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बिना जानकारी डेढ़ लाख से ज्यादा का हुआ आॅन लाइन ट्रांजेक्शन

इंदौर। एक आम आदमी अपनी मेहनत से कमाई हुई पाई-पाई जोड़ता है, लेकिन उसके साथ ठगी होने पर उसका विश्वासपात्र बैंक भी उसका साथ नहीं दे तो आप समझ सकते हैं काम के प्रति कितनी ईमानदारी बरती जा रही होगी!
ऐसे ही एक आम आदमी है नवीन परमार, जिनका खाता एसबीआई की बैंक कॉलोनी इंदौर की शाखा में है। परमार के खाते से 18 जून, 2013 से 23 जून, 2013 के बीच किसी ने 1,81,500 रुपए आॅन लाइन निकाल लिए। नवीन परमार ने इसकी सूचना बैंक को लिखित आवेदन के साथ 12 जुलाई, 2013 को दी। बैंक के अधिकारी के कहने पर नवीन परमार द्वारा 15 जुलाई, 2013 को प्राथमिकी भी दर्ज की गई। कुछ महीनों तक इंतजार के बाद जब पैसे खाते में वापस जमा नहीं हुए, तब उन्होंने कई बार बैंक के चक्कर काटे… इस पर बैंक मैनेजर नितिन संघवी ने कहा कि पैसे अब वापस नहीं मिलेंगे। इसके बाद नवीन ने साल 2015 में बैंक को दिनांक 30 अप्रैल, 8 जून और 17 जून को तीन आवेदन दिए। बैंक द्वारा 19 जून को लिखित जवाब दिया गया कि थाने से इस बाबत् कोई निराकरण प्राप्त नहीं हुआ है। इसके बाद परमार ने थाने के भी कई चक्कर लगाए, लेकिन वहां से कोई जवाब प्राप्त नहीं हुआ।
नहीं आया मैसेज… बैंक की गलती
यहां सबसे बड़ी गलती बैंक की है। दरअसल बैंक द्वारा ट्रांजेक्शन का मैसेज परमार के मोबाइल पर नहीं आया था। यदि यह मैसेज आता तो उन्हें तत्काल पता चल जाता कि उनके अकाउंट से पैसे निकाले गए हैं, जबकि उन्हें इस बारे में लगभग एक महीने बाद पता चला, जिसके बाद नवीन परमार ने बैंक और थाने में आवेदन दिए, लेकिन कोई भी कार्रवाई नहीं हुई और परमार लगातार बैंक और थाने के चक्कर काटते रहे। इसी दौरान परमार ने एसबीआई के रीजनल आॅफिस में सुधीर डोशी को सारे प्रमाण सहित एक आवेदन 1 जून, 2019 को दिया, लेकिन डोशी ने आवेदन लेते हुए ना तो रीजनल मैनेजर राजेश चौरे से मिलने दिया और ना ही कोई कार्रवाई की और कहा कि ऐसे पैसे वापस नहीं मिलते हैं।

ख्राताधारक को ही
बताया जिम्मेदार
परमार जून-2019 से लेकर 2022 तक बैंक के धक्के खाते रहे और 2023 में फिर सुधीर डोशी से मिले तो उन्होंने इस घटना की जानकारी से इनकार कर दिया, तब परमार नवनियुक्त रीजनल मैनेजर योगेश चौहान से मिले और सारी बात बताई, किंतु उन्होंने भी डोशी का ही पक्ष लिया और जांच करवाने का भरोसा दिया। उन्होंने पीएस डिपार्टमेंट के सुमित का नंबर दिया, जिसने कॉल पर नवीन परमार को दोबारा से कार्रवाई करने के लिए कहा। इस पर नवीन ने वैसा ही किया। तत्पश्चात जब परमार ने एजीएम नवीन चौहान से बात की, जिन्होंने जांच करवाने का आश्वासन दिया। आखिर में नवीन परमार को बैंक द्वारा लिखित जवाब मिला कि बैंक के नियमानुसार यदि खाताधारक के खाते से आॅनलाइन ट्रांजेक्शन होने के 7 दिन के अंदर बैंक को सूचित नहीं किया जाता है तो उसकी पूरी जिम्मेदारी खाताधारक की होती है, लेकिन जब बैंक द्वारा ही परमार को मैसेज देकर ट्रांजेक्शन की सूचना नहीं दी गई तो वह किस प्रकार अपनी शिकायत 7 दिन के भीतर दर्ज करवा पाते। इस बारे में पीएस डिपार्टमेंट के सुमित का कहना है कि खाताधारक को रोज अपने खाते में पैसे चेक करने चाहिए।

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