
नई दिल्ली, एजेंसी
दिल्ली की हवा में घुले प्रदूषण के जहर का हाल इन आंकड़ों से जान सकते हैं। दिल्ली के कुछ इलाकों में अदक 506, 473, 472, 471 तक पहुंच चुका है। आखिर इतनी जहरीली हवा में लोग सांस कैसे ले पा रहे हैं! दिल्ली वाले तो अब बस यही पूछ रहे हैं कि बिना साफ हवा के जीएं तो जीएं कैसे! केंद्रीय प्रदूषण निगरानी संस्था सीएक्यूएम ने गुरुवार को दिल्ली-एनसीआर में क्रमिक प्रतिक्रिया कार्ययोजना (ग्रैप-3) लागू करने का फैसला लिया था। इसके बाद दिल्ली में निर्माण और तोड़फोड़ गतिविधियों पर भी पूरी तरह से पाबंदी लगा दी है।
ग्रेप के तहत दिल्ली-एनसीआर में सभी अंतर्राज्यीय बसों (इलेक्ट्रिक, सीएनजी और बीएस-6 डीजल वाहनों को छोड़कर) का प्रवेश बंद। दिल्ली एनसीआर में अब निर्माण और विध्वंसक गतिविधियों पर पूरी तरह से सख्त प्रतिबंध। खनन संबंधी गतिविधियों पर अगले आदेश तक रोक। कक्षा 5 तक के छात्रों के लिए आॅनलाइन कक्षाओं पर विचार किया जा सकता है। प्रमुख सड़कों पर शुक्रवार से रोजाना पानी का छिड़काव किया जाएगा। दिल्ली और गुरुग्राम, फरीदाबाद, गाजियाबाद और गौतमबुद्ध नगर जिलों में बीएस-3 पेट्रोल और बीएस-4 डीजल वाहनों के चलने पर प्रतिबंध रहेगा।
क्या है ग्रैप-3… ग्रैप-3-दिल्ली एनसीआर में वायु प्रदूषण के स्तर को बताने वाला मानक है, जिसे ग्रेडेड रिस्पांस एक्शन प्लान कहा जाता है। दिल्ली में बिगड़ते वायु प्रदूषण से पार पाने के लिए इसे तैयार किया गया था। ग्रैप-3 तब सक्रिय होता है, जब वायु गुणवत्ता सूचकांक ‘गंभीर’ स्तर तक पहुंच जाता है।
साइंस जर्नल लैंसेट की स्टडी बताती है कि वायु प्रदूषण की वजह से भारत में करीब 17 लाख तो ह.ऌ.ड के मुताबिक… दुनियाभर में हर साल खराब हवा की वजह से 70 लाख लोग बेमौत मारे जाते हैं।
एक तो प्रदूषण का खतरा… ऊपर से ठंड भी अचानक बढ़ गई है, यानि सेहत पर डबल वार हो रहा है।