राजधानी के बजरिया थाना क्षेत्र के गायत्री नगर में रहने वाले एक निजी कंपनी में टेलीकॉम इंजीनियर 38 वर्षीय प्रमोद कुमार को छह घंटे तक डिजिटल अरेस्ट रखने का मामला सामने आया है। भोपाल शहर में चार दिन में डिजिटल अरेस्ट की यह दूसरी घटना है। आॅफिस के अधिकारी की सूचना के बाद क्राइम ब्रांच की टीम ने टेलीकॉम इंजीनियर के घर पहुंचकर सुरक्षा का भरोसा दिया और रेस्क्यू कर मामले को सुलझाया।
पुलिस कमिश्नर हरिनारायणाचारी मिश्र ने बताया कि टेलीकॉम इंजीनियर प्रमोद कुमार के पास मंगलवार शाम छह से रात 12 बजे तक मुंबई क्राइम ब्रांच, ट्राई, आर्थिक अपराध शाखा के अधिकारी बनकर लगातार फोन आ रहे थे। वे उन्हें धमका रहे थे कि उनके आधार कार्ड से कई मोबाइल नंबर की सिम लिंक है, और उनमें एक सिम का उपयोग अपहरण कर फिरौती मांगने में हुआ है। छह घंटे तक बदमाशों ने उन्हें डिजिटल अरेस्ट करके रखा था। उनकी पत्नी के मोबाइल नंबर बंद कर दिए गए थे।
इस दौरान उनसे साढ़े तीन लाख रुपये भी मांगे गए। वह किसी का फोन नहीं उठा रहे थे।
ऐसे खुला राज- बुधवार को जब वह आॅफिस की आॅनलाइन बैठक में नहीं जुड़े, तो उनके अधिकारी ने एक कर्मचारी को उनके घर भेजा। जहां पत्नी से बात करने पर उन्होंने पूरा घटनाक्रम बताया। बाद में आॅफिस की ओर से क्राइम ब्रांच को सूचना दी गई। तब जाकर यह पूरा मामला खुलाकर सामने आया।
24 घंटे निगरानी में रखा
क्राइम ब्रांच के एडीसीपी शैलेंद्र सिंह ने बताया कि प्रमोद कुमार के स्वजन काफी घबराए हुए थे। उन्हें साइबर बदमाशों ने 24 घंटे निगरानी में रखा था। किसी तरह से उन्हें उनके स्वजन ने घर से बाहर निकाला। ठगों के फोन आने के बाद वह किसी का फोन नहीं उठा रहे थे। इस दौरान लगातार उन्हें डराने के लिए सीबीआई का नाम लेकर नोटिस भी उनको आॅनलाइन भेजे गए। उन्हें बुरी तरह से डरा दिया। काफी देर काउंसिलिंग के बाद वह सामान्य हुए।
बदमाशों के पास थी कुंडली
फोन करने वालों के पास प्रमोद से जुड़ी पूरी जानकारी थी कि वह कितने बजे आॅफिस जाते हैं और कितने बजे वापस आते हैं। उनका बैंक खाता किस बैंक में हैं। यहां तक कि उन्होंने कब-कहां से लोन लिया है। उनके फोन की पूरी हिस्ट्री भी उनके पास थी। उनके पास वेटिंग में आ रहे सभी फोन नंबर की जानकारी थी। ठग उन्हें फोन कर धमका रहे थे।