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नई दिल्ली, एजेंसी
संसद का शीतकालीन सत्र शुरू हो गया है। इस सत्र में वक्फ बोर्ड पर नया बिल आ सकता है। इस बिल को मॉनसून सत्र में लोकसभा में पेश किया गया था,लेकिन बाद में इसे संयुक्त संसदीय समिति यानी जेपीसी को भेज दिया गया था। इस बिल पर जेपीसी की बैठक में कई बार हंगामा हुआ। अब जब इसे संसद में पेश किया जाएगा तो हंगामा होना तय है। पर सवाल उठता है कि संशोधन की जरूरत क्यों? वक्फ बोर्ड को नियंत्रित करने वाला कानून 1954 से है। अब सरकार इसमें संशोधन करने जा रही है। सरकार का दावा है कि नया कानून, मौजूदा कानून की खामियों को दूर करेगा। साथ ही वक्फ की संपत्तियों का पहले से बेहतर मैनेजमेंट हो सकेगा। वक्फ की संपत्तियां अक्सर विवादों में रहती है। वो इसलिए क्योंकि ऐसी संपत्तियां अल्लाह के नाम पर होती हैं और इनका कोई वारिस नहीं होता। हालांकि, 1998 में सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा था कि एक बार जो संपत्ति वक्फ हो जाती है, वो हमेशा वक्फ रहती है।
दिल्ली में 200 से ज्यादा संपत्तियों
को वक्फ घोषित
हाल ही में वक्फ की कई संपत्तियों पर विवाद खड़ा हुआ है। हाल ही में एक रिपोर्ट आई थी, जिसमें दावा किया गया था कि दिल्ली में 200 से ज्यादा ऐसी संपत्तियों को वक्फ की संपत्ति घोषित कर दिया गया है, जो दो अलग-अलग सरकारी एजेंसियों के नियंत्रण में थीं। सितंबर में इकोनॉमिक टाइम्स की रिपोर्ट में बताया था कि वक्फ घोषित की गईं 108 संपत्तियों का नियंत्रण एल एंड डीओ के पास था, जबकि 138 संपत्तियां दिल्ली डेवलपमेंट अथॉरिटी के पास थीं। ये जानकारी अधिकारियों ने संसद की जेपीसी को दी थी।
इस्लाम को मानने वाला व्यक्ति अल्लाह या धर्म के नाम पर दान करता है
वक्फ कोई भी चल या अचल संपत्ति होती है, जिसे इस्लाम को मानने वाला व्यक्ति अल्लाह या धर्म के नाम पर दान करता है। एक बार जो संपत्ति वक्फ की हो गई, वो हमेशा वक्फ की ही रहती है। माना जाता है कि अल्लाह के अलावा वक्फ संपत्ति का मालिक न कोई होता है और न हो सकता है। ऐसी संपत्ति किसी के नाम भी नहीं की जा सकती। जानकार बताते हैं कि किसी संपत्ति को वक्फ कर देना का मतलब है उसे अल्लाह के नाम कर देना। वक्फ संपत्ति से जो भी फायदा होता है, उसका इस्तेमाल जरूरतमंदों के लिए किया जाता है।
इस्लाम को मानने वाला जो व्यक्ति अपनी संपत्ति दान करता है, उसे वाकिफ कहा जाता है। ऐसी संपत्ति का प्रबंधन करने वाले को मुतवल्ली कहा जाता है। इन संपत्तियों के प्रबंधन की निगरानी वक्फ बोर्ड के पास होती है। हर राज्य में वक्फ बोर्ड है। झारखंड और यूपी में शिया और सुन्नी के अलग-अलग वक्फ बोर्ड हैं। कुल मिलाकर देशभर में 32 वक्फ बोर्ड हैं। वक्फ बोर्ड से ऊपर सेंट्रल वक्फ काउंसिल होती है।
404 एकड़ जमीन पर वक्फ बोर्ड दावा
केरल में काफी लंबे वक्त से वक्फ की संपत्ति को लेकर विवाद चल रहा है। केरल के एनार्कुलम जिले में पड़ने वाले मुनम्बम तट के पास की 404 एकड़ जमीन पर वक्फ बोर्ड लंबे वक्त से दावा कर रहा है। इस जमीन पर 600 से ज्यादा हिंदू और ईसाई परिवार रहते हैं।
वक्फ बोर्ड के पास 8.72 लाख से ज्यादा संपत्ति
केंद्र सरकार के मुताबिक, दुनिया में सबसे ज्यादा वक्फ संपत्तियां भारत में हैं। वक्फ बोर्ड के पास 8.72 लाख से ज्यादा संपत्तियां हैं, जो 9.4 लाख एकड़ में फैली हैं। इनकी अनुमानित कीमत 1.2 लाख करोड़ रुपये है। रेलवे और रक्षा विभाग के बाद सबसे ज्यादा संपत्ति वक्फ बोर्ड के पास ही है।

                   वक्फ संपत्ति
  1. तमिलनाडु के तिरुचेंतुरई गांव की पूरी जमीन को वक्फ की संपत्ति घोषित किया गया है। कहा जाता है कि इस जमीन को 1956 में नवाब अनवरदीन खान ने वक्फ के लिए दान कर दिया था। वक्फ की संपत्ति होने के कारण यहां की जमीन की खरीद-फरोख्त पर रोक है। जमीन की गैरकानूनी बिक्री रोकने के लिए वक्फ बोर्ड ने इसे ह्यजीरो वैल्यूह्ण के तौर पर रजिस्टर करने की मांग की थी। हालांकि, अल्पसंख्यक मंत्रालय ने यहां के किसी भी तरह के लेन-देन पर रोक लगा दी है।
  2. बेंगलुरु के ईदगाह ग्राउंड पर भी विवाद है। सरकार के मुताबिक, यहां की जमीन कभी भी किसी मुस्लिम संगठन या वक्फ को नहीं दी गई। लेकिन वक्फ बोर्ड का दावा है कि 1850 से ये वक्फ की संपत्ति है, इसलिए हमेशा वक्फ की ही संपत्ति रहेगी।
  3. हाल ही में गुजरात वक्फ बोर्ड ने सूरत नगर निगम की बिल्डिंग पर दावा किया था। वक्फ बोर्ड का दावा है कि मुगल काल के दौरान सूरत नगर निगम की इमारत एक सराय थी और हज यात्रा के दौरान इसका इस्तेमाल होता था। ब्रिटिश शासन के दौरान ये संपत्ति अंग्रेजों के पास चली गई। लेकिन 1947 में जब आजादी मिली तो सारी संपत्तियां भारत सरकार के पास आ गई।
  4. गुजरात वक्फ बोर्ड ने द्वारका में बेट द्वारका के दो द्वीपों पर भी दावा किया था। इस पर दावे की मांग को लेकर वक्फ बोर्ड ने हाईकोर्ट में याचिका भी दाखिल की थी। हालांकि, हाईकोर्ट ने इस याचिका को ये कहते हुए सुनने से इनकार कर दिया था कि वक्फ बोर्ड कृष्ण नगरी द्वारका की जमीन पर दावा कैसे कर सकता है।
  5. सूरत की शिव सोसायटी में रहने वाले एक शख्स ने अपने प्लॉट को गुजरात वक्फ बोर्ड को दे दिया। इसके बाद यहां लोगों ने नमाज अदा करना शुरू कर दिया। इसका मतलब ये था कि किसी भी हाउसिंग सोसायटी में कोई व्यक्ति किसी अपार्टमेंट या जमीन को बाकी लोगों की मंजूरी के बिना वक्फ को दे सकता है और वो जगह मस्जिद बन सकती है। अब यहां काफी तनाव बना रहता है।
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