दोपहिया गाड़ी चलाते समय हेलमेट और कार चलाने के दौरान सीट बेल्ट जरूर लगाएं। पुलिस आपकी सुरक्षा के लिए ही शमन शुल्क वसूलने की कार्रवाई करती है। आप 50 लाख की गाड़ी का ध्यान रखते हैं। उस पर एक स्क्रैच भी आ जाए तो चिंतित हो जाते हैं। 25 हजार के मोबाइल को कवर डालकर सुरक्षित रखते हो, लेकिन भगवान ने आपको करोड़ों का शरीर दिया है, उसकी परवाह नहीं करते हो। हेलमेट व सीट बेल्ट नहीं लगाते हो। भगवान शिवजी को एक लोटा जल चढ़ाओ। एक लोटा जल चढ़ाने से मेरा कोई लाभ नहीं है। बाबा महाकाल आपके साथ होंगे।
यह प्रवचन करोंद में कैलाश प्रसून सारंग की स्मृति में आयोजित श्री महापुराण की कथा के तीसरे दिन सीहोर कुबेरेश्वर धाम के पंडित प्रदीप मिश्रा ने दिए। कथा में प्रदीप मिश्रा ने भोपाल के लोगों की प्रशंसा की। कहा कि भोपाली लोगों को गलत बोलते हैं। वे कहते हैं, भोपाली बात-बात में अपशब्द कहते हैं। मुझे यहां तीन दिन हो गए। यहां सब अच्छे से बोल रहे हैं। एक भी ऐसा नहीं मिला, जो गड़बड़ बोला हो। दुनिया के लोग कहते रहेंगे, अपन तो भजन करो। आज कथा का चौथा दिन है।
कथा के तीसरे दिन महाआरती में गृहमंत्री डॉ. नरोत्तम मिश्रा भी शामिल हुए। उन्होंने कहा कि इस दुनिया में हर-हर महादेव से बड़ा और कुछ भी नहीं है। कथा सुनने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान भी आने वाले थे, लेकिन व्यस्तता के कारण नहीं आ सके। कथा में श्रद्धालुओं की भीड़ इतनी थी कि लोगों को कथा स्थल तक पहुंचने और वापस आने में डेढ़ से दो घंटे का समय लगा। श्रद्धालुओं को खिचड़ी की प्रसादी बांटी गई।
प्याली में डूबकर मरने वालों
की बढ़ रही है संख्या
पंड़ित मिश्रा जी ने लोगों को शराब की लत से छुड़ाने की बिल्कुल नए अंदाज में प्रेरणा दी। उन्होंने चिंता जताई कि इस समय देश-दुनिया में कुआं-बावड़ी, नदियों और समुद्र में डूबकर मरने वालों की संख्या कम है प्याली में डूब मरने वालों की ज्यादा है। उन्होंने चिंता जताई कि गटर के पानी से वाहन नहीं चलते, लेकिन लोग हैं कि गटर का पानी गटककर जिंदगी की गाड़ी दौड़ाना चाहते हैं। आखिर कितने चलेंगे।
शिवजी के सिवा कोई साथ नहीं देता
मनुष्य जब कर्ज में डूब जाता है और मर्ज अर्थात बीमारी से जकड़ जाता है, तब कोई संसार का व्यक्ति नाते, रिश्तेदार, संबंधी और मित्र करीब नहीं आता, केवल कैलाशवासी परमात्मा शिव ही हमारी सहायता करते हैं। सब मतलब के यार हमने देख लिए, झूठे नाते, झूठे रिश्ते, झूठा है संसार हमने देख लिया। जिन्हें मुक्ति चाहिए, वह भक्ति के मार्ग पर चलें। भक्ति के पथ पर चलो और मुक्ति का मार्ग प्रशस्त करो। मुक्ति के मार्ग से ही भवसागर पार कर सकते हो।
सनातन धर्म में जन्म लेना
कोटि-कोटि जन्मों का पुण्य फल
पं. मिश्रा ने सनातन धर्म की उत्कृष्टता को लेकर कहा कि ये संसार का सबसे महान धर्म है, जिसमें जन्म लेना मनुष्य के कोटि-कोटि जन्मों के पुण्य कर्मों का परिणाम है। जीव 84 लाख योनियों में भ्रमण करते हुए जब मनुष्य देह को प्राप्त होता है, तब उसे पुण्यकर्म करने का और शिव पूजन का सौभाग्य प्राप्त होता है। मनुष्य अभी जो सुख और सौभाग्य प्राप्त कर रहा है वो उसके पूर्व जन्म में किए दान पुण्य और सतकर्म का परिणाम है आगे भी इसी तरह सुख प्राप्त करना है तो भजन-पूजन और दान-पुण्य करते रहिए।