने पर जोर देगा।

रूस और यूक्रेन युद्ध के बीच लगातार बदलती वैश्विक परिस्थितियों का असर अब एशिया और हिंद प्रशांत क्षेत्र में भी दिखने लगा है। खासकर भारत के कुछ देशों से रिश्तों में तेजी से बदलाव देखा जा रहा है। जहां एक तरफ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अगले हफ्ते अमेरिका के पहले राजकीय दौरे पर जाएंगे, वहीं दूसरी तरफ रूस ने पहली बार कच्चे तेल की खेप पाकिस्तान को भेज कर अपने रिश्तों की नई इबारत लिख दी है। इतना ही नहीं अब तक भारत के साथ रिश्तों की मिसाल देने वाले रूस ने अब पाकिस्तान के साथ रिश्ते बढ़ाने में भी दिलचस्पी दिखाई है, जो कि भारत के लिए किसी बड़े झटके से कम नहीं है। 

रूस को लेकर क्या हैं भारत के लिए बड़े झटके की बात?
गौरतलब है कि सोमवार को ही रूस से सस्ते कच्चे तेल की पहली खेप कराची बंदरगाह पहुंची थी। भारत के लिए इसे एक बड़े झटके के तौर पर देखा जा रहा है, क्योंकि रूस और भारत के संबंध मजबूत रहे हैं और वाणिज्यिक तौर पर मॉस्को और इस्लामाबाद काफी करीब नहीं रहे। हालांकि, चीन के कहने पर अब रूस ने पाकिस्तान को भी कच्चे तेल की खेप भेजी है, जो कि भारत के हितों के लिए चुनौती पेश करने वाली बात है। 

विदेश मंत्री के बयान ने बढ़ाई भारत की चिंता
इस बीच मंगलवार को रूस के विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव के बयान ने मॉस्को-दिल्ली के रिश्तों को लेकर भारत की चिंता बढ़ा दी है। लावरोव ने कहा कि रूस आगे भी पाकिस्तान के साथ द्विपक्षीय संबंध बढ़ाने पर जोर देगा। लावरोव का यह बयान पाकिस्तान और रूस के बीच राजनयिक संबंधों की स्थापना के 75 साल पूरे होने के मौके पर आया। उन्होंने कहा कि रूस ने पाकिस्तान को हमेशा आतंकवाद और सुरक्षा चुनौतियों का सामना करने के लिए एक अहम अंतरराष्ट्रीय साझेदार के तौर पर देखा है।

लावरोव ने आगे कहा, “हम जानते हैं कि रूस और राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के लिए पाकिस्तानियों में काफी रुचि और सम्मान है।” उन्होंने कहा कि पिछली सदी के तीन-चौथाई काल में हमारे द्विपक्षीय संबंधों ने कई उतार-चढ़ाव देखे। रूस हमेशा से पाकिस्तान के साथ संबंध बढ़ाना चाहता है और हम कभी अपनी प्रतिबद्धताओं से पीछे नहीं हटे।

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आइंस्टीन से ज्यादा IQ वाले क्रिमिनल की मौत, FBI 20 साल तलाशती रही

अमेरिका के बर्कले यूनिवर्सिटी में महज 25 साल की उम्र में एक नौजवान असिस्टेंट प्रोफेसर बना। इसका कद स्कोर 167 था, जो मशहूर साइंटिस्ट अल्बर्ट आइंस्टीन से भी 7 पॉइंट ज्यादा था। एक रोज अचानक ये प्रोफेसर अपनी नौकरी छोड़कर गायब हो गया।
अगले 17 साल तक ये शख्स अमेरिका के अलग-अलग हिस्सों में छोटे-बड़े धमाके करता है। अमेरिकी सुरक्षा एजेंसी ऋइक को इसे पकड़ने के लिए सबसे खर्चीला आॅपरेशन चलाना पड़ा। 20 साल की मशक्कत के बाद ये प्रोफेसर जंगल में एक झोपड़ी से पकड़ा गया और तब से जेल में सजा काट रहा था।
शनिवार यानी 10 जून को नॉर्थ कैरोलिना की जेल में 81 साल के इस शख्स की मौत हो गई।
अमेरिका के शिकागो शहर में थियोडोर रिचर्ड कजिंस्की नाम के एक बिजनेसमैन थे। 22 मई 1942 को उनकी पत्नी वांडा कजिंस्की ने एक बच्चे को जन्म दिया। इस बच्चे का नाम रखा गया- टेड कजिंस्की।
टेड ने हाई स्कूल तक की पढ़ाई शिकागो से की। वह बचपन से ही लोगों से कम बातचीत करता था और खुद में ही मस्त रहता था। एक बार टेड से पिता ने पूछा कि इतने दिनों बाद तुमसे मिलने तुम्हारी चाची आई है। तुम अपनी चाची से बातचीत क्यों नहीं करते हो? इस पर टेड ने जवाब दिया- चाची मेरी बातों को और मुझे समझ ही नहीं पाएंगी तो मैं उनसे क्या बात करूं।
महज 16 साल की उम्र में टेड कजिंस्की को हार्वर्ड यूनिवर्सिटी से स्कॉलरशिप मिल गई। यहां से बैचलर करने के बाद टेड ने आगे की पढ़ाई मिशिगन यूनिवर्सिटी से पूरी की। ऐसा कहा जाता है कि टेड से पीएचडी की परीक्षा में जो सवाल पूछे गए थे, वो उसके लिए बेहद आसान थे।
उसने ऐसा रिसर्च पेपर लिखा कि उसके कई प्रोफेसर भी नहीं समझ पाए। पूरे अमेरिका में उसके रिसर्च को समझने वाले सिर्फ 10 से 12 लोग ही थे। टेड कजिंस्की ने 1969 में कैलिफोर्निया के बर्कले यूनिवर्सिटी में असिस्टेंट प्रोफेसर के तौर पर नौकरी शुरू की। तब उसकी उम्र महज 25 साल थी। कुछ समय तक नौकरी करने के बाद एक रोज अचानक टेड ने इस्तीफा दे दिया। 1971 में नौकरी छोड़ने के बाद टेड कजिंस्की, लिंकन शहर के एक जंगल में झोपड़ी बनाकर रहने लगा। उसके इस फैसले से न सिर्फ उसका परिवार, बल्कि हर कोई दंग रह गया। टेड ने ऐसा फैसला क्यों लिया, ये किसी को पता नहीं था। अमेरिका की टॉप यूनिवर्सिटी में पढ़ाने वाला प्रोफेसर अब अच्छी सैलरी वाली नौकरी छोड़कर ऐसे जंगल में रह रहा था, जहां बिजली-पानी कुछ भी नहीं था।

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बॉथरूम-स्टोर रूम में छिपाए थे ट्रम्प ने खुफिया डॉक्यूमेंट्स

वॉशिंगटन, एजेंसी
अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के खिलाफ सीक्रेट्स डॉक्यूमेंट्स केस में लगाए गए 37 आरोप शुक्रवार को सार्वजनिक कर दिए गए। इनमें से 31 चार्ज राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़े दस्तावेजों को जान-बूझकर अपने पास रखने के हैं। इसके अलावा उन पर झूठे बयान देने, डॉक्यूमेंट्स होने की बात छिपाने, न्याय में बाधा डालने जैसे आरोप लगाए गए हैं।
बीबीसी के मुताबिक 49 पेज के आरोप पत्र में बताया गया है कि ट्रम्प ने ये डॉक्यूमेंट्स अपने बॉथरूम, बॉथरूम शावर की जगह पर, आॅफिस, स्टोर रूम और बेडरूम में छिपाए थे। प्रॉसिक्यूटर्स ने ये भी कहा कि एफबीआई की जांच में बाधा डालने के लिए ट्रम्प ने अपने वकीलों को फाइलें छिपाने या नष्ट करने का आदेश दिया था। अमेरिका के इतिहास में ये पहला मौका है, जब किसी पूर्व राष्ट्रपति पर फेडरल चार्ज लगाए गए हैं। हालांकि ट्रम्प पर लगे आरोपों के बावजूद राष्ट्रपति चुनाव के लिए उनकी दावेदारी पर कोई कानूनी खतरा नहीं होगा। अगर उन्हें सजा हो जाए, तब भी कानूनी तौर पर वे राष्ट्रपति का चुनाव लड़ पाएंगे।

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