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हिंदुस्तान मेल ने पीड़ित को बंधाई न्याय की आस

लोकतंत्र के चार स्तम्भ में मीडिया भी शामिल है। मीडिया जनता और शासन के बीच पुल का काम करता है। ईमानदार मीडिया जनता की अनसुनी आवाज को शासन तक पंहुचा सकता है और जनता को न्याय भी दिलवा सकता है।
‘हिंदुस्तान मेल’ भी इसी राह पर चलता आ रहा है। इस बार भी हिंदुस्तान मेल द्वारा छापी गई एक खबर का बड़ा प्रभावी असर हुआ है। इसके बाद मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी ने कार्रवाई करने के निर्देश भी दिए और साथ ही एफआईआर भी दर्ज करवाई, जिससे एक पीड़िता को न्याय मिलने का हौसला मिला।
दरअसल हिंदुस्तान मेल के 19 अप्रैल, 2023 के अंक में एक यूनानी डॉक्टर द्वारा लापरवाहीपूर्वक एक मां और उसके नवजात की जान को दांव पर लगाने की कहानी पर प्रकाश डाला गया था। कहानी तब शुरू होती है, जब चंदन नगर थाना क्षेत्र में रहने वाली मुंजीला मंसूरी अपनी गर्भावस्था के दौरान डॉ. फरहा नाज से चेकअप करवाने जाती थीं। जब डिलीवरी का समय आया, तब डॉक्टर फरहा नाज ने पीड़िता को सेवालय अस्पताल में दाखिल होने का कहा। दाखिल होने के बाद जब दर्द के मारे पीड़िता की हालत खराब होने लगी, तब वहां मौजूद परिजन के आग्रह के बावजूद किसी स्त्री रोग विशेषज्ञ को न बुलाकर स्वयं ही डिलीवरी करवा दी, जिसके परिणामस्वरूप न केवल उन्होंने प्रसूता की जान को खतरे में डाला, बल्कि उनकी लापरवाही से डिलीवरी के समय हुई खींचतान की वजह से बच्चे के फेफड़ों पर दबाव पड़ने से इंफेक्शन हो गया था, जो कि अब उसकी आंखों में भी फैल गया है, जिससे बच्चे की आंखों की 90% रोशनी चली गई है। बच्चे की आंख में अब रोजाना पांच हजार का इंजेक्शन लगाया जा रहा है। आर्थिक रूप से कमजोर इस पीड़ित परिवार ने जब थाने में शिकायत की तो उन्हें भगा दिया गया। इसके बाद उन्होंने स्वास्थ्य मंत्रालय में भी गुहार लगाई और कुछ भी कार्रवाई ना होने के कारण मानव अधिकार में गुहार लगाई, लेकिन वहां से भी न्याय नहीं मिला।
समाचार प्रकाशित होने के बाद इंदौर जिले के मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी बीएस सैत्या ने कार्रवाई करने के निर्देश दिए, जिसके बाद पंढरीनाथ थाना के उपनिरीक्षक मनोहर सिंह द्वारा पूरे मामले की जानकारी ली गई और पीड़िता की रिपोर्ट लिखी गई। महीनों से न्याय की उम्मीद में बैठे परिवार को अब आशा की किरण नजर आई है।

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