पश्चिम बंगाल के ईस्ट वर्धमान जिले से आए नूर जमाल मंडल बालासोर के सबसे बड़े सरकारी हॉस्पिटल फकीर मोहन मेडिकल कॉलेज में यहां से वहां भाग रहे हैं। हाथ में पासपोर्ट साइज की फोटो और आधार कार्ड है। फोटो और आधार कार्ड उनके छोटे भाई शाद अली शेख के हैं। 35 साल के शाद अली कोरोमंडल एक्सप्रेस से केरल जा रहे थे। उनकी ट्रेन बालासोर के बहानगा बाजार रेलवे स्टेशन के पास मालगाड़ी से टकरा गई। शाद अली तभी से लापता हंै।
नूर जमाल मंडल की तरह सैकड़ों लोग ओडिशा के बालासोर, कटक और भुवनेश्वर के अस्पतालों में घूम रहे हैं। यहां बालासोर ट्रेन हादसे में घायल लोगों का इलाज चल रहा है। दो जून की शाम 7:10 बजे हुई तीन ट्रेनों की टक्कर में 275 लोगों की जान गई है। 1,175 घायल हुए, जिनमें से 793 को इलाज के बाद डिस्चार्ज किया जा चुका है।
मरने वालों के परिवार को रेलवे की तरफ से हाथों-हाथ 10 लाख रुपए की मदद दी जा रही है। डेड बॉडी की पहचान होते ही 9.5 लाख रुपए का चेक और 50 हजार नकद दिए जा रहे हैं।
हादसे के बाद अस्पतालों में क्या स्थिति है, पीड़ित किस हाल में हैं और प्रशासन उनकी मदद कैसे कर रहा है… ये जानने हम 4 जून को बालासोर पहुंचे। सबसे पहले फकीर मोहन मेडिकल कॉलेज गए, जहां ज्यादातर घायलों को लाया गया था। मेन गेट से एंट्री करते ही इमरजेंसी वार्ड के गलियारे में दो काउंटर बने हैं। दोनों काउंटर पर तीन-तीन कर्मचारी रजिस्टर में उन लोगों का नाम, पता और फोन नंबर दर्ज कर रहे हैं, जो हादसे के बाद लापता हैं।