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Pope Francis Passes Away: पोप फ्रांसिस का निधन, 88 साल की उम्र में ली आखिरी सांस; डबल निमोनिया से जूझ रहे थे

पोप फ्रांसिस का निधन: वेटिकन ने दी पुष्टि, 88 वर्ष की आयु में ली अंतिम सांस
वेटिकन ने सोमवार को एक आधिकारिक बयान जारी कर पोप फ्रांसिस के निधन की पुष्टि की। वह रोमन कैथोलिक चर्च के पहले लैटिन अमेरिकी पोप थे और दोनों फेफड़ों में डबल निमोनिया से पीड़ित थे। वह लंबे समय से अस्वस्थ चल रहे थे और अस्पताल में भर्ती थे। कार्डिनल केविन फेरेल ने श्रद्धांजलि देते हुए कहा कि पोप फ्रांसिस का पूरा जीवन ईश्वर और मानवता की सेवा में समर्पित रहा।

पोप ने सोमवार, 21 अप्रैल 2025 को वेटिकन स्थित अपने निवास ‘कासा सांता मार्टा’ में स्थानीय समयानुसार सुबह 7:30 बजे अंतिम सांस ली। वेटिकन न्यूज के अनुसार, लंबे समय से उनकी तबीयत खराब चल रही थी। हाल ही में ईस्टर के अवसर पर वे एक लंबे अंतराल के बाद सार्वजनिक रूप से दिखाई दिए थे।

पोप फ्रांसिस पहले जेसुइट ऑर्डर से आने वाले पोप थे और 8वीं शताब्दी के बाद पहले गैर-यूरोपीय पोप बने। अर्जेंटीना के ब्यूनस आयर्स में जन्मे, उनका असली नाम जॉर्ज मारियो बर्गोग्लियो था। 1969 में उन्हें कैथोलिक पादरी के रूप में नियुक्त किया गया। पोप बेनेडिक्ट XVI के इस्तीफे के बाद, 13 मार्च 2013 को उन्हें नए पोप के रूप में चुना गया और उन्होंने ‘सेंट फ्रांसिस ऑफ असीसी’ के सम्मान में ‘फ्रांसिस’ नाम अपनाया।

उनके निधन के बाद वेटिकन में 14 दिन की शोक अवधि घोषित की गई है, जिसके बाद कार्डिनल नए पोप के चुनाव के लिए सम्मेलन करेंगे।

भारत यात्रा की योजना
पोप फ्रांसिस के भारत दौरे की चर्चा भी थी। केंद्रीय मंत्री जॉर्ज कुरियन ने पिछले दिसंबर में जानकारी दी थी कि पोप 2025 के बाद भारत आ सकते हैं, जिसे कैथोलिक चर्च ने जुबली वर्ष घोषित किया है। भारत ने उन्हें औपचारिक आमंत्रण दिया था, और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी उन्हें आमंत्रित किया था। यात्रा की योजना पोप की सेहत और सुविधा के अनुसार बननी थी।

पोप फ्रांसिस का अंतिम संदेश
अपने अंतिम सार्वजनिक संदेश में पोप ने लोगों से ज़रूरतमंदों की सहायता करने, भूख मिटाने और विकास को प्रोत्साहित करने वाली पहलों को बढ़ावा देने की अपील की थी। ईस्टर संदेश में उन्होंने लिखा:
“मैं दुनिया भर के राजनैतिक नेताओं से अपील करता हूं कि वे भय से पराजित न हों। डर हमें एक-दूसरे से अलग करता है। हमारे पास जो संसाधन हैं, उनका उपयोग करें—भूख के खिलाफ लड़ाई, ज़रूरतमंदों की मदद और विकास के प्रयासों के लिए। यही सच्चे शांति के हथियार हैं, जो मृत्यु नहीं, बल्कि भविष्य का निर्माण करते हैं। मानवता का सिद्धांत हमारे हर कार्य में झलकना चाहिए।”

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