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अमरनाथ यात्रा कल से, 62 दिन चलेगी, हेलमेट भी साथ ले जाएं

बाबा अमरनाथ यात्रा शनिवार से शुरू हो रही है। पवित्र गुफा की ओर अमरनाथ यात्रियों का पहला जत्था शुक्रवार सुबह जम्मू से रवाना किया गया। तड़के करीब सवा चार बजे पूजा-अर्चना के बाद उप राज्यपाल और अमरनाथ श्राइन बोर्ड के अध्यक्ष मनोज सिह्ना ने पहले जत्थे को रवाना किया।
इस दौरान जम्मू बेस कैंप में पूरा माहौल भोले के रंग में रंग गया। भक्तों ने भोले के जयकारे लगाकर यात्रा की शुरुआत की। इस बार यह यात्रा 62 दिन चलेगी। दरअसल, इस बार सावन दो महीने हैं। पहले दिन कुल 2189 श्रद्धालुओं को बालटाल रूट के लिए टोकन जारी किया गया।
बालटाल वाला छोटा रास्ता इस बार काफी डेवलप हो चुका है। 16 किमी के रूट पर 11 किमी रोड बनने से राह आसान हो चुकी है। हालांकि 5 किमी रास्ता अब भी संकरा है। श्रद्धालुओं के लिए अच्छी खबर यह है कि बालटाल में ही 350 से 550 रुपए में एक महीने की वैलिडिटी के साथ सिम खरीद सकते हैं। यह हाथों-हाथ चालू भी हो जाती है। लंगर के आसपास ही गर्म कपड़े और ट्रैकिंग के सामान के साथ रेनकोट, छाता सब उपलब्ध हैं। रुकने के लिए टेंट भी 500 रुपए रोज में मिल सकेगा। यात्रा मार्ग पर लंगर-टेंट का काम 10 जून से शुरू हो चुका था। लंगर वालों ने बताया कि तब 3 मीटर ऊंची बर्फ जमी थी। बर्फ हटाने के बाद ही लंगर लगा पाए।
श्राइन बोर्ड श्रद्धालुओं को मुफ्त हेलमेट देगा
पिछले साल पवित्र‌ गुफा के पास बादल फटने से बाढ़ आ गई थी। इसे देखते हुए इस बार सावधानी बरती जा रही है। श्री अमरनाथ श्राइन बोर्ड के सीईओ मनदीप कुमार भंडारी के मुताबिक लैंडस्लाइड और पत्थर गिरने की घटनाओं को देखते हुए इस बार हाई रिस्क जोन वाले ढाई किमी के रास्ते में यात्रियों को हेलमेट अनिवार्य किया गया है।
इतना ही नहीं, जो लोग खच्चर से जाएंगे, उनके लिए भी हेलमेट जरूरी होगा। हेलमेट श्राइन बोर्ड की तरफ से मुफ्त मुहैया कराए जाएंगे, साथ ही पहाड़ी इलाकों में 30 से ज्यादा ट्रेंड माउंटेन रेस्क्यू टीमों को तैनात किया है। श्राइन बोर्ड ने 1700 डॉक्टरों और पैरामेडिकल कर्मचारियों की तैनाती की गई है। 4000 सफाई कर्मचारी और यात्रा के दोनों मार्गों पर 5100 टॉयलेट्स बनाए गए हैं। पाकिस्तान की ओर से लगातार हो रही घुसपैठ की कोशिशों और अमरनाथ यात्रा की सुरक्षा को देखते हुए सांबा में इंटरनेशनल बॉर्डर से एक किमी एरिया में धारा 144 लगाई गई है, यानि पूछताछ के दौरान स्थानीय ग्रामीणों व दूसरे लोगों को आइडेंटिटी बतानी होगी।

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