जो भूमि मौजूदा मास्टर प्लान में कृषि, उसे कैसे किया जा सकता है ग्रीन
मास्टर प्लान एक बार फिर बड़े तालाब के आसपास ग्रीन एरिया और निर्माण की अनुमति को लेकर विवादों में आ गया है। लोगों ने अब ढाई गुना निर्माण की अनुमति मांगी है। अंतिम ड्राफ्ट में ग्रीन एरिया बढ़ाने और एफएआर को घटाकर 0.06 करने का विरोध हो रहा है। टाउन प्लानर्स की संस्था इंस्टीट्यूट आॅफ टाउन प्लानर्स आॅफ इंडिया (आईटीपीआई) के साथ भाजपा और कांग्रेस ने भी इसको लेकर आपत्ति दर्ज कराई है। 2 जून को मास्टर प्लान के अंतिम ड्राफ्ट पर दावे-आपत्ति और सुझाव की प्रक्रिया शुक्रवार को पूरी हो गई। शाम तक लगभग 2000 आपत्तियां व सुझाव आए हैं। इनमें बड़े तालाब के कैचमेंट में अधिक निर्माण की अनुमति देने की मांग के साथ नए रेसीडेंशियल एरिया में न्यूनतम एफएआर 1.25 करने जैसे सुझाव आए हैं। कुछ सड़कों को लेकर आपत्ति दर्ज कराई गईं हैं। 2020 में जारी हुए मास्टर प्लान के ड्राफ्ट में लो डेंसिटी रेसीडेंशियल एरिया में एफएआर 0.10 यानि 10,000 वर्गफीट पर 1000 वर्गफीट निर्माण की अनुमति देने का प्रस्ताव था। इसे घटाकर पहले की तरह 0.06 यानि 10,000 वर्गफीट पर 600 वर्गफीट निर्माण की अनुमति देने का प्रस्ताव किया गया है। इंस्टीट्यूट आॅफ टाउन प्लानर्स आॅफ इंडिया (एमपी चेप्टर) ने आपत्ति में कहा है कि इंदौर में लो डेंसिटी रेसीडेंशियल एरिया में एफएआर 0.15 है, इसे भोपाल में भी लागू किया जाना चाहिए।
मिलेट्री एरिया के बाहर नई सड़क बनाएं
चार्टर्ड इंजीनियर अशोक मनहर ने सुल्तानिया इंफ्रेंटी लाइन्स के मिलिट्री एरिया के बाहर से नई सड़क बनाकर डीआईजी बंगला को लाल घाटी से जोड़ने का सुझाव दिया है। मनहर ने गूगल मैप के आधार पर नई सड़क का ले आउट भी प्रस्तावित किया है। उन्होंने कहा कि इससे आम लोगों को राहत मिलेगी।
मास्टर प्लान को बदल दिया : कांग्रेस
जिला कांग्रेस अध्यक्ष कैलाश मिश्रा और हुजूर से कांग्रेस प्रत्याशी रहे नरेश ज्ञानचंदानी ने भी आपत्ति दर्ज कराई। उन्होंने कहा कि कांग्रेस सरकार के कार्यकाल में बने मास्टर प्लान को बदल दिया गया।
अमीरों को ध्यान में रखकर बनाया गया मास्टर प्लान
विधायक रामेश्वर शर्मा ने आपत्ति जताते हुए कहा है कि मास्टर प्लान गांव, गरीब और किसानों का विरोधी है। इसे अमीरों को ध्यान में रखकर बनाया गया है। उन्होंने सवाल उठाया कि जो भूमि मौजूदा मास्टर प्लान में कृषि है, उसे ग्रीन कैसे किया जा सकता है? गांव की बढ़ती हुई आबादी के लिए मकान कहां बनेंगे।