हिन्दुस्तान मेल, इंदौर अपराध पर लगाम लगाने के लिए पुलिस कमिश्नर संतोष सिंह द्वारा प्रयास तो किया जा रहा है लेकिन कई पुलिस अधिकारी कमिश्नर की इस कोशिश को कमजोर करने में लगे हुए है। पद संभालते ही संतोष सिंह ने अपने-अपने थाना क्षेत्र में चेकिंग और रात्रिकालीन गश्त को लेकर सख्ती दिखाई। जिसमें बड़े अधिकारियों को भी सड़क पर उतरना पड़ा। सिंह की इस सख्ती को अब अपने ही विभाग से सहयोग नहीं मिल रहा है। पुलिस सूत्र बताते हैं कि कई थाना क्षेत्रों में अब भी केवल दिखावे के लिए चेकिंग हो रही है वहीं गश्त की भी सिर्फ रस्म अदायगी की जा रही है। सूत्रों का कहना है कि पुलिस महकमे में चर्चा है कि पुलिस कमिश्नर के कड़क रवैया कई अधिकारियों और थाना प्रभारियों को रास नहीं आ रहा। इस कारण अपराध पर लगाम कसने में पुलिस नाकाम हो रही है। सूत्र तो यहां तक बताते हैं कि सालों से कुर्सी तोड़ रहे पुलिस अधिकारियों को सिंह की सख्ती पसंद नहीं आ रही है और उन्होंने पुलिस कमिश्नर के खिलाफ अप्रत्यक्ष रूप से असहयोग आंदोलन चला दिया है। रात में चेकिंग के लिए सिर्फ आधा-एक घंटा चौराहों पर खड़े होकर बड़े अधिकारी रवाना हो जाते है और जिम्मेदारी सिपाहियों पर छोड़ दी जाती है। वहीं गश्त का भी यही हाल है। इसके चलते अपराधियों के हौसले बुलंद होते जा रहे है।
डीआरपी में 30 से अधिक टीआई फरमा रहे आराम शहर में अपराधों पर रोक लगाने में नाकाम पुलिस विभाग कई बार बल की कमी होने की बात कहता है, जबकि सच्चाई यह है कि डीआरपी लाइन में फिलहाल 30 से ज्यादा टीआई स्तर के अधिकारी आराम फरमा रहे हैं। सूत्र बताते हैं कि संतोष सिंह द्वारा पुलिस कमिश्नर का पदभार ग्रहण करने से पहले यह सभी शहर के अलग-अलग थानों में पोस्टिंग के प्रयास लगातार कर रहे थे, लेकिन जब से सिंह कमिश्नर बने तब से इन अधिकारियों ने डीआरपी में रहना ही उचित समझा। सूत्रों का कहना है कि सिंह ने सभी थाना प्रभारियों और उच्च अधिकारियों पर नकेल कस दी है। कई मामलों में फटकार भी लगाई, इन सबके चलते डीआरपी में पदस्थ अधिकारी फिल्ड में नहीं आना चाह रहे। मोटी रकम देकर ली कमाई वाले थानों में पोस्टिंग पुलिस सूत्र बताते हैं कि कुछ थानों में टीआई सीधे भोपाल से पोस्टिंग करवाकर आए है। मनपसंद थानों के लिए उन्होंने भोपाल में मोटी रकम चुकाई है। इसके कारण उन्हें भोपाल से वरदहस्त प्राप्त है, यह भी एक कारण है कि वह पुलिस कमिश्नर संतोष सिंह के आदेशों और सख्ती को हवा में उड़ा रहे हैं।
हिन्दुस्तान मेल, इंदौर.जिस बीआरटीएस को हटाने की हिम्मत पूर्व मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान नहीं जुटा पाए थे, उसे जनता की तकलीफों को देखते हुए मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने एक झटके में खत्म करने की घोषणा कर दी। मुख्यमंत्री ने कहा कि बीआरटीएस कितना ही महंगा या जरूरी क्यों न रहा हो, इंदौरवासियों की तकलीफ का कारण नहीं बन सकता। उन्होंने कहा कि कॉरिडोर हटने के बाद जब सड़क चौड़ी होगी तो चौराहों पर लगने वाले जाम से लोगों को निजात भी मिल जाएगी। बीआरटीएस को लेकर लम्बे समय से कशमकश चल रही है। जनता परेशान थी। प्रशासन पसोपेश में। सरकारी दफ्तरों से लेकर कोर्ट-कचहरी तक इसे हटाने की चर्चाएं खूब हुईं… हटा नहीं। हर बार सरकारी तर्क से बचता रहा। इंदौर को अपने हृदय के बेहद नजदीक रखने वाले डॉ. मोहन यादव को लोगों की तकलीफों का अहसास था, इसीलिए उन्होंने बीआरटीएस को हटाने का आदेश देने में देर नहीं की। बीआरटीएस हटने का सबसे ज्यादा फायदा नवलखा-एलआईजी के बीच मिलेगा, जहां सड़क 100 फीट हो जाएगी। रसोमा चौराहा, सत्यसांई, विजयनगर में भी जाम से मुक्ति मिलेगी। हालांकि कॉरिडोर हटाने का काम कब शुरू होगा… इसे लेकर अभी स्थिति स्पष्ट नहीं है, लेकिन मार्च से पहले सड़क चौड़ी हो जाएगी। क्यों लेना पड़ा फैसला-बीआरटीएस देवासनाका से एलआईजी और नवलखा से राजीव गांधी चौराहे के बीच 200 फीट चौड़ा है, जबकि एलआईजी से नवलखा के बीच 100 फीट चौड़ा। बीआरटीएस लोक परिवहन का बड़ा जरिया था, जिसका मकसद था… शहर में बेहिसाब बढ़ती वाहनों की संख्या को कम करना, लेकिन ऐसा हुआ नहीं। वाहनों की संख्या ज्यादा तेजी से बढ़ी। शाम 5 से रात 9 बजे और सुबह 10.30 से 1 बजे के बीच तकरीबन हर चौराहे पर जाम लगने लगा… खासकर नवलखा और एलआईजी के बीच। हालांकि सत्यसांई, विजयनगर, भंवरकुआ, एलआईजी जैसे 200 फीट हिस्से में भी जाम ज्यादा लग रहा था। नुकसान भी होगा… अभी जिस तरह से बीआरटीएस में आईबस निर्बाध चल रही है, उस तरह से कॉरिडोर हटने के बाद नहीं चल पाएगी, जिससे बसों की स्पीड कम होगी। सफर का समय बढ़ेगा, जिसका खामियाजा स्टूडेंट्स-नौकरीपेशा को होगा, जो बस के बड़े यूजर हैं।
हिन्दुस्तान मेल, इंदौर नवंबर का आधे से ज्यादा महीना बीत चुका है। इंदौर में अब ठंड का असर दिखने लगा है। तीन दिन में दिन के तापमान में दो डिग्री की गिरावट आई है, वहीं रात का न्यूनतम तापमान भी दो डिग्री गिरा है। हवा में ठंडक के साथ ठिठुरन बढ़ गई है। गुरुवार को सुबह 11 बजे तक ठंड का असर रहा। लोगों को स्वेटर, जैकेट और शॉल निकालकर पहनना पड़े। मौसम विभाग के अनुसार बुधवार का अधिकतम तापमान 27.8 डिग्री सेल्सिय दर्ज किया गया, जो सामान्य से 2 डिग्री कम था। इसी बुधवार रात का न्यूनतम तापमान 13.9 डिग्री सेल्सिय रहा, जो सामान्य के बराबर था, जिसके चलते ठिठुरन महसूस होने लगी, वहीं ऊनी कपड़े भी दिखने लगे। मंगलवार को न्यूनतम तापमान 16.5 डिग्री सेल्सिय रहा, जो सामान्य से 2 डिग्री अधिक था। ठंड बढ़ने के साथ ही चाय की चाहत बढ़ गई है। गराड़ू, सूरन और कच्ची हल्दी जैसे गर्म तासिर की फल-सब्जियों के साथ मक्का-ज्वार-बाजरा के आटे की डिमांड बढ़ने लगी है, वहीं दूध के कढ़ाव सजने लगे। गरमा-गरम जलेबी के ठीये आबाद होने लगे। मौसम विभाग के अनुसार अभी ठंड का असर और बढ़ेगा।
इंदौर। शहर में कई बड़े खेल मैदान अपनी बदहाल हो गए हैं और खिलाड़ी परेशान हो रहे हंै। मैदानों की इस दुर्दशा को देखते हुए अब नगर निगम सरकारी स्कूलों के खेल मैदान को सुधारने की योजना बना रहा है। इस योजना के तहत दो करोड़ रुपए खर्च कर सरकारी स्कूलों के मैदानों को अलग-अलग खेल के हिसाब से तैयार किए जाएंगे। एमआईसी सदस्य नंद किशोर पहाड़िया ने बताया कि शहर में खिलाड़ियों के लिए अच्छे खेल मैदानों की कमी को देखते हुए इस योजना को अमल में लाने की शुरूआत की गई है। इस योजना में सरकारी स्कूलों से बात कर आवेदन मंगाए गए है जहां जरूरत के हिसाब से खेल मैदानों को दुरुस्त किया जाएगा। फिलहाल 20 सरकारी स्कूलों से खेल मैदान को लेकर आवेदन मिले है। वहीं 16 स्कूलों से खेल सामग्री हेतु भी आवेदन प्राप्त हुए है। इन स्कूलों को जरूरत और खिलाड़ियों की संख्या के हिसाब से सुविधा मुहैया कराई जाएगी।
इन स्कूलों से मिले खेल सामग्री के आवेदन खेल सामग्री के लिए शास. स्वामी विवेकानंद उमावि, शास. सुभाष उमावि बड़ा गणपति, शास. कन्या विद्यालय संयोगितागंज, शास. बालक विद्यालय संयोगितागंज, नूतन उ.मा. विद्यालय चिमनबाग, अहिल्याआश्रम क्रमांक 2, शास. मालव कन्या उमावि, शा. उमावि अत्रिदेवी, शास. उमावि बजरंग नगर, शास. हाईस्कूल परदेशीपुरा, शास. हाई स्कूल पागनिसपागा, शास. सिंधी उमावि, शास. शारदा कन्या उ.मा वि., शास. हाई स्कूल किला मैदान, शास. बालक उ.मा. वि. बिजलपुर और सास. उमावि खजराना में खेल सामग्री समेत एर बास्केटबॉल कोर्ट बनाने के लिए आवेदन मिले है।
नगर निगम की योजना को लेकर सरकारी स्कूलों ने भी उत्साह दिखाया और 16 स्कूलों ने मैदान सुधारने के आवेदन नगर निगम को सौंपे है। जिस पर जल्द ही कार्य शुरू किया जाएगा। आवेदन करने वाले स्कूलों में नूतन उ.मा. विद्यालय, शास. शारदा कन्या उ.मा वि., शास. बालक उ.मा. वि. बिजलपुर, शास. हाई स्कूल मालवीय नगर, शास. हाई स्कूल संगम नगर, शास. उमावि बाणगंगा, शास. उमावि विजय नगर, शास. मालव कन्या उमावि, शा. उमावि अत्रिदेवी, शास. उमावि राजेंद्र नगर, शास. सिंधी उमावि, शास. रजत जयंती उमावि, शास. बालक उमावि, संयोगितागंज, शास. कस्तूरबा उमावि, शास हाई स्कूल संगम नगर, शास, अहिल्या आश्रम क्रमांक 2, शास. हाईस्कूल विनोबा नगर, शास. हाई स्कूल चितावद, और शास. उमावि सिरपुर शामिल है।
हिन्दुस्तान मेल, इंदौर नकली पुलिस बनकर लोगों से पैसे ऐंठने की कई खबरें आपने सुनी और पढ़ी होगी लेकिन हाल ही में एक ऐसा मामला सामने आया है जिसमें आरोपियों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नाम पर करोड़ों रुपए की ठगी कर डाली। मामला चौंकाने वाला और बेहद बड़ा है। आरोपी महीनों से लोगों को मूर्ख बना रहे थे, लेकिन सबकुछ इतनी सफाई से किया गया कि किसी को भनक तक नहीं लगी और नौकरी की चाह रखने वाले लोगों से करोड़ों रुपए हड़प लिए गए। यह पूरा खेल लोगों को एक साल तक नौकरी देने के नाम पर खेला गया। इस पूरे मामले में आरजीए मार्केटिंग लि. और संचालक यश जैन व प्रीति जैन के खिलाफ थाने से लेकर अतिरिक्त पुलिस आयुक्त तक और मध्य प्रदेश शासन के साथ ही प्रधानमंत्री कार्यालय तक शिकायत की गई है। मामले में आरजीए मार्केटिंग लि. के यश जैन और प्रीति जैन पर आरोप है कि उन्होंने अपनी कंपनी को भारत सरकार की अधिकृत कंपनी बताया और नौकरी देने के नाम पर अलग- अलग अकाउंट में लोगों से लाखों रुपए डलवाए गए। मोबाइल एप्लीकेशन पर कुछ समय तक काम भी मिला और सैलरी भी। लेकिन बाद में न कमाई दी गई और न ही वो पैसे दिए गए जो रजिस्ट्रेशन के नाम पर लिए गए थे। जब उम्मीदवारों ने पैसे वापस मांगे तो मोबाइल एप्लीकेशन, वेबसाइट, मोबाइल नंबर सभी बंद कर दिए गए। यहां तक कि कंपनी का आॅफिस भी बंद कर दिया गया।
पीड़ित शिकायतकर्ता परमेश्वर यादव ने पुलिस आयुक्त को दी शिकायत में लिखा है कि आरजीए मार्केटिंग लि. ने खुद को इनोवेशन कंसलटेंसी, डिजिटल डिजाइन और विज्ञापन एजेंसी बताया, जिसका मुख्यालय अमेरिका के न्यूयॉर्क शहर में बताया गया था। साथ ही यह भी दावा किया गया कि इसके अन्य वैश्विक कार्यालय आॅस्टिन, लॉस एंजिल्स, सैन फ्रांसिस्को, पोर्टलैंड, लंदन, बर्लिन, साओ पाउलो, ब्यूनस आयर्स, सिंगापुर, शंघाई, सिडनी और टोक्यो में है। इस तरह दुनिया के हर राज्य में आरजीए मार्केटिंग लि. के 11 कार्यालय बताए गए थे। कंपनी को 2023 में भारत में लॉन्च करना बताया गया था। आरजीए मार्केटिंग लि. द्वारा स्वयं को भारत सरकार की अधिकृत और अनुबंधित कंपनी बताया गया और कई सरकारी बैंकों से टाईअप होने का दावा करते हुए लाखों उम्मीदवारों का प्लेसमेंट करवाने और घर बैठे पैसा कमाने का लालच देकर करोड़ों रुपए की चपत लगाई गई है। 30 लाख लोगों को रोजगार देने का नाटक शिकायतकर्ता ने बताया कि कंपनी ने इंदौर में अपना आॅफिस ब्रिलियंट सेंटर, 17 रेसकोर्स रोड, न्यू पलासिया, बास्केटबॉल स्टेडियम के सामने शुरू किया था। आरजीए मार्केटिंग लि. द्वारा यह दावा किया गया था कि कंपनी को भारत सरकार द्वारा आमंत्रित किया गया था और कंपनी ने पांच साल के रणनीतिक सहयोग समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं। जिसके तहत आरजीए मार्केटिंग लि. 30 लाख लोगों को रोजगार देगी। 20 लाख लोगों को रोजगार दिया जा चुका है और 10 लाख लोगों को शेष दिया जाना है। रजिस्ट्रेशन अनिवार्य बताकर डलवाए पैसे : कंपनी ने नौकरी की चाह रखने वाले उम्मीदवारों के लिए रजिस्ट्रेशन अनिवार्य किया था। रजिस्ट्रेशन के बाद उन्हें आईडी प्रदान की जाती थी। कंपनी ने अलग – अलग लोगों के लिए पांच सैलरी स्ट्रक्चर बनाए थे। अलग – अलग सैलरी के लिए रजिस्ट्रेशन करवाने वाले उम्मीदवारों से अलग – अलग राशि का निवेश करवाया जाता था। जो ज्यादा सैलरी स्ट्रक्चर का चयन करता था, उससे ज्यादा राशि का निवेश रजिस्ट्रेशन शुल्क के रूप में करवाया जाता था। कंपनी द्वारा रजिस्टर्ड कर्मचारी को एक साल तक रोजगार देने का एग्रीमेंट भी किया जाता था। रजिस्टर्ड कर्मचारियों को कार्य के हिसाब से प्रति माह 1800 रुपए, 4800 रुपए, 15,000 रुपए, 45,000 रुपए और 1,20,000 रुपए देने का दावा किया जाता था। एक वर्ष तक नौकरी देने के एवज में एक माह की सैलरी का निवेश रजिस्ट्रेशन शुल्क के रूप में करवाया जाता था। जिसे जितनी राशि सैलरी के रूप में प्रतिमाह चाहिए होती थी, उसे उतनी ही राशि एक बार रजिस्ट्रेशन शुल्क के रूप में कंपनी को देना होती थी।
मोबाइल से करना होता था प्रमोशन रजिस्ट्रेशन करने के बाद आरजीए मार्केटिंग लि. के अप्लीकेशन पर जॉब प्रोफाइल और स्ट्रक्चर के अनुरूप अलग -अलग टास्क दिए जाते थे। जिसमें विभिन्न कंपनियों के मोबाइल अप्लीकेशन डाउनलोड करने, अलग – अलग विकल्पों पर क्लिक कर प्रमोशन करने का काम करना होता था और हिट्स के साथ रैंकिंग बढ़ाना होती थी। कंपनी का दावा था कि इसके लिए वह विभिन्न कंपनियों से पैसा लेती है और ली गई राशि का 60 से 80 प्रतिशत हिस्सा अपने रजिस्टर्ड लोगों को देती है। नए सदस्य बनाओ और कमाओ : आरजीए मार्केटिंग लि. द्वारा अपने रजिस्टर्ड लोगों को यह सुविधा दी जाती थी कि अगर वे नए लोगों को जोड़ते हैं तो नए सदस्यों द्वारा किए गए निवेश का 50 प्रतिशत उन्हें बोनस राशि के रूप में मिलेगा। जो उनकी अतिरिक्त आय होगी। यानी जो कंपनी में नए लोगों से निवेश करवाएगा, उसे अतिरिक्त लाभ होगा। इस कारण हजारों पुराने लोगों ने लाखों नए लोगों को जोड़ते हुए स्वयं भी निवेश किया और करवाया भी। बताया जा रहा है कि देश भर में कंपनी ने 22 लाख लोगों को रजिस्टर्ड किया और उनसे करोड़ों रुपए की वसूली की जा चुकी है।
सरकारी अधिकारियों, सेलिब्रिटीज और समाजसेवियों का सहारा नौकरी देने के नाम पर करोड़ों रुपए का गबन करने वाली इस कंपनी ने लोगों का भरोसा जीतने और उन्हें आकर्षित करने के लिए सरकारी अधिकारियों, सेलिब्रिटीज और समाजसेवियों का सहारा भी लिया। कंपनी की वेबसाइट और मोबाइल अप्लीकेशन पर कुछ पुलिस अधिकारियों के साथ फोटो डाले हुए हैं। यही नहीं कंपनी द्वारा इंदौर के रीगल तिराहा क्षेत्र के रवींद्र नाट्य गृह में गांधी जयंती के अवसर पर 2 अक्टूबर 2024 को एक भव्य कार्यक्रम का आयोजन किया गया जिसमें गायक कपिल खादीवाला, रितु छाबड़ा व अन्य समाज सेवियों और प्रतिनिधियों को बुलाया गया था। इन सभी ने कंपनी की प्रशंसा की और इनके प्रभाव में आकर हजारों नए लोगों ने कंपनी को ज्वाइन किया और लाखों, करोड़ों रुपए का निवेश किया।
देह व्यापार और ड्रग्स कारोबार में हो चुके गिरफ्तार गौरतलब है कि नौकरी देने के नाम पर धोखा देने वाले आरोपितों यश जैन और प्रीति जैन आदतन अपराधी हैं और करीब चार साल पहले देह व्यापार और ड्रग्स कारोबार के आरोप में गिरफ्तार भी हो चुके हैं। प्रीति जैन ‘ड्रग वाली आंटी” के नाम से बदनाम रही हैं। पुलिस को दिए बयानों में उन्होंने अपना अपराध भी स्वीकार किया था। प्रीति जैन का बेटा यश जैन पब, बार और रोां में ड्रग्स सप्लाई करता था और 200 से ज्यादा लोगों को नियमित ड्रग्स सप्लाई की जाती थी। इनके तार विदेशी तस्करों से भी जुड़े होना पाए गए थे। यही नहीं पुलिस को प्रीति जैन के पास से कई आईडी ऐसे मिले थे जिनमें अलग – अलग नाम था। कुछ आईडी प्रीति जैन के नाम से तो कुछ प्रेरणा नाम लिखा था। कुछ आईडी विशाखा के नाम से भी बने हुए थे। प्लेसमेंट के नाम पर ठगाए कुछ लोगों को भी प्रीति जैन ने अपना नाम विशाखा जैन बताया था।