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जादूगरों को ज़मीन सौपने में जुटे ज़िम्मेदार…..

इंदौर।विनोद शर्मा….. नगर निगम तो बदनाम है ही। भ्रष्टाचार के मामले में इंदौर विकास प्राधिकरण भी कम नहीं पड़ता… इसका उदाहरण है खजराना की बेशकीमती जमीन। जो कभी महिराज गृह निर्माण सहकारी संस्था के सदस्यों की थी, लेकिन संचालकों ने मनमाने ढंग से कान इंटरप्राइजेस को बेच दी। मामले में ईओडब्ल्यू केस दर्ज करके जांच कर रहा है। इन सबके बावजूद प्राधिकरण 7.75 लाख की डिमांड निकालकर कंपनी को जमीन का कानूनी मालिक बनाने में जुटी है। मामले में संस्था प्रबंधक ने संभागायुक्त और प्राधिकरण के पदेन अध्यक्ष दीपक सिंह को चिट्‌ठी लिखकर प्राधिकरण के फैसले पर आपत्ति जताई है।

25 अक्टूबर, 2024 को महिराज गृह निर्माण सहकारी संस्था के प्रशासक और सहकारिता विभाग के वरिष्ठ आॅडिटर अशीष सेठिया ने संभागायुक्त और प्राधिकरण सीईओ को पत्र लिखा। बताया कि खजराना के सर्वे नंबर 122/1 की 1.539 हैक्टेयर जमीन वर्ष 2000 से 2005 के बीच सदस्यों ने महिराज गृह निर्माण संस्था के नाम खरीदी थी। संस्था के 50 से अधिक सदस्य हैं, जिनको जमीन पर प्लॉटों का आवंटन भी हो चुका है। रजिस्ट्री भी हो चुकी थी, जिसकी कॉपी सदस्यों के पास है, फिर भी प्लॉट नहीं मिला। दफ्तरों के चक्कर काट रहे हैं।
इस जमीन को संस्था के तत्कालीन अध्यक्ष ने अवैधानिक रूप से 2007 में नोबल रियल एस्टै प्रा.लि. को बेच दी थी। नोबल रियल ने जमीन पर लोन लिया। पैसा चुकाया नहीं। बाद में बैंक ने जमीन नीलाम कर दी। नीलामी में जमीन कान इंटरप्राइजेस तर्फे अंशुल जैन ने खरीद ली थी। ये जैबी कंपनी है। इस पूरे घोटाले के पीछे मास्टर माइंड कोई और है! संस्था ने उक्त विक्रय को चुनौती देते हुए हाईकोर्ट की इंदौर खंडपीठ में अपील (1454/2023) दायर की थी, जो विचाराधीन है। मामले में ईओडब्ल्यू ने 16 नवंबर, 2023 को एफआईआर (47/2003) दर्ज की थी।

चेतावनी : हाईकोर्ट और आदेश की अवहेलना होगी
जब प्राधिकरण की स्कीम से जमीन मुक्त है, विक्रय को लेकर हाईकोर्ट में केस विचाराधीन है और ईओडब्ल्यू जांच कर रहा है… ऐसे में प्राधिकरण द्वारा कान इंटरप्राइजेस को डिमांड नोटिस देकर 7,75,957 राशि मांगना न्याय और न्यायिक आदेश के विरुद्ध है। निवेदन है कि कंपनी से राशि जमा न कराएं, अन्यथा राशि जमा कराकर प्राधिकरण कोर्ट के आदेश का उल्लंघन करेगा, जो नाजायज है।
इनके खिलाफ जारी है ईओडब्ल्यू की जांच
संस्था के पूर्व अध्यक्ष समीर, नोबल रियल एस्टेट प्रा.लि. तर्फे केशव नाचानी, तत्कालीन संयुक्त संचालक टीएनसीपी वी.पी. कुलश्रेष्ठ, तत्कालीन शाखा प्रबंधक इंडसइंड बैंक राजेश मंगल, तत्कालीन जोनल प्रबंधक धर्मेंद्र जाखोड़िया, तत्कालीन हैड केपिटल प्रदीप भावे, बैंक के टाइटल सर्चर रमेशचंद्र माहेश्वरी, राजेश फरक्या, मूल्यांकनकर्ता राजेंद्र गुप्ता, पेगासस असेस्ट्स रीकंस्ट्रक्शन प्रा.लि.।

जमीन स्कीम से
मुक्त हो चुकी है
संस्था के मालिकी की इस जमीन को प्राधिकरण ने पहले स्कीम-132 में शामिल किया था, जो बाद में कोर्ट के आदेश पर रद्द हो गई। बाद में प्राधिकरण ने 132 को खत्म करते हुए उसे स्कीम-171 का नाम दे दिया था। अधिग्रहण को लेकर भी हाईकोर्ट में रिट अपील 904/2017 दायर की थी। कोर्ट ने 18 सितंबर, 2024 को आदेश देकर उक्त जमीन को स्कीममुक्त कर दिया था।

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