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विरोध के डर से पटवारी ने चुनाव परिणाम से पहले रख ली बैठक

हिन्दुस्तान मेल, इंदौर
पार्टी सूत्रों का कहना है कि इसी के चलते पटवारी ने अपनी नवगठित प्रदेश कांग्रेस कार्यकारिणी की पहली बैठक मप्र में हुए उपचुनाव (बुधनी और विजयपुर) के परिणाम के पहले रखी है। आज और कल यह बैठक आयोजित की गई है। क्योंकि पटवारी को अमास है कि अगर यह बैठक उपचुनाव परिणाम के बाद रखी जाती तो बैठक के दौरान ही विरोध के स्वर उठ सकते थे। सूत्रों का कहना है कि तभी यह बैठक 21 और 22 नवंर को रखी गई है, जबकि 23 नवंबर को उपचुनाव के परिणाम आना है। राजनीतिक जानकारों का मानना है कि दोनों विधानसभा सीटों पर कांग्रेस की राजनीतिक स्थित बेहतर नहीं है। अगर बात करें विजयपुर विधानसभा की तो यह सीट कांग्रेस के रामनिवास रावत के विधानसभा सदस्यता से इस्तीफे के बाद खाली हुई थी। रावत लोकसभा चुनाव से पहले कांग्रेस छोड़कर भाजपा में शामिल हो गए थे तो वहां उपचुनाव हुए। वहीं बुधनी विधानसभा सीट केंद्रीय मंत्री शिवराज सिंह चौहान के इस्तीफा देने के बाद खाली हुई थी। बुधनी से शिवराज सिंह चौहान लगातार कई बार विधायक रहे है।
कांग्रेसियों को जीत की उम्मीद कम
राजनीतिक गलियारों से जिस तरह की खबरें आ रही है, उससे यह प्रतीत हो रहा है कि प्रदेश की दोनों विधानसभा सीटों में कांग्रेस की जीतने की संभावना नाममात्र की है। कांग्रेसियों को भी ऐसी कोई उम्मीद नहीं है। इसके पीछे कारण यह बताया जा रहा है कि बुधनी में कांग्रेस का जनाधार नहीं है। हालांकि कांग्रेस ने यहां से पुराने नेता राजकुमार पटेल को मैदान में उतारकर चुनाव को रोचक बनाने की कोशिश की थी, किन्तु प्रचार में ऐसा कुछ भी देखने को नहीं मिला। बुधनी का पूरा चुनाव भाजपा ने शिवराज सिहं चौहान के नाम पर लड़ा है और प्रचार करने के लिए वे यहां पर आए भी थे। रमाकांत भार्गव तो नाम मात्र के प्रत्याशी भर थे। जहां तक रही बात विजयपुर विधानसभा सीट की। तो इस सीट के बारे में एक कांग्रेसी का कहना है कि शुरूआती दौर में विजयपुर विधानसभा सीट में कांग्रेस की स्थिति बेहतर थी। अगर पीसीसी अध्यक्ष सही रणनीति बनाकर चलते तो कांग्रेस यहां पर फिर जीत सकती थी। लेकिन वे नेताओं से आपसी समन्वय नहीं बैठा पाए। इसलिए अंतिम समय में यहं सीट भी कांग्रेस के हाथ से निकल गई।

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