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कभी रोजी-रोटी के थे वांदे… रोजगार मिलने से जिंदगी खुशहाल

महाकाल मंदिर, महाकाल लोक, मैहर, चित्रकूट, मांडू समेत अन्य स्थानों की सुरक्षा व्यवस्था की जिम्मेदारी 200 महिलाएं संभाल रही हैं। मप्र टूरिज्म बोर्ड (एमपीटीबी) की सिर्फ एक कोशिश से प्रदेश की 3500 महिलाएं आत्मनिर्भर हुई हैं।
इनमें से कुछ महिलाएं कूनो में चीतों के पगमार्क के फोटो ले रही हैं। इसके अलावा भोपाल में कुछ महिलाएं मैकअप आर्टिस्ट, वीडियोग्राफी की ट्रेनिंग भी ले रही हैं। आने वाले समय में एमपीटीबी की 10 हजार महिलाओं को इस योजना से जोड़ने की तैयारी है।
पति की मौत के बाद 35 साल की ललिता जैसवाल पर अचानक घर की जिम्मेदारी आ गईं। दो महीने का बेटा और 6 साल की बेटी को पालने के लिए ललिता ने सिलाई करना शुरू किया, लेकिन यह काफी न था। एक साल पहले एमपीटीबी के माध्यम से सुरक्षा गार्ड की ट्रेनिंग ली। अब वे महाकाल लोक और मंदिर में गार्ड के रूप में तैनात हैं। उन्हें 10 हजार महीना वेतन मिलने लगा है।

दो महीने की ट्रेनिंग के बाद
ही बन गईं गार्ड
21 साल की नेहा के पिता साधु हो चुके हैं। घर में उसकी एक बड़ी बहन, छोटा भाई और मां हैं। घर की जिम्मेदारी नेहा पर ही थी। करीब दो महीने की ट्रेनिंग के बाद अब वह महाकाल लोक में सुरक्षा गार्ड हो गई हैं। नेहा कहती हैं- उनके साथ वाली कई युवतियों को अब सुरक्षा गार्ड के रूप में दूसरी जगह पर भी विशेष तौर पर बुलाया जाने लगा है।
यह हुआ असर
अब महिला पर्यटकों की संख्या बढ़ी
एमपीटीबी के अपर प्रबंध संचालक विवेक श्रोत्रिय ने बताया कि सबसे खास बात यह रही कि इन युवतियों की धार्मिक और ऐतिहासिक जगह पर तैनाती से यहां आने वाली महिला पर्यटकों की संख्या बढ़ी है। युवतियों को होस्पिटलिटी, आर्ट एंड क्रॉफ्ट, ट्रांसपोर्टेशन, सुरक्षा गार्ड, गाइड एंड एक्सप्रोलर, टूर एंड ट्रेवल्स, टूरिज्म एक्टीविटी और अन्य सेक्टर की ट्रेनिंग दी जा रही है।

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