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इंदौर

गांधी प्रतिमा बनी आंदोलन का अखाड़ा

हिन्दुस्तान मेल, इंदौर
पिछले तीन दिन से रीगल का गांधी प्रतिमा चौक आमरण अनशन और सत्याग्रह का अखाड़ा बन चुका है। एक तरफ जहां अपनी कंपनी हड़पने वालों के खिलाफ एनआरआई गौरव अहलावत आमरण अनशन पर आमादा हैं तो दूसरी तरफ दिल्ली के कुछ सेठों के साथ मजदूर महिलाएं अहलावत के खिलाफ हाथ में तख्तियां लेकर गौरव के साथ गांधीजी को बार-बार घेर रही हैं। गांधी-भक्त पुलिस का मामले में असयोग आंदोलन जारी है।
गौरव ने इंदौर में अपनी जमापूंजी लगाकर जीआरवी बिस्किट नाम की कंपनी खड़ी थी। इस कंपनी पर उनके कथित भागीदारों ने कब्जा करके उन्हें बाहर कर दिया। पिछले 75 दिनों से कब्जेदारों के खिलाफ उनका संघर्ष जारी है। लसूड़िया थाने से लेकर डीजीपी कार्यालय तक अपनी बात रख चुके हैं, लेकिन मंत्री तुलसीराम सिलावट के भागीदार होने के कारण आरोपियों पर अब तक केस दर्ज नहीं हुआ। शिकायतों की अनदेखी से परेशान गौरव ने आमरण अनशन शुरू कर दिया। जो लगातार दो दिन से जारी है। आज तीसरा दिन है। वे वहां संविधान की किताब लेकर बैठे हैं। न्याय के लिए जंग में इंदौर का साथ मांग रहे हैं। दूसरी तरफ कुछ लोगों के नेतृत्व में मजदूर अहलावत के खिलाफ तख्तियां लेकर प्रदर्शन कर रहे हैं। उनका कहना है कि जून से उन्हें तनखा नहीं मिली। चार महीने हो चुके हैं, गौरव हमारा पैसा दे।
कुछ लोग स्वयं को दिल्ली का कारोबारी बताते हैं, कहते हैं कि गौरव ने हमें दिल्ली ठगा और इंदौर में 2019 में मारपीट की थी। पुलिस ढूंढ रही है। पकड़ में नहीं आता।

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निगम ने बना रखा है सड़क किनारे कबाड़खाना…

अधिकारियों का तर्क:निगम का गोदाम फुल है इसलिए वहां रखा सामान

हिन्दुस्तान मेल, इंदौर
देश के सबसे स्व्च्छ शहर इंदौर को नगर निगम द्वारा ही गंदा किया जा रहा है। दरसअल शहर में अवैध अतिक्रमण के नाम पर नगर निगम की टीम द्वारा जो ठेले, गुमटियों, बैनर-पोस्टर, होर्डिंग आदि को जब्त किया जाता है उसे बजाय सही स्थान पर रखने के निगम द्वारा स्नेहलतागंज क्षेत्र में न्यू सियागंज से आगे राजकुमार ब्रिज के पास पटक दिया जाता है। इससे ना सिर्फ शहर की सुंदरता समाप्त हो रही है बल्कि गंदगी भी फैल रही है। वहीं सड़क का अधिकांश हिस्सा ठेले और गुमटियों ने घेर रखा है जिसके चलते यातायात भी प्रभावित होता है। इन सामनों के कारण यह जगह कबाड़खाना जैसी लगती है।
बहरहाल अब इन जब्त सामानों को नीलाम करने की तैयारी निगम द्वारा की जा रही है। जो सामान वहां पड़े हैं उनकी सूची तैयार की जा रही है। निगम अधिकारियों का कहना है कि नीलामी के बाद वहां पड़ा सामान हट जाएगा।

नया गोदाम बनाना है

8000 करोड़ से अधिक के बजट वाला इंदौर नगर निगम अनेक कामों पर करोड़ों रुपए पानी की तरह खर्च कर देता है। लेकिन विडंबना है कि निगम के पास पैसों की कमी नहीं होने के बावजूद वह इन जब्त गुमटियों, ठेलों और होर्डिंग पोस्टरों के लिए गोदम तक नहीं बना पा रहा है। जिम्मेदार अधिकारियों का तर्क है कि वर्तमान में जो गोदाम है वह पूरा भरा हुआ है। नया सामान वहां नहीं रखा जा सकता। अधिकारियों का कहना है कि निगम इन सामनों को रखने के लिए नया गोदाम बनाने की तैयारी कर रहा है लेकिन यह बात काफी लंबे समय से कही जा रही है और लगता है कि गोदाम बनाने की बात सिर्फ कागजों तक ही सीमित है। शहर को साफ-स्वच्छ रखने के चक्कर में नगर निगम का यह दोहरा रवैया है। कर्मचारी जगह-जगह लगे अवैध बैनर, पोस्टर, होर्डिंग को निकाल तो देते हैं, लेकिन इनके निपटारे का ठीक से इंतजाम नहीं करते। ऐसे कई सारे बैनर पोस्टर, होर्डिंग की स्नेहलतागंज क्षेत्र में न्यू सियागंज से आगे राजकुमार ब्रिज के पास पटक दिया जाता है। निगम अफसरों का कहना है कि उसके गोदाम में जगह नहीं बची। इसलिए जब्त सामान सड़क किनारे रखना पड़ता है।

रहवासी बोले- यह निगम का अतिक्रमण


यहां रहने वाले लोागों का निगम के प्रति काफी आक्रोश है। रहवासियों का कहना है कि एक तरफ तो निगम शहर में अवैध अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई कर वाह-वाही लूटता हैं वहीं दूसरी तरफ निगम खुद यहां अतिक्रमण कर रहा है। रहवासियों का कहना है कि शहरभर से जब्त सामान को यहां पटकने से यह क्षेत्र कबाड़खाना जैसा लगता है। इससे गंदगी भी फैलती है। इस संबंध में कई बार शिकायत की लेकिन किसी ने कोई ध्यान नहीं दिया।

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मोहन ने मोहा ब्रिटेन करीबियों का मन..

इंदौर। मुख्यमंत्री मोहन यादव इन दिनों अपने प्रशासनिक नवरत्नों के साथ यूके यात्रा पर हैं। किसी मल्टीनेशनल कंपनी के सीईओ की तरह वे वहां कारोबारियों के बीच मप्र की ब्रांडिंग-मार्केटिंग कर रहे हैं, ताकि वहां के पूंजीपति मप्र में निवेश करें। प्रदेश का औद्योगिक विकास हो। युवाओं को रोजगार के अवसर भी मिलें। उन्होंने अपनी गारंटी देते हुए कहा कि आप एक बार मप्र आकर देखें, आपका मन स्वयं ही कहेगा, यहां पैसा लगाना है।
2007 में जिस ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट की परम्परा पूर्व मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान ने रखी थी। उसे 2019-20 में सिर्फ 15 महीने सरकार चलाने वाले पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने भी कायम रखा था। हालांकि उन्होंने नाम बदला था, मकसद नहीं। अब उसी सिलसिले को आगे बढ़ाते हुए मप्र के औद्योगिक विस्तार के सपने आंखों में संजोकर डॉ. मोहन यादव यूके पहुंचे। कुर्ता-पायजामा और जैकेट जैसे परम्परागत राजनीतिक परिधान को छोड़कर डॉ. यादव युके में भारतीयों के बीच सूटबूट और गले में मफलर डाले कॉर्पोरेट लूक में नजर आए। उन्होंने वहां एग्रीकल्चर, रेडीमेड, गार्मेंट, आॅटोमोबाइल, हेल्थ, सोया इंडस्ट्री, हैंडलूम, टूरिज्म, आयरन, रिनुएबल एनर्जी, सीमेंट, लॉजिस्टिक, होटल्स और आईटी के साथ ही खनीज के क्षेत्र में मप्र की बढ़ती धाक बताई। बोले कि मप्र ऐसा राज्य है, जहां बड़े कारोबारी समूहों का विश्वास बढ़ा है। इसीलिए अब मप्र की गिनती पिछड़े राज्यों में नहीं होती, बल्कि देश के तेजी से संपन्न होते राज्यों में से एक है मप्र।
उनका कहना है कि मप्र जैसी लैंडबैंक भारत के दूसरे राज्य में नहीं है। प्रदेश का आर्थिक और औद्योगिक विकास तूफानी रफ्तार पकड़ चुका है। फिर चाहे किसी भी सेक्टर की बात कर लें। कृषि से लेकर इन्फॉर्मेशन टेक्नोलॉजी तक में मप्र ने दूसरे राज्यों को अपना लोहा मनवाया है।
सरकार देगी आपका साथ
डॉ. यादव ने उद्योग नीति के साथ ही मप्र सरकार द्वारा उद्योगों को मुहैया कराई जा रही सुविधाओं की जानकारी दी। बताया कि गार्मेंट सेक्टर में हर लेबर पर 5 हजार रुपए महीना सरकार इंसेंटिव देगी। चार-छह महीने नहीं, 10 साल का कमिटमेंट होगा। अन्य सेक्टर्स की सुविधा-सहूलियत का भी ध्यान रखा जा रहा है।
यादगार होगी जीआईएस-2025
ब्रिटेन के बाद अब मुख्यमंत्री जर्मनी जाएंगे। ब्रिटेन के अपने अनुभव साझा करते हुए उन्होंने कहा कि भारत और विदेशों के कई निवेशक (विशेष रूप से ब्रिटेन और जर्मनी) हमारे राज्य में निवेश करने के इच्छुक हैं। मैं दावे से कहता हूं कि फरवरी में होने वाली ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट यादगार होगी।
संविधान में विश्वास…
डॉ. मोहन यादव की गिनती फायर ब्रांड हिंदू नेता के रूप में होती है, लेकिन वे संविधान में विश्वास रखते हैं। संविधान दिवस पर राष्ट्रपिता महात्मा गांधी और संविधान निर्माता डॉ. भीमराव आम्बेडकर की प्रतिमा पर माल्यार्पण करके उन्होंने दोनों के गुणों को आत्मसात करने की अपील की।
भरोसेमंद टीम के साथ हैं यादव
मुख्यमंत्री अकेले यूके नहीं गए हैं। उनके साथ सीनियर आईएएस और सीएस लेवल के अधिकारी राजेश राजौरा, राघवेंद्र सिंह, संजय दुबे के साथ ही चंद्रमौली शुक्ला जैसे भरोसेमंद अफसर हैं।

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पटवारी की बैठक सेबड़े नेताओं की दूरी…

हिन्दुस्तान मेल, इंदौर…जीतू पटवारी के प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष बनने के बाद प्रदेश कांग्रेस कमेटी (पीसीसी) की पहली बैठक गुरुवार को प्रदेश कांग्रेस कार्यालय में शुरू हो गई है । आज बैठक का अंतिम दिन है। बैठक के पहले दिन कई मुददों पर चर्चाए की गई, लेकिन जो विशेष बात पहले दिन देखने को मिली वह थी बड़े नेताओं द्वारा बैठक से किनारा कर लेना। इसके पीछे कारण यह बताया जा रहा है कि प्रदेश कांग्रेस के इन बड़े नेतओं ने 23 नवंबर के बाद पीसीसी की बैठक रखने के बोला था। लेकिन पटवारी ने उनकी नहीं सुनी तो सभी बड़े नेताओं ने बैठक से दूरी बना ली। हालांकि जीतू पटवारी द्वारा प्रदेश कांग्रेस कमेटी गठित करने के बाद से ही जिस तरह से विरोध के स्वर सामने आए थे और उसके बाद कुछ नेताओं ने अपने पद से इ्स्तीफा दिया था उसके बाद से ही यह अनुमान लगाया जा रहा था कि प्रदेश कांग्रेस कमेटी की पहली बैठक में कई नेता नदारत रहेंगे। बैठक के पहले दिन यही देखने को मिला। एक तरह से देखा जाए तो यह पीसीसी अध्यक्ष पटवारी की आगे की राजनीति के लिए सही नहीं है।
इस बैठक में वैसे तो कई नेता नदारद हैं लेकिन दो बड़े नेता कमलनाथ और दिग्विजय सिंह का नहीं आना कई सवालों का जन्म देता है । पार्टी सूत्रों के अनुसार जो नेता मौजूद थे उनमें जीतू पटवारी, कांतिलाल भूरिया, विवेक तन्खा, अशोक सिंह, ओमकार सिंह मरकाम, एनपी प्रजापति और विजयलक्ष्मी साधो प्रमुख थे। वहीं जो बड़े नेता नदारद थे उनमें कमलनाथ, दिग्विजय सिंह, अरूण यादव, विधानसभा नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंगार, अजय सिंह राहुल, डॉ. गोविंद सिंह, मीनाक्षी नटराजन, नकुल नाथ, कमलेश्वर पटेल, फूलसिंह बरैया, बाला बच्चन, आरिफ मसूद, शोभा ओझा, तरूण भनोत, प्रवीण पाठक और नीतू सिकरवार शामिल हैं।

पार्टी सूत्रों का कहना है कि वैसे तो पीसीसी की पहली बैठक में कई नेताओं ने कन्नी काटी लेकिन इस सूची में जो बड़े नाम शामिल है उनमें पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ और दिग्विजय सिंह के समर्थक अधिक है। पार्टी सूत्रों का कहना है कि दिग्विजय सिंह के समर्थकों का बैठक से किनारा कर लेना कई राजनीतिक प्रश्नों को जन्म देता है । क्योंकि आज जीतू पटवारी जिस राजनीतिक ओहदे पर विराजमान है, उसके पीछे दिग्विजय सिंह का बहुत बड़ा योगदान है । लेकिन इसके बाद भी उनके समर्थकों का बैठक में ना आना यह दशार्ता है कि दिग्गी राजा पटवारी के कार्य प्रणाली से संतुष्ट नहीं है।
24 दिन पहले बनी थी 177 सदस्यीय कार्यकारिणी
27 अक्टूबर को मध्यप्रदेश कांग्रेस की 177 सदस्यीय कार्यकारिणी की घोषणा की गई थी । प्रदेश अध्यक्ष की जिम्मेदारी संभालने के करीब 10 महीने बाद घोषित जीतू पटवारी की इस टीम में 17 उपाध्यक्ष, 71 महासचिव, 16 कार्यकारिणी सदस्य, 33 स्थाई आमंत्रित सदस्य और 40 विशेष आमंत्रित सदस्य बनाए गए। खास बात ये है कि पूर्व सीएम कमलनाथ, दिग्विजय सिंह, कांतिलाल भूरिया, अरुण यादव और विवेक तन्खा जैसे सीनियर लीडर्स को कार्यकारी सदस्य बनाया गया है । जीतू पटवारी की टीम में दिग्विजय सिंह के बेटे जयवर्धन सिंह को उपाध्यक्ष बनाया गया है ।

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इंदौर, उज्जैन, धार, पीथमपुर और देवास होंगे शामिल……

रीजनल प्लानिंग के लिए संभागायुक्त की अध्यक्षता में हुई बैठक में बनी सहमति
हिन्दुस्तान मेल, इंदौर
इंदौर मेट्रोपॉलिटन एरिया करीब 7500 वर्ग किमी का होगा। इसमें इंदौर, उज्जैन, धार, पीथमपुर और देवास का हिस्सा शामिल होगा। रीजनल प्लान बनने से सभी शहरों में नियोजित विकास पर काम होगा और प्लानिंग एरिया में किसी तरह की दिक्कत नहीं आएगी।
गुरुवार को रीजनल प्लानिंग के लिए संभागायुक्त दीपक सिंह की अध्यक्षता में हुई बैठक में इस पर सहमति बनी। अहम बात यह है कि मेट्रोपॉलिटन एरिया में 19 निकाय शामिल होंगे। प्लानिंग फाइनल करने के पहले शहरी योजना और विकास से जुड़े 20 विभागों से बिंदुवार रिपोर्ट तैयार करवाई जाएगी।
इस रिपोर्ट में विभागों के अगले 5 से 10 साल के डेवलपमेंट प्रोजेक्ट के लिहाज से क्या-क्या काम होना जरूरी है, उसका विस्तृत ब्योरा होगा। ये सारे बिंदु एक साथ कर मेट्रोपॉलिटन एरिया और उसका मास्टर प्लान फाइनल होगा। इसके लिए प्रशासन कंसल्टेंट मेहता एंड एसोसिएट्स एवं उनके दो एक्सपर्ट पुरुषोत्तम उत्तरवार और श्रीनिवासन की सेवाएं लेगा। श्रीनिवासन टीएंडसीपी के डायरेक्टर रह चुके हैं और उत्तरवार शहर विकास के एक्सपर्ट हैं और दिल्ली में कई प्रोजेक्ट के कंसल्टेंट हैं। इंदौर मेट्रोपॉलिटन एरिया का प्लान बेहतर बने, इसके लिए देश के कुछ बड़े शहरों की स्टडी की जाएगी। मेट्रो ट्रेन के लिए जरूरी शर्तों में मेट्रोपॉलिटन एरिया भी है, लिहाजा उज्जैन और पीथमपुर तक इसे विस्तार देने में भी परेशानी नहीं आएगी। अब तक 1600 से 3000 वर्ग किमी एरिया में इसे बनाने की बात हो रही थी, अब अगले 50 साल के हिसाब से इसे 7500 वर्ग किमी के बड़े हिस्से में लागू किया जा रहा है।
नियुक्त किए जाएंगे
नोडल अधिकारी
मेट्रोपॉलिटन एरिया के संबंध में विभिन्न विभागों से जो जानकारी लेना है, उसके लिए नोडल अधिकारी नियुक्त होंगे। बैठक में कान्ह और सरस्वती रिवर फ्रंट साइड डेवलपमेंट पर भी बात हुई। कलेक्टर आशीष सिंह, निगमायुक्त शिवम वर्मा, आईडीए सीईओ रामप्रकाश अहिरवार, स्मार्ट सिटी सीईओ दिव्यांक सिंह मौजूद थे।

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