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3 महीने बाद भी कोई नतीजा नहीं फटाफट जांच और कार्रवाई भी………

इंदौर। सरकार कैसी हो, संगठन का उस पर दबाव कैसा हो… ये देखने-समझने के लिए किसी सर्वे की जरूरत नहीं है। पिछले तीन माह में इंदौर में हुई दो घटनाओं से इसे समझा जा सकता है। जनहानि वाला हादसा स्नेह नगर के मंदिर में हुआ था, जहां बावड़ी को ढंककर बनाया चबूतरा ढह जाने से 36 श्रद्धालुओं की मौत हो गई थी।
इस मामले में तीन माह बाद भी जिला प्रशासन किसी आरोपी की गिरफ्तारी की हिम्मत नहीं जुटा पाया है। दूसरा मामला 15 जून की रात पलासिया थाना पर ड्रग तस्करी के आरोपी की गिरफ्तारी में पुलिस की ढिलाई के विरुद्ध चक्काजाम कर बजरंग दल का जंगी प्रदर्शन का है। वाहन चालकों को चक्काजाम की परेशानी से राहत के लिए पुलिस ने लाठीचार्ज कर दिया था। इस मामले में संगठन के दबाव का असर ही रहा कि शासन ने तुरत-फुरत जांच के आदेश देने के साथ ही पुलिस अधिकारियों पर कार्रवाई कर डाली। पोलिटिकल प्रेशर, बजरंगियों के प्रदर्शन, सरकार की सख्ती का असर इतना प्रभावी रहा कि दो साल से फरार लेकिन छुट्टे सांड की तरह शहर में घूमने वाले आरोपी बिलाल खान को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया। सरकार की कार्रवाई से खफा ‘खाकी के मान’ का मुद्दा उछलने के बाद बहुत संभव है जिन अधिकारियों पर एक्शन लिया गया है, उन्हें भी अन्य किन्हीं जिलों में पॉवरफुल बना दिया जाए।
स्नेह नगर वाले बावड़ी हादसे का शिकार हुए 36 लोगों की मौत रामनवमी के दिन ही हुई थी। इनके परिजन को न्याय दिलाने के लिए किसी राम भक्त, बजरंगी ने सरकार को बाध्य करने जैसी तत्परता नहीं दिखाई। उस क्षेत्र की विधायक और खुद को शहर का मित्र बताने वाले महापौर ने भी सामूहिक उठावने में शामिल होने जितनी ही संवेदना दिखाई। मंदिर बावड़ी पर अवैध निर्माण करने वालों की सांसद से नजदीकी का ही असर है कि पुलिस किसी पर हाथ डालने की हिम्मत नहीं कर पाई है। नगर निगम ने मंदिर को अवैध निर्माण मानकर तोड़ने की तत्परता दिखाने की ऐसी भूल कर दी कि उस परिसर में बिना नक्शा मंजूरी के फिर से मंदिर निर्माण के लिए भूमिपूजन भी हो गया। मामला कोर्ट में विचाराधीन होने के बाद भी जब जिला प्रशासन आंखें मूंद ले तो फिर से हो रहे निर्माण को रोकने की हिम्मत कौन दिखा सकता है! बजरंगियों पर लाठीचार्ज के मामले में सरकार के बैकफुट पर आने, फटाफट जांच कराने का ही नतीजा था कि कथित तौर पर दोषी पाए गए पुलिस अधिकारियों पर कार्रवाई कर डाली, लेकिन बावड़ी हादसे की जांच रिपोर्ट का क्या हुआ… यह पूछना सरकार को भी याद नहीं रहता! अब जब चुनाव सिर पर होंगे, तब इन दोनों मामलों में दोनों ही दल अपने स्तर पर लाभ उठाने का कोई मौका नहीं छोड़ेंगे!

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