काशी, एजेंसी। ये पंडित गणेश्वर शास्त्री द्रविण हैं। अयोध्या में श्री रामलला की प्राण-प्रतिष्ठा का मुहूर्त आपने ही निकाला है। इससे पहले काशी विश्वनाथ कॉरिडोर और राम मंदिर के शिलान्यास का मुहूर्त भी दिया था। उनके परदादा ने दक्षिण से यहां आकर इसकी शुरुआत की थी। कहते हैं… उनके दादा जब काशी पहुंचे तो यहां के पंडितों ने उनकी बकायदा परीक्षा ली थी, तब जाकर उन्हें काशी में रहने का मौका मिला था। अमर शहीद राजगुरु यहां के स्टूडेंट रह चुके हैं।