सरकार ने आज सुबह चुनावी जमावट के चलते कुछ खास अफसरों को नई नियुक्तियां दी हैं। प्रशासनिक फेरबदल के चलते शिवराज के खास अफसरों में शुमार और सरकार के लिए टाइम लिमिट पर काम करने वाले आईएएस मनीष सिंह को नया जनसंपर्क आयुक्त बनाया गया है। इंदौर में शानदार काम करने वाले कलेक्टर रहे सिंह को अभी हाल में ही एमपीआईडीसी का प्रभार दिया गया था। जनसंपर्क में तेजतर्रार अफसर की कभी महसूस की जा रही थी।
चुनावी जमावट पर आज हुई नियुक्तियों पर खास बात यह है कि आदेश के जारी होते के साथ ही तुरंत सीएम शिवराजसिंह चौहान से मनीष सिंह ने मुलाकात की, साथ ही उनके पीएस मनीष रस्तोगी सहित आला अधिकारियों से सौजन्य भेंट की। दैनिक ‘हिंदुस्तान मेल’ से बातचीत करते हुए मनीष सिंह ने बताया कि यह नियुक्ति नहीं, यह महत्वपूर्ण सेगमेंट है सरकार का, जिसमें महती जिम्मेदारी होती है। मुझे सरकार ने और सीएम शिवराज सिंहजी ने जो जिम्मेदारी दी है, उसे पूरा करने का भरपूर प्रयास करूंगा। उल्लेखनीय है कि जनसंपर्क आयुक्त राघवेंद्रसिंह को प्रमुख सचिव खनिज, नवनीत कोठारी को एमडी एमपीआईडीसी और आईएएस विवेक पोरवाल को सचिव जनसंपर्क विभाग की जिम्मेदारी सौंपी गई है।
इंदौर को नंबर वन बनाने वाले मनीष सिंह अब सीपीआर
के रूप में सरकार को भी नंबर वन बनाएंगे
राज्य सरकार ने चौंकाने वाले तबादला आदेश में मनीष सिंह को आयुक्त जनसंपर्क बना दिया है। उनके वर्तमान पद पर नवनीत कोठारी एमडी एमपीआईडीसी पदस्थ किए गए हैं। इंदौर को नंबर वन का तमगा दिलाने वाले मनीष सिंह को ऐन चुनाव से पहले सरकार की योजनाओं का और बेहतर प्रचार कर शिवराज सरकार को भी बाकी राज्यों के मुकाबले नंबर वन बनाने का टॉस्क मिला है। सीपीआर राघवेंद्र सिंह को प्रमुख सचिव खनिज निगम का दायित्व दिया है। ऐसा नहीं कि राघवेंद्र सिंह खरे साबित नहीं हुए, उन्हें खनिज निगम का दायित्व सौंपकर सरकार उन आरोपों और मनमानी को भी सख्ती से दबाना चाहती है कि खनिज माफिया बेलगाम हो चुके हैं, विभाग की सख्ती नहीं है।
मनीष सिंह को आयुक्त जनसंपर्क बनाने से एक बार फिर मुहर लगी है कि यह पद उन आईएएस को सौंपना सरकार को अधिक बेहतर लगता है, जो पहले इंदौर कलेक्टर रहे हों- भागीरथ प्रसाद, मनोज श्रीवास्तव, विवेक अग्रवाल, सुधिरंजन मोहंती, गोपालरेड्डी, पी. नरहरि ये सब हाल के दो-तीन दशक के वो आईएएस रहे हैं, जो सीपीआर भी रहे हैं। मनीष सिंह आयुक्त जनसंपर्क और इस विभाग के सचिव विवेक पोरवाल पदस्थ किए गए हैं। चुनावी साल में मनीष सिंह के लिए सीपीआर की कुर्सी न तो चुनौतीपूर्ण है और न ही उन्हें दहाड़ना पड़ेगा। इंदौर की प्रेस हो या प्रदेश का मीडिया… संबंधों को जीवंत रखना और मीडिया की परेशानियों का हल निकालने जैसी खासियतें ही रहीं कि जब कलेक्टर इंदौर के रूप में इलैया राजा टी को पदस्थ किया गया, तभी माना जा रहा था कि सीपीआर की कुर्सी उनका इंतजार कर रही है। निर्णय कुछ विलंब से हुआ तो उसकी वजह यह भी रही होगी कि सरकार उनकी काबिलियत का उपयोग पहले मेट्रो के काम को अंजाम तक पहुंचाने के लिए करना चाहती थी। चुनाव से पहले कुछ डिब्बे कुछ स्टेशन तक तो ट्रॉयल रन में दौड़ते नजर आ ही जाएंगे, यह भी उनके खाते में सरकार के सपने को पूरा करना माना जाएगा। अब उनके जिम्मे सरकार की छवि और उसकी योजनाओं को चुनाव से पहले जीत की पटरियों पर दौड़ाने का काम है, हर विभाग में सफलता का पर्याय रहे मनीष सिंह यहां भी असफल तो नहीं होंगे।