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आरोपों की आग में झुलसती सरकार………

सतपुड़ा भवन में सोमवार को लगी भीषण आग पर काबू पा लिया गया, लेकिन विपक्ष के आरोपों की आग में अब सरकार झुलस रही है।
विधानसभा चुनाव बमुश्किल पांच महीने दूर है और इससे पहले सरकारी आॅफिस में आग की घटना ने विपक्षी दल कांग्रेस को एक मौका दे दिया। विपक्षी दल कांग्रेस ने आग की घटना को लेकर सरकार पर वार करने के लिए सोशल मीडिया का सहारा लिया। कैप्शन के साथ वीडियो पोस्ट किया जिसमें सरकारी फाइलों को आग में नष्ट होने की ओर इशारा किया गया था। कांग्रेस का कहना है कि यह आग जानबूझकर लगाई गई है। आग लगने की घटना के बाद मध्यप्रदेश के पूर्व सीएम कमलनाथ समेत दूसरे नेता शिवराज सरकार पर हमलावर हैं। मंगलवार को भी इस आग की आंच महसूस हुई। सतपुड़ा भवन में कांग्रेस विधायकों को अंदर नहीं जाने दिया गया। नेता प्रतिपक्ष गोविंद सिंह सहित दूसरे विधायक धरने पर बैठ गए। कांग्रेस ने ट्वीट कर कहा कि शिवराज के दफ्तर की आग बता रही है कि बीजेपी सरकार मध्यप्रदेश से जा रही है।
लोकायुक्त-ईओडब्ल्यू जांच वाली फाइलों के साथ ही 40 हजार दस्तावेज भी राख
स्वास्थ्य विभाग में ईओडल्ब्यू-लोकायुक्त से जुड़ी जांच की फाइलों के साथ 40 हजार फाइलें खाक हो गई हैं। इनमें बोरों में भरी उन फाइलों की कतरनें भी हैं, जिन्हें एक सप्ताह में मशीन से नष्ट किया गया है। जांच के बाद स्थिति साफ होगी कि गड़बड़ियों से जुड़े दस्तावेज तो राख में नहीं बदल गए। अफसर भी यह बात कर रहे हैं कि जो दस्तावेज जल गए हैं, उन्हें हाईकोर्ट में चल रहे केसों के आॅनलाइन सिस्टम से लिया जाएगा। बाकी ईओडब्ल्यू और लोकायुक्त में चल रहे प्रकरणों से री-क्रिएट कर लिया जाएगा। बुधवार को सतपुड़ा भवन जाने वाले कर्मचारियों की छुट्‌टी घोषित कर दी गई है। डायरेक्टोरेट सेवाएं जेपी अस्पताल शिफ्ट की जा सकती हैं। ठऌट, हेल्थ कॉपोर्रेशन, भोपाल उटऌड से भी कर्मचारी काम कर सकते हैं। स्वास्थ्य विभाग ने पांच सदस्यीय इंटरनल कमेटी भी बनाई है जो फाइलों के साथ कम्प्यूटरों में नष्ट हुए डाटा का आकलन करेगी। विपक्ष का आरोप है कि आग में नर्सिंग घोटाले और आयुष्मान गड़बड़ी से जुड़ी फाइलें जला दी गर्इं, वहीं अफसरों का दावा है कि ये फाइलें दूसरे आॅफिस में सुरक्षित हैं, जबकि आरोप लग रहे हैं कि आयुष्मान योजना की गड़बड़ी से जुड़ी फाइलें स्वास्थ्य विभाग के इसी दफ्तर में थीं। दूसरी तरफ गृह विभाग के अपर मुख्य सचिव डॉ. राजेश राजौरा की जांच कमेटी मंगलवार को तीन बार घटनास्थल पर पहुंची। दोपहर 1 बजे के बाद कमेटी ने फॉरेंसिंक टीम के साथ तीनों फ्लोर का दो घंटे तक मुआयना किया। एफएसएल टीम ने नमूने लिए। मुख्यमंत्री चौहान ने सुबह मामले का रिव्यू करने के बाद तीन दिन में जांच रिपोर्ट मांगी है।

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