
इंदौर। बप्पा सीताराम रिनूवल एनर्जी में कार्यरत दीपक हार्डिया की शिकायत पर लोकायुक्त ने वेस्ड डिस्कॉम के बाबू जगदीश बरौनिया को 2000 रुपए की रिश्वत के साथ रंगेहाथ पकड़ा है। सोलर प्लांट के नेट मीटर की स्वीकृति के लिए फाइल को विद्युत विभाग से आगे बढ़ाने ये पैसा मांगा था। इस तरह से डिमांड करने वाले बरौनिया अकेले नहीं है। मप्र पश्चिम क्षेत्र बिजली वितरण कंपनी में ऐसे बाबुओं की भरमार है। हालांकि बाबू सीढ़ी है, जिससे होकर पैसा डिवीजनल इंजीनियर तक पहुंचता है।
बिजली कंपनी भ्रष्टाचार का बड़ा अड्डा है। मैदान से लेकर मुख्यालय तक भ्रष्टाचार की जड़ें गहरी हैं। ऊपर वाले प्रोजेक्ट इम्पलीमेंट के नाम पर खेल दिखाते हैं, वहीं मैदानी अमला उपभोक्ताओं की जेब निचोड़ने से पीछे नहीं हटता। नए कनेक्शन और सोलर मीटर के नाम पर अनावश्यक वसूली की सबसे ज्यादा शिकायतें मालवा मिल, सुखलिया, लोहामंडी, महालक्ष्मीनगर जैसे इलाकों में आती हैं, जहां बिना अर्थ के बिजली अधिकारी करंट नहीं पकड़ते।
सोमवार को लोकायुक्त दस्ते ने कंपनी में सहायक ग्रेड प्रथम पद पर कार्यरत जगदीश बरौनिया को पकड़ा। दीपक की शिकायत के सत्यापन के बाद सोमवार को लोकायुक्त ने बरौनिया को रंगे हाथ पकड़ा। आरोपी के खिलाफ भ्रष्टाचार निवारण संशोधन अधिनियम-2018 की धारा 7 के तहत मामला दर्ज कर लिया गया है।
ट्रेप कार्रवाई में प्रमुख सदस्य
इस कार्रवाई में लोकायुक्त इंदौर के ट्रेप दल के सदस्य डीएसपी आरडी मिश्रा, निरीक्षक प्रतिभा तोमर, आदित्य भदौरिया, रहीम खान, चेतन परिहार, विजय कुमार, आशीष नायडू और शिव प्रकाश पराशर ने अहम् भूमिका निभाई।
ऐसे काम करता है सिस्टम
जब भी कोई उपभोक्ता बिजली मीटर के लिए आवेदन करता है तो पहले उससे लोड की जानकारी ली जाती है। मान लो यदि 3 किलोवॉट का सामान्य कनेक्शन लेना है तो आपके आवेदन पर असिस्टेंट इंजीनियर और जूनियर इंजीनियर नक्शा बनाते हैं। सर्वे रिपोर्ट लगाकर फाइल आगे बढ़ाते हैं। 100 एचपी तक की फाइल करने का अधिकार डिवीजन इंजीनियर को है और हर क्षमता के कनेक्शन की अपनी अलग कीमत है, जो तय करने का अधिकार डिवीजन इंजीनियरों ने अपने बाबुओं को सौंप रखा है। बाबू एई-जेई से मिली फाइल पर पैसा वसूलते हैं।
बिना पैसे के काम नहीं होता
मीटर बदलने के लिए ठेकेदार को कंपनी प्रतिमीटर 125 रुपए देती है, जबकि ठेकेदार के लोग उपभोक्ताओं से 200 रुपए वसूलते हैं। बिजली कंपनी की ओर से कहीं सार्वजनिक सूचना नहीं की जाती कि मीटर बदलने के पैसे नहीं लगते। लेन-देन के खेल में स्थायी बाबुओं के साथ ही संविदा पर लगे या आउट सोर्स कर्मचारियों ने भी धीरे-धीरे महारथ हासिल कर ली है। इंदौर में चार डिवीजन कार्यालय हैं… पूरब, पश्चिम, उत्तर, दक्षिण। एक डिवीजन के अंडर में 5-6 सब डिवीजन आॅफिस हैं। हर एक में दो-तीन फाइल रोज आती हैं। यदि एक फाइल पर औसत 2500 रुपए भी मिलते हैं और एक-एक सब डिवीजन में एक-एक फाइल भी होती है तो डीई साहब को महीने के 3.75 लाख का न्यूनतम चढ़ावा मिल जाता है।
एक लाख की रिश्वत के
साथ जेई पकड़ाया
25 अक्टूबर को ही लोकायुक्त पुलिस ने कंपनी के जूनियर इंजीनियर पुष्पेंद्र साहू और आउटसोर्स कर्मचारी अजरूद्दीन को 1 लाख रुपए की रिश्वत लेते हुए गिरफ्तार किया है। यह गिरफ्तारी सुभाष चौक स्थित कार्यालय में हुई है, जिसमें आरोपी जूनियर इंजीनियर और आउटसोर्स कर्मचारी ने फरियादी चाणक्य शर्मा के घर पर कमर्शियल कनेक्शन से घरेलू कनेक्शन देने के एवज में 2 लाख रुपए की डिमांड की थी।
लोकायुक्त पुलिस ने फरवरी-2024 में देपालपुर निवासी प्रेमसिंह जाट की शिकायत पर लाइनमैन बंटी परमार को 40 हजार रुपए की रिश्वत के साथ पकड़ा था। जाट के खेत में डीपी लगाई थी। 95 हजार रुपए जमा कराए थे। रसीद नहीं दी। रसीद मांगी तो 40 हजार मांगे। न देने पर डीपी दूसरे जगह शिफ्ट करने की धमकी दी थी।
मुख्यालय में भी भ्रष्टाचार
बिजली कंपनी के बुनियादी ढांचे को मजबूत करने के लिए वर्ष 2004 से 2024 के बीच केंद्र सरकार आधा दर्जन से अधिक योजनाएं लेकर आई थी, जो तकरीबन 10 हजार करोड़ से ज्यादा की थीं। इन योजनाओं के क्रियान्वयन में मुख्यालय में बैठे अफसरों ने खूब चांदी काटी। ईओडब्ल्यू और लोकायुक्त से लेकर भोपाल तक सैकड़ों शिकायतें पेंडिंग हैं। केस दर्ज नहीं हुए, क्योंकि कंपनी के अफसर अर्थिंग मिलने के बाद पॉवर में हैं।