Hindustanmailnews

कंकरीट, डंपिंग ग्राउंड-बंजर जमीनों पर लहराई हरियाली

2030 तक 10 करोड़ पौधे लगाने का लक्ष्य लेकर चल रहे प्रदीप त्रिपाठी अब तक करीब 13 लाख पौधे लगा चुके हैं। मियावाकी पद्धति से अर्बन फॉरेस्ट तैयार कराने वाले प्रदीप फिलहाल नवी मुंबई और पुणे मनपा के साथ बायोडायवर्सिटी पार्क बनाने में जुटे हुए हैं। मुंबई, नवी मुंबई, पुणे, मीरा-भाईंदर समेत कई अन्य शहरों में अर्बन फॉरेस्ट लगाने वाले प्रदीप की सबसे बड़ी सफलता ‘ज्वेल आॅफ नवी मुंबई’ है। कुछ साल पहले तक डंपिंग ग्राउंड बन चुके प्लॉट पर आज करीब 1.3 लाख पौधे पेड़ गए हैं। अब इसकी पहचान सबसे बड़े अर्बन फॉरेस्ट के रूप में होती है। राम मंदिर में रेलवे, मालाड़ में डिफेंस की खाली जमीन को भी वो हरा-भरा बना चुके हैं। गौरतलब है कि जापान की तर्ज पर शहरों में घने जंगल बनाने वाली मियावाकी पद्धति को मनपाओं द्वारा तेजी से अपनाया जा रहा है।
कभी गिफ्टिंग का बिजनेस करने वाले प्रदीप को अपने काम से संतुष्टि नहीं मिल रही थी। इसके बाद क्लाइंट को खुश करने वाले प्रदीप खुद को खुश करने में जुट गए। फिर उन्होंने गणेशोत्सव के दौरान मिट्टी की मूर्तियों को लेकर मुहिम चलाई। अच्छा प्रतिसाद भी मिला, लेकिन एक महीने बाद फिर आगे की योजनाओं का सवाल खड़ा हो गया। प्रदीप ने ग्रीन यात्रा एनजीओ का गठन किया। शुरुआत में लोगों के बीच पर्यावरण को जागरूक करने की मुहिम शुरू की। फिर पौधे लगाए, उनका रखरखाव किया और कुछ ही सालों में वे अर्बन फॉरेस्ट एक्सपर्ट बन गए। मध्यप्रदेश के प्रदीप की टीम में आज 25-30 लोग जुड़ चुके हैं। संतुष्टि के लिए पर्यावरण का काम करने वाले प्रदीप ने घर चलाने के लिए कंस्लटेंसी को अपना पेशा बनाया है।

Scroll to Top
Verified by MonsterInsights