
हिन्दुस्तान मेल, इंदौर.जिस बीआरटीएस को हटाने की हिम्मत पूर्व मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान नहीं जुटा पाए थे, उसे जनता की तकलीफों को देखते हुए मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने एक झटके में खत्म करने की घोषणा कर दी। मुख्यमंत्री ने कहा कि बीआरटीएस कितना ही महंगा या जरूरी क्यों न रहा हो, इंदौरवासियों की तकलीफ का कारण नहीं बन सकता। उन्होंने कहा कि कॉरिडोर हटने के बाद जब सड़क चौड़ी होगी तो चौराहों पर लगने वाले जाम से लोगों को निजात भी मिल जाएगी।
बीआरटीएस को लेकर लम्बे समय से कशमकश चल रही है। जनता परेशान थी। प्रशासन पसोपेश में। सरकारी दफ्तरों से लेकर कोर्ट-कचहरी तक इसे हटाने की चर्चाएं खूब हुईं… हटा नहीं। हर बार सरकारी तर्क से बचता रहा। इंदौर को अपने हृदय के बेहद नजदीक रखने वाले डॉ. मोहन यादव को लोगों की तकलीफों का अहसास था, इसीलिए उन्होंने बीआरटीएस को हटाने का आदेश देने में देर नहीं की। बीआरटीएस हटने का सबसे ज्यादा फायदा नवलखा-एलआईजी के बीच मिलेगा, जहां सड़क 100 फीट हो जाएगी। रसोमा चौराहा, सत्यसांई, विजयनगर में भी जाम से मुक्ति मिलेगी। हालांकि कॉरिडोर हटाने का काम कब शुरू होगा… इसे लेकर अभी स्थिति स्पष्ट नहीं है, लेकिन मार्च से पहले सड़क चौड़ी हो जाएगी।
क्यों लेना पड़ा फैसला-बीआरटीएस देवासनाका से एलआईजी और नवलखा से राजीव गांधी चौराहे के बीच 200 फीट चौड़ा है, जबकि एलआईजी से नवलखा के बीच 100 फीट चौड़ा।
बीआरटीएस लोक परिवहन का बड़ा जरिया था, जिसका मकसद था… शहर में बेहिसाब बढ़ती वाहनों की संख्या को कम करना, लेकिन ऐसा हुआ नहीं। वाहनों की संख्या ज्यादा तेजी से बढ़ी।
शाम 5 से रात 9 बजे और सुबह 10.30 से 1 बजे के बीच तकरीबन हर चौराहे पर जाम लगने लगा… खासकर नवलखा और एलआईजी के बीच। हालांकि सत्यसांई, विजयनगर, भंवरकुआ, एलआईजी जैसे 200 फीट हिस्से में भी जाम ज्यादा लग रहा था।
नुकसान भी होगा…
अभी जिस तरह से बीआरटीएस में आईबस निर्बाध चल रही है, उस तरह से कॉरिडोर हटने के बाद नहीं चल पाएगी, जिससे बसों की स्पीड कम होगी। सफर का समय बढ़ेगा, जिसका खामियाजा स्टूडेंट्स-नौकरीपेशा को होगा, जो बस के बड़े यूजर हैं।