
हिन्दुस्तान मेल, इंदौर
गुड्स एंड सर्विस टैक्स (जीएसटी) लागू होने के बाद टैक्स चोरी पर लगाम कसने के जितने दावे किए जा रहे थे, उन्हें अफसरों की मिलीभगत ने हवा कर दिया। सूत्रों की मानें तो प्रदेश में विभिन्न राज्यों से आ रहे वाहनों को सरकारी नजर से बचाने के लिए सरहद से लेकर चीफ कमिश्नरेट आॅफिस तक दलालों का सिंडिकेट सक्रिय है। ये सिंडिकेट मप्र सीजीएसटी और एसजीएसटी में 500 करोड़ रु. साल से ज्यादा की टैक्स चोरी को अंजाम दे रहा है। ये रकम अफसरों और दलालों के बीच बंट रही है।
सीजीएसटी में दलालों का नेटवर्क तगड़ा है। इतना कि अफसरों की ट्रांसफर-पोस्टिंग में भी उनकी अपनी रुचि रहती है। दलालों का नेटवर्क इंदौर से लेकर सेंधवा तक फैला है। सूत्रों के अनुसार रोजाना कई ट्रक माल की आवाजाही गुजरात और महाराष्ट्र से होती है। दलालों का काम है गाड़ियों को सुरक्षित एक सरहद से दूसरी सरहद तक पहुंचाना। इसमें इंदौर और उज्जैन कमिश्नरेट के साथ ही भोपाल में बैठे अफसरों की दया भी दलालों पर कायम है। दया के बदले अफसरों को दलालों की ‘दुआ’ हर महीने मिल जाती है, वह भी मनमाफिक… जो तय अफसर ही करते हैं। मालवा और निमाड़ के लोहा, जीरा, रेडीमेड के साथ ही गुटखा-तम्बाकू पर ज्यादा मेहरबानी है। बताया जा रहा है कुछ गुटखा ब्रॉण्ड हैं, जिन पर कार्रवाई के लिए भोपाल में बैठे अफसरों ने ही हाथ अड़ा रखा है। जिन्होंने कार्रवाई की, ऐसे अफसरों के ट्रांसफर करके उन्हें लूपलाइन में डाल दिया गया। अब मैदानी अमला टैक्स चोरों से नहीं, अपने अफसरों से डरता है। भोपाल में बैठे प्रदेश के एक बड़े अफसर को हर महीने 10 लाख रुपए का पैकेट हवाला के जरिए दिल्ली से भोपाल पहुंचाया जाता है।