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हारे तो ईवीएम गलत, जीत पर कुछ न कहना, इसे कैसे देखा जाए : सुप्रीम कोर्ट

नई दिल्ली, एजेंसी
सुप्रीम कोर्ट ने उस जनहित याचिका को खारिज कर दिया, जिसमें कई चुनावी सुधारों के साथ बैलेट पेपर मतदान प्रणाली फिर शुरू करने की मांग की गई थी। याचिकाकर्ता की इस दलील पर कि आंध्रप्रदेश के सीएम चंद्रबाबू नायडू और पूर्व सीएम वाई.एस. जगन मोहन रेड्डी ने भी ईवीएम से छेड़छाड़ पर सवाल उठाए थे, जस्टिस विक्रम नाथ और पी.बी. वराले की पीठ ने कहा, जब नायडू या रेड्डी हारते हैं तो कहते हैं कि ईवीएम से छेड़छाड़ की गई। जीतने पर कुछ नहीं कहते। इसे कैसे देखा जाए?
पीठ ने कहा कि यह वह जगह नहीं है, जहां आप इस तरह की बहस करें। याचिकाकर्ता डॉ. के.ए. पॉल ने सुझाव दिया कि भारत को अमेरिका जैसे देशों की प्रथा का पालन करना चाहिए। जो मतपत्रों का इस्तेमाल करते हैं। उन्होंने तर्क दिया कि ईवीएम लोकतंत्र के लिए खतरा है। एलन मस्क ने भी ईवीएम से छेड़छाड़ पर चिंता व्यक्त की है। पॉल ने यह भी मांग की थी कि पैसे या शराब बांटते हुए पकड़े जाने पर उम्मीदवारों को पांच साल के लिए अयोग्य घोषित किया जाना चाहिए। इससे निपटने के लिए व्यापक नीति होनी चाहिए। चुनावी भागीदारी बढ़ाने के लिए मतदाता शिक्षा कार्यक्रम, राजनीतिक दलों के वित्तपोषण की जांच के लिए तंत्र और चुनावी हिंसा को रोकने के लिए नीतिगत ढांचा होना चाहिए।

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