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INS Nistar: नौसेना को मिला पहला स्वदेशी डीप सबमर्जेंस वाहन, बेहद खास तकनीक कुछ ही देशों के पास

भारतीय नौसेना को मिला पहला स्वदेशी डीएसवी ‘आईएनएस निस्तार’, गहराई में जाने की क्षमता से लैस

विशाखापत्तनम: भारतीय नौसेना की ताकत में एक और अहम इजाफा हुआ है। रक्षा मंत्री संजय सेठ की मौजूदगी में नौसेना के बेड़े में देश का पहला स्वदेशी डाइविंग सपोर्ट वेसल (DSV), INS Nistar शामिल कर लिया गया। 118 मीटर लंबा और 10,000 टन वजनी यह युद्धपोत समुद्र में 300 मीटर की गहराई तक जाने में सक्षम है, और यह विशेष उपकरणों से लैस है जो गहरे समुद्र में राहत, मरम्मत और बचाव कार्यों में बेहद मददगार होंगे।

🌊 समुद्री सुरक्षा में नई क्रांति

INS Nistar को विशाखापत्तनम स्थित नेवल डॉकयार्ड में भारतीय नौसेना को सौंपा गया। इसका डिज़ाइन और निर्माण पूरी तरह भारत में ही हुआ है, जिसे हिंदुस्तान शिपयार्ड लिमिटेड ने 8 जुलाई 2025 को तैयार किया था। यह पोत DSRV (Deep Submergence Rescue Vehicle) के लिए मदर शिप का कार्य करेगा, जिससे पनडुब्बियों में आपात स्थिति आने पर एक हजार मीटर तक गहराई में जवानों को उतारा जा सकता है।

🛡 आत्मनिर्भर भारत की बड़ी छलांग

INS Nistar का निर्माण भारतीय शिपिंग रजिस्टर के नियमों के अनुसार हुआ है और इसमें प्रयुक्त 80% उपकरण स्वदेशी हैं। इसके निर्माण में 120 से अधिक MSME कंपनियों ने भागीदारी की, जो रक्षा क्षेत्र में भारत की आत्मनिर्भरता को दर्शाता है।

🗣 नेताओं की प्रतिक्रियाएं

रक्षा राज्य मंत्री संजय सेठ ने कहा,

“भारतीय नौसेना का इतिहास गौरवशाली रहा है और INS Nistar उस पर एक नया स्वदेशी अध्याय जोड़ता है। भारत अब हथियारों का आयातक नहीं, निर्यातक बनता जा रहा है।”

उन्होंने यह भी जानकारी दी कि भारत अब तक ₹23,622 करोड़ के हथियार निर्यात कर चुका है, और सरकार का लक्ष्य ₹50,000 करोड़ तक का निर्यात है।

नौसेना प्रमुख एडमिरल दिनेश के त्रिपाठी ने कहा,

“INS Nistar के आने से हमारी डाइविंग क्षमता और गहराई में संचालन की शक्ति में जबरदस्त इजाफा होगा।”

🌍 गिनी-चुनी ताकतों में भारत

विश्व के सिर्फ कुछ ही देशों के पास ऐसा अत्याधुनिक डाइविंग सपोर्ट वेसल है। INS Nistar न केवल एक तकनीकी उपलब्धि है बल्कि यह भारत के ‘हथियारों के आयातक से निर्यातक’ बनने के सफर की बड़ी मिसाल भी है।

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