लगातार प्रधानमंत्री मोदी के प्रदेश दौरों के बाद गृहमंत्री अमित शाह की प्रदेश के नेताओं के साथ बैठकों के दौर के चलते इन सभी की बॉडी लैंग्वेज समर्पण और सहयोग वाली नजर आने लगी है। अभी जो थोड़ी बहुत अकड़ रही भी होगी तो 30 जुलाई को इंदौर में अमित शाह के बूथ कार्यकर्ता सम्मेलन में आगमन, 12 अगस्त को सागर में संत रविदास मंदिर के शिलान्यास, उसके बाद सितंबर में कार्यकर्ता महाकुंभ में प्रधानमंत्री मोदी के भोपाल आगमन बाद भाजपा में एकता का सागर हिलोरे मारने लगेगा। अपने-अपने क्षेत्रों में भले ही इन नेताओं का दबदबा हो, मुख्यमंत्री की इनसे पटरी न बैठती हो, पर इन नेताओं को चुनाव संचालन संबंधी विभिन्न समितियों का दायित्व सौंपकर अमित शाह ने यह भी समझा दिया है कि जैसे उनके सामने एक जाजम पर मुस्कराते नजर आते हैं…यही सामंजस्य तब भी नजर आना चाहिए, जब विकास यात्रा या चुनावी सभा में एक-दूसरे के क्षेत्र में कार्यकर्ताओं के बीच जाएं। इस चुनाव में दिल्ली के सर्वेसर्वा इस बात से चिंतित हैं कि मुख्यमंत्री चौहान की योजनाएं अपनी जगह हैं और कार्यकर्ताओं की नाराजगी अपनी जगह, इसलिए संगठन में यह संदेश देने के लिए है कि भाजपा का हर कार्यकर्ता उसकी नींव का पत्थर है।