मणिपुर के मुद्दे को लेकर संसद के दोनों सदनों में हंगामा और गतिरोध जारी है। विपक्षी दल इस मुद्दे पर संसद में पीएम मोदी के बयान और चर्चा की मांग कर रहे हैं, जबकि सत्तापक्ष ने आरोप लगाया कि हम चर्चा के लिए तैयार हैं, लेकिन विपक्षी नेता ही भाग रहे हैं। इस बीच विपक्ष ने लोकसभा में सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पेश किया। प्रस्ताव पर चर्चा अभी पेंडिंग है, वहीं मोदी सरकार ने अविश्वास प्रस्ताव पेंडिंग रहने के दौरान लोकसभा में दो बिल और राज्यसभा में एक बिल पास करा लिए हैं। कांग्रेस ने इस पर आपत्ति जाहिर की है।
राज्यसभा में 1 बिल पास हुआ – राज्यसभा ने सिनेमैटोग्राफ (संशोधन) बिल पास किया, जिसमें पायरेसी के लिए 3 साल की जेल और प्रोडक्शन कॉस्ट का 5% जुर्माने का प्रस्ताव है।
लोकसभा में 2 बिल पास हुए – जन विश्वास संशोधन और रिपील एंड अमेंडमेंट बिल पारित हुए।
मनीष तिवारी ने उठाए सवाल – विपक्ष ने इस बात पर ऐतराज जताया है कि जब सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पेंडिंग है तो ऐसे में विधायी कार्य कैसे कराया जा सकता है? कांग्रेस सासंद मनीष तिवारी ने ट्वीट किया- यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि लोकसभा में हंगामे के बीच एक के बाद एक बिल पारित किए जा रहे हैं। कौल और शेखदार पेज 772 में संसद की कार्यप्रणाली और प्रक्रिया बहुत स्पष्ट है। जब अविश्वास प्रस्ताव लाने के लिए सदन की अनुमति मिल गई हो तो सरकार द्वारा नीतिगत मामलों पर कोई भी ठोस प्रस्ताव तब तक सदन के समक्ष नहीं लाया जाना चाहिए, जब तक कि अविश्वास प्रस्ताव का निबटारा न हो जाए।
स्पीकर ने दिया ये जवाब- लोकसभा स्पीकर ने कहा कि नियम 198 सब-क्लॉज 2 के तहत अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा की तारीख स्पीकर द्वारा तय की जाती है। ऐसा प्रस्ताव स्वीकार करने के 10 दिनों के भीतर होता है। स्पीकर की ओर से कहा गया- परंपरा यह है कि चर्चा का समय सभी दलों से बातचीत के बाद तय किया जाता है।