
हिन्दुस्तान मेल, भोपाल
नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) की सेंट्रल रीजनल बेंच ने बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व में प्रस्तावित दर्शन यात्रा पर कहा है कि इस तरह की यात्रा से जंगल के इकोसिस्टम पर असर होगा। एनजीटी ने आदेश दिया है कि प्रधान मुख्य वन संरक्षक (पीसीसीएफ) एक विशेषज्ञ समिति का गठन करें, जो चार सप्ताह के भीतर सिफारिशें प्रस्तुत करेगी। यह समिति यात्रा के लिए नियम बनाएगी और इकोसिस्टम को होने वाले नुकसान को रोकने के लिए सुझाव देगी। भोपाल स्थित राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) की बेंच ने यह फैसला 13 दिसंबर 2024 को दिया है।
वाइल्ड लाइफ एक्टिविस्ट अजय शंकर दुबे की याचिका पर अधिवक्ता हर्षवर्धन तिवारी ने पैरवी की। दुबे ने बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व के कोर क्षेत्र में प्रस्तावित दर्शन यात्रा के खिलाफ याचिका दायर की। यह यात्रा श्रीसद्गुरु कबीर धर्मदास साहब वंशावली द्वारा आयोजित की जानी है। याचिका में कहा गया है कि यात्रा टाइगर रिजर्व के सेंसिटिव इकोसिस्टम और वन्यजीव संरक्षण के प्रयासों के लिए गंभीर खतरा हो सकती है। वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम 1972, वन (संरक्षण) अधिनियम 1980 और पर्यावरण (संरक्षण) अधिनियम 1986 का उल्लंघन करती है।
कबीर गुफा, कबीर चबूतरा पर लगता मेला
याचिका में कहा गया कि बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व भारत के प्रोजेक्ट टाइगर का एक अभिन्न हिस्सा है। इसका कोर एरिया विशेष रूप से बाघों और अन्य लुप्तप्राय: वन्य जीव प्रजातियों के संरक्षण के लिए आरक्षित है। इस कोर क्षेत्र में किसी भी प्रकार की मानवीय गतिविधियों की अनुमति नहीं है, ताकि पर्यावरणीय संतुलन और जैव विविधता को बनाए रखा जा सके। याचिका में यह बताया गया कि इस दर्शन यात्रा के कारण पार्क के इकोसिस्टम पर गंभीर प्रभाव पड़ेगा। यहां लोगों के प्रवेश से वन्यजीवों का प्राकृतिक व्यवहार और प्रजनन चक्र बाधित होगा। उल्लेखनीय है कि उमरिया जिले के बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व के कोर एरिया में कबीर गुफा और कबीर चबूतरा है। हर साल अगहन पूर्णिमा पर यहां मेला लगता है।