दिल्ली का नया संसद भवन 2 साल में बनकर तैयार हो गया है, लेकिन इंदौर नगर निगम का परिषद् भवन सात साल गुजर जाने के बाद भी नही बन पाया है। स्थिति यह है कि निगम परिषद् सम्मेलन शहर की महंगी होटलों में करना पड़ रहे हैं, जिस पर अभी तक करोड़ों खर्च हो चुके हैं।
नगर निगम द्वारा जनता की सहूलियत के इंदौर में अनेक विकास कार्य किए जा रहे हैं, लेकिन निगम समय पर अपना विकास नहीं कर पा रहा है। इसका जीता जगता उदाहरण है… नगर निगम परिषद का नया भवन। यह भवन सात साल में भी बनकर तैयार नहीं हो पाया है। निगम द्वारा निगम मुख्यालय के परिसर में परिषद् भवन बनाया जा रहा है। इस भवन के निर्माण के लिए 2014 में तत्कालीन महापौर कृष्णमुरारी मोघे के कार्यकाल में आधारशिला रखी गई थी। पांच मंजिला भवन दो साल यानि 2016 तक बनकर तैयार हो जाना चाहिए था, लेकिन हालत यह है कि सात साल बीत जाने के बाद भी काम अधूरे पड़े हैं।
निर्माण एजेंसी की ढिलाई के साथ अफसर भी जिम्मेदार
नोट करने लायक तथ्य यह है कि दिल्ली का नया विशाल संसद भवन 2 साल में बनकर तैयार हो गया है, लेकिन निगम का परिषद् भवन सात साल में भी नहीं बन सका है। दो महापौर कृष्णमुरारी मोघे व मालिनी गौड़ अपना कार्यकाल पूरा कर चुके हंै। करीब 18 करोड़ की लागत से बन रहे परिषद् भवन का निर्माण कार्य अभी तक पूरा नहीं हो पाने के पीछे निर्माण एजेंसी की ढिलाई तो जिम्मेदार है ही साथ ही अफसर भी कम जिम्मेदार नहीं है। भवन को लेकर विभिन्न खास कारणों से भाजपा शासित परिषद् के पूर्व कर्ताधर्ताओं की आपसी खींचतान भी एक प्रमुख वजह है। निर्माण एजेंसी को समय पर भुगतान नहीं होना भी एक कारण माना जा रहा है। वर्तमान में स्थिति यह है कि पांच मंजिला भवन की एक मंजिला पर विभिन्न कार्यालय संचालित हो रहे हंै।