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इंदौर

सिंगापुर घूमने गए इंदौर के व्यापारी की पत्नी क्रूज से गिरी, मौत

हिन्दुस्तान मेल, इंदौर। इंदौर के होटल व्यापारी जाकेश साहनी की पत्नी रीता सिंगापुर में क्रूज से गिर गईं। समुद्र में डूबने से उनकी मौत हो गई। वे पति के साथ अपना जन्मदिन मनाने के लिए मलेशिया और सिंगापुर घूमने गई थीं। रीता साहनी (64) और उनके पति जाकेश साहनी (70) सिंगापुर में स्पेक्ट्रम आॅफ द सीज क्रूज से पेनांग से सिंगापुर लौट रहे थे। रीता का जन्मदिन मनाने के बाद वे अपने रूम में जाकर सो गए। जाकेश जब सोकर उठे तो पत्नी रीता लापता थीं। उन्होंने क्रूज में पत्नी की तलाश की लेकिन कुछ पता नहीं चला। इसके बाद क्रूज स्टाफ को सूचना दी। क्रूज के स्टाफ ने रीता को ढूंढने की कोशिश की। इस दौरान पता लगा कि क्रूज से समुद्र में कुछ गिरा है, लेकिन क्या रीता ही समुद्र में गिरी हैं, ये कंफर्म नहीं हो पाया था। आॅस्ट्रेलिया में रह रहे बेटे अपूर्व ने ट्वीट कर भारत में प्रधानमंत्री कार्यालय और विदेश मंत्रालय से मां को ढूंढने के लिए मदद मांगी थी।

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सारे मुख्य मार्ग गड्ढों में बदल गए

शहर में बारिश ने जुलाई माह का पिछला रिकॉर्ड तोड़ा है तो इस बारिश में शहर की तमाम सड़कों को गड्ढों में भी तब्दील कर दिया। उन इलाकों में हालत अधिक खराब है, जहां निरंतर वाहनों का दवाब बना रहता है। बायपास और रिंग रोड को जोड़ने वाले मार्गों पर इस कदर गड्ढे हैं कि भारी वाहन भी हिचकोले लेते चलते हैं और अन्य वाहन चालक इनसे बचते बचाते चलते हैं।

इमली बाजार से मरीमाता मार्ग के आधे हिस्से में गड्ढे, निर्माण अधूरा होने से बारिश में मुसीबत बढ़ गई है। अतिक्रमण व बाधक निर्माण हटाने में भी देरी हुई है। जगह-जगह गड्ढे हैं। इससे एमजी रोड और सुभाष मार्ग पर ट्रैफिक का लोड भी कम होगा। भंवरकुआं से तेजाजी नगर सड़क और दूसरी है इमली बाजार से मरीमाता चौराहा तक बनने वाली रोड। दोनों प्रोजेक्ट करीब 6 माह लेट हो चुके हैं। बारिश में अधूरा निर्माण आम लोगों के लिए परेशानी साबित हो रहा है। महापौर यदि अपनी टीम के साथ इन मार्गों का भ्रमण करें, तो ही उन्हें समझ आ सकता है कि वाहन चालक किन परेशानियों का सामना कर रहे हैं। यातायात पुलिस ने भी संज्ञान लेकर नगर निगम को बदहाल सड़कों की जानकारी देने का कोई प्रयास नहीं किया है।

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उत्कृष्ट पत्रकारिता सम्मान समारोह में विधायक चेतन्य काश्यप व अन्य अतिथियों ने पत्रकारों का सम्मान किया

रतलाम वह स्थान, जहां प्रेस क्लब ने रचा अभिनव इतिहास……………

किसी भी प्रेस क्लब का पहला स्थान रतलाम है, जहां प्रेस क्लब चिंतन भी करता है और अपने साथियों का सम्मान भी करता है। यह अभिनव प्रयास है, क्योंकि युवा पत्रकारों को जो अवार्ड मिले हैं, उनका नाम दिवंगत साथियों की स्मृति में है। कम से कम साल में एक बार हम उनकी स्मृतियों और उनकी मेहनत का भी सम्मान करेंगे।
यह बातें रतलाम विधायक और राज्य योजना आयोग के पूर्व उपाध्यक्ष चैतन्य काश्यप ने रतलाम प्रेस क्लब द्वारा आयोजित उत्कृष्ट पत्रकारिता पुरस्कार समारोह में आतिथ्य प्रदान करते हुए कही। उन्होंने कहा अगली बार से ग्रामीण पत्रकारिता को भी सम्मानित करने की योजना बनाई जाए। प्रेस क्लब ने सामाजिक सरोकार से जुड़ी उनकी खबरों के लिए 11-11 हजार रुपए का नगद पुरस्कार और शील्ड प्रदान की। समारोह में विधायक काश्यप, रतलाम ग्रामीण के विधायक दिलीप मकवाना, डीआईजी मनोज कुमार सिंह, कलेक्टर नरेंद्र कुमार सूर्यवंशी, एसपी सिद्धार्थ बहुगुणा, वरिष्ठ पत्रकार कीर्ति राणा ने पत्रकारों का सम्मान भी किया।
डीआईजी मनोज कुमार सिंह ने कहा कि मेरे 30 साल के पुलिस सेवा अनुभव में रतलाम की पत्रकारिता सर्वश्रेष्ठ है। कलेक्टर नरेंद्र कुमार सूर्यवंशी ने कहा कि रतलाम प्रेस क्लब के पत्रकारों का यह आयोजन न केवल अनूठा रहा बल्कि रतलाम की पत्रकारिता भी बेहद सकारात्मक है। एसपी सिद्धार्थ बहुगुणा ने कहा जितनी जिम्मेदारी प्रशासन और पुलिस की है, उतनी ही पत्रकारों की भी।
चुनौतियों के बीच
जिम्मेदारी का निर्वाह
वरिष्ठ पत्रकार और निर्णायक कीर्ति राणा ने कहा कि डिजिटल पत्रकारिता के सामने आज बहुत चुनौती है। आज जिसके भी हाथ में फोन है, वह पत्रकार है। पहले समाचारों के प्रकाशन के लिए पर्याप्त समय मिलता था जिसमें अध्ययन होता था, लेकिन अब समाचार त्वरित हो गए हैं। इस जिम्मेदारी को निभाते हुए डिजिटल और सभी श्रेणियों के पत्रकार जो काम कर रहे हैं वह प्रशंसनीय है। विशेष आमंत्रित सदस्य नीरज कुमार शुक्ला ने आयोजन में आई प्रविष्ठियों की जानकारी दी। संस्था अध्यक्ष मुकेशपुरी गोस्वामी ने कहा अपने दिवंगत पत्रकारों की स्मृति को जीवित रखने और अपने साथी पत्रकारों को सकारात्मक पत्रकारिता के लिए प्रेरित करेगा।

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बिना जानकारी डेढ़ लाख से ज्यादा का हुआ आॅन लाइन ट्रांजेक्शन

इंदौर। एक आम आदमी अपनी मेहनत से कमाई हुई पाई-पाई जोड़ता है, लेकिन उसके साथ ठगी होने पर उसका विश्वासपात्र बैंक भी उसका साथ नहीं दे तो आप समझ सकते हैं काम के प्रति कितनी ईमानदारी बरती जा रही होगी!
ऐसे ही एक आम आदमी है नवीन परमार, जिनका खाता एसबीआई की बैंक कॉलोनी इंदौर की शाखा में है। परमार के खाते से 18 जून, 2013 से 23 जून, 2013 के बीच किसी ने 1,81,500 रुपए आॅन लाइन निकाल लिए। नवीन परमार ने इसकी सूचना बैंक को लिखित आवेदन के साथ 12 जुलाई, 2013 को दी। बैंक के अधिकारी के कहने पर नवीन परमार द्वारा 15 जुलाई, 2013 को प्राथमिकी भी दर्ज की गई। कुछ महीनों तक इंतजार के बाद जब पैसे खाते में वापस जमा नहीं हुए, तब उन्होंने कई बार बैंक के चक्कर काटे… इस पर बैंक मैनेजर नितिन संघवी ने कहा कि पैसे अब वापस नहीं मिलेंगे। इसके बाद नवीन ने साल 2015 में बैंक को दिनांक 30 अप्रैल, 8 जून और 17 जून को तीन आवेदन दिए। बैंक द्वारा 19 जून को लिखित जवाब दिया गया कि थाने से इस बाबत् कोई निराकरण प्राप्त नहीं हुआ है। इसके बाद परमार ने थाने के भी कई चक्कर लगाए, लेकिन वहां से कोई जवाब प्राप्त नहीं हुआ।
नहीं आया मैसेज… बैंक की गलती
यहां सबसे बड़ी गलती बैंक की है। दरअसल बैंक द्वारा ट्रांजेक्शन का मैसेज परमार के मोबाइल पर नहीं आया था। यदि यह मैसेज आता तो उन्हें तत्काल पता चल जाता कि उनके अकाउंट से पैसे निकाले गए हैं, जबकि उन्हें इस बारे में लगभग एक महीने बाद पता चला, जिसके बाद नवीन परमार ने बैंक और थाने में आवेदन दिए, लेकिन कोई भी कार्रवाई नहीं हुई और परमार लगातार बैंक और थाने के चक्कर काटते रहे। इसी दौरान परमार ने एसबीआई के रीजनल आॅफिस में सुधीर डोशी को सारे प्रमाण सहित एक आवेदन 1 जून, 2019 को दिया, लेकिन डोशी ने आवेदन लेते हुए ना तो रीजनल मैनेजर राजेश चौरे से मिलने दिया और ना ही कोई कार्रवाई की और कहा कि ऐसे पैसे वापस नहीं मिलते हैं।

ख्राताधारक को ही
बताया जिम्मेदार
परमार जून-2019 से लेकर 2022 तक बैंक के धक्के खाते रहे और 2023 में फिर सुधीर डोशी से मिले तो उन्होंने इस घटना की जानकारी से इनकार कर दिया, तब परमार नवनियुक्त रीजनल मैनेजर योगेश चौहान से मिले और सारी बात बताई, किंतु उन्होंने भी डोशी का ही पक्ष लिया और जांच करवाने का भरोसा दिया। उन्होंने पीएस डिपार्टमेंट के सुमित का नंबर दिया, जिसने कॉल पर नवीन परमार को दोबारा से कार्रवाई करने के लिए कहा। इस पर नवीन ने वैसा ही किया। तत्पश्चात जब परमार ने एजीएम नवीन चौहान से बात की, जिन्होंने जांच करवाने का आश्वासन दिया। आखिर में नवीन परमार को बैंक द्वारा लिखित जवाब मिला कि बैंक के नियमानुसार यदि खाताधारक के खाते से आॅनलाइन ट्रांजेक्शन होने के 7 दिन के अंदर बैंक को सूचित नहीं किया जाता है तो उसकी पूरी जिम्मेदारी खाताधारक की होती है, लेकिन जब बैंक द्वारा ही परमार को मैसेज देकर ट्रांजेक्शन की सूचना नहीं दी गई तो वह किस प्रकार अपनी शिकायत 7 दिन के भीतर दर्ज करवा पाते। इस बारे में पीएस डिपार्टमेंट के सुमित का कहना है कि खाताधारक को रोज अपने खाते में पैसे चेक करने चाहिए।

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इंदौर में महीनेभर में 18 इंच बरसा, 10 साल का रिकॉर्ड तोड़ा…….

इंदौर में जुलाई की बारिश ने दस साल का रिकॉर्ड तोड़ दिया है। 2013 के बाद पहली बार इतना पानी बरसा है। इस बार जुलाई में 18 इंच से ज्यादा पानी बरसा, जबकि मानसून लेट था। देखा जाए तो इस बार मानसून का ट्रेंड 2014 जैसा है। तब भी मानसून लेट था और जुलाई में 16 इंच पानी गिरा था। 2013 में ही सबसे ज्यादा 22 इंच पानी गिरा था, लेकिन तब मानसून समय पर था। जुलाई के 31 दिनों में से 27 दिन बारिश होना भी अपने आप में चौंकाने वाला है।
जुलाई इस बार उम्मीद से काफी बेहतर बीता है। बीते 24 घंटे में ही 23 मिलीमीटर यानी 1 इंच के करीब पानी बरस गया। इसे मिलाकर अब तक 18 इंच के करीब बारिश हो चुकी है। 10 साल में यह दूसरा मौका है, जब जुलाई इतना पानीदार रहा है।
मौसम वैज्ञानिकों की मानें तो 5 अगस्त के बाद फिर तेज बारिश हो सकती है। दरअसल, इस बार पानी तो रोज गिर रहा है, लेकिन मूसलधार बारिश एक या दो बार ही हुई है। जिस तरह की बारिश हो रही है, उससे जमीन में पानी रिसने से ग्राउंड वाटर लेवल में सुधार हुआ है। मूसलधार या तेज बारिश कम होने से अभी तक यशवंत सागर डेम सहित अन्य डेम ओवरफ्लो नहीं हुए हैं। यशवंत सागर का एक गेट एक ही बार खुल सका है।
मौसम वैज्ञानिक वेद प्रकाश सिंह के मुताबिक इंदौर में जुलाई माह में बारिश का जो रुख रहा है, उसके लिए मानसून का लेट होना कारण नहीं है। अकसर स्थानीय क्षेत्रों में ही इस तरह के अंतर देखने को मिलते हैं। इंदौर और देपालपुर में जहां जुलाई में अच्छी बारिश हुई वहीं आसपास के 10-15 किमी के इसी जिले के अन्य क्षेत्रों में कम बारिश हुई। इंदौर में जुलाई में सिर्फ दो बार ही भारी बारिश हुई है। इस बार पश्चिम मप्र के इंदौर, उज्जैन, भोपाल, होशंगाबाद, ग्वालियर व चम्बल संभाग में ऐसे वैरिएशन आए हैं। इन संभागों के जिलों में हर 10-15 किमी पर ऐसा अंतर मिलेगा। इंदौर संभाग में इस बार जुलाई में खंडवा, बुरहानपुर, खरगोन में कम बारिश हुई है, जबकि बड़वानी, आलीराजपुर व धार में सामान्य बारिश हुई। मौसम वैज्ञानिकों के मुताबिक यह इस बात पर निर्भर करता है कि कहां बादल स्ट्रॉन्ग बने और कहां पर कम बने। पिछले साल इंदौर में जुलाई माह में कम बारिश हुई थी, जबकि महू और सांवेर में ज्यादा बारिश हुई थी। अगर पूरे इंदौर जिले की बात करें, तो वह तब भी सामान्य से ज्यादा ही था और इस बार भी है। रेनफॉल में ऐसी असमानता होती ही है, जबकि तापमान में इतनी असमानता नहीं होती। वह नियमित रूप से घटता-बढ़ता है। बारिश में आर्द्रता में यह परिवर्तन जरूर देखने को मिलता है। अगर थोड़ा-थोड़ा पानी भी बरसता रहा तो कोई नुकसान नहीं है।
इंदौर में सामान्यत: बारिश के सीजन का कोटा 38 इंच है। उस लिहाज से जुलाई माह में कुल कोटे की 47% से ज्यादा बारिश हो चुकी है जबकि अभी अगस्त और सितम्बर बाकी हैं।

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