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Putin Cardiac Arrest: रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन को आया कार्डियक अरेस्ट! फर्श पर गिरे मिले

Putin Cardiac Arrest: रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन को कार्डिएक अरेस्ट आया है। मीडिया रिपोर्ट में कहा गया कि वह अपने कमरे में गिरे हुए मिले थे। पढ़ें रिपोर्ट…

रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के स्वास्थ्य को लेकर काफी दिन से कयास लगाए जा रहे थे कि वे गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं से जूझ रहे हैं। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, उन्हें कार्डियक अरेस्ट आया है। पुतिन को उनके कमरे में गिरा पाया गया। उनके गार्डों ने उन्हें तुरंत अस्पताल पहुंचाया गया। यह घटना रविवार शाम 22 अक्टूबर की बताई जा रही है। हालांकि, इस घटना की अधिकारिक पुष्टि क्रेमलिन के द्वारा नहीं की गई है।

पुतिन को कार्डियक अरेस्ट की खबर सही या गलत

मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के आवास पर ड्यूटी पर तैनात सुरक्षा अधिकारियों ने राष्ट्रपति के कमरे से गिरने की आवाज सुनी। दो सुरक्षा अधिकारी तुरंत राष्ट्रपति के कमरे में पहुंचे और देखा कि पुतिन बिस्तर के बगल में फर्श पर लेटे थे और खाने के साथ एक मेज भी उलटी पड़ी हुई थी। पुतिन फर्श पर लेटते समय ऐंठन से जूझ रहे थे और अपनी आंखें घुमा रहे थे। इसके बाद डॉक्टरों को तुरंत बुलाया गया और 71 साल के राष्ट्रपति को अपार्टमेंट में बने एक हॉस्पिटल में ले जाया गया। यहां पर उनकी गहनता से जांच की जा रही है।

पुतिन की सेहत को लेकर अटकलें

पुतिन का स्वास्थ्य पश्चिमी मीडिया में काफी अटकलों का विषय रहा है, खासकर तब से जब उनकी सेना ने पिछले साल यूक्रेन पर हमला किया था। साथ ही मीडिया रिपोर्ट में कहा गया कि इस महीने की शुरुआत में चीन का दौरा करने वाले व्यक्ति रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन नहीं, बल्कि उनका हमशक्ल था। इसी तरह का दावा अप्रैल माह में किया गया था कि पुतिन गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं का सामना कर रहे हैं और उनकी सर्जरी की गई है।

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बच्चे इजरायल के हमलों में मारे जाएं तो पहचान के लिए टैटू बनवा रहे हैं माता-पिता

कहा जा रहा है कि मौजूदा हालात् में यह प्रक्रिया बेहद आम हो गई है। वीडियोज में नजर आ रहा है कि अस्पतालों में बड़ी संख्या में मरीज पहुंच रहे हैं। बच्चों समेत कई घायल कॉरिडोर में लेटे हुए हैं। बच्चे इजरायल के हमलों में मारे जाएं तो उन्हें पहचान तो सकें, गाजा में शरीर पर टैटू बनवा रहे हैं माता-पिता इजरायल और हमास के बीच जारी संघर्ष में आम जनता भी निशाना बन रही है। खबर है कि इस मुश्किल हालात् में गाजा में माता-पिता अपने बच्चों के शरीर पर नाम गुदवा रहे हैं, ताकि अगर वे इजरायली हमले में मारे जाते हैं तो उनकी पहचान हो सके। आंकड़े बता रहे हैं कि जारी संघर्ष में 4 हजार से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक बच्चों के हाथों और पैरों पर अरबी में उनके नाम गुदवाए जा रहे हैं। कुछ वीडियोज में नजर आ रहा है कि चार बच्चों की संघर्ष में जारी बमबारी में मौत हो गई थी। इनमें सभी चारों बच्चे मुर्दाघर में लेटे हुए नजर आ रहे हैं, जहां उनके पैरों पर नाम गुदे हुए हैं। फिलहाल यह साफ नहीं है कि इन बच्चों के माता-पिता जीवित हैं या नहीं।
कहा जा रहा है कि मौजूदा हालात् में यह प्रक्रिया बेहद आम हो गई है। वीडियोज में नजर आ रहा है कि अस्पतालों में बड़ी संख्या में मरीज पहुंच रहे हैं। बच्चों समेत कई घायल कॉरिडोर में लेटे हुए हैं।
इजरायल का गाजा, सीरिया, वेस्ट बैंक में विभिन्न ठिकानों पर हमला- इजरायली लड़ाकू विमानों ने रातभर और रविवार को पूरे गाजा में विभिन्न ठिकानों पर हमले के साथ सीरिया में दो हवाई अड्डों और वेस्ट बैंक में एक मस्जिद को निशाना बनाया, जिसका इस्तेमाल आतंकी कर रहे थे। इसके साथ ही हमास के खिलाफ इजरायल का दो सप्ताह से जारी युद्ध अन्य मोर्चों पर भी भड़कने की आशंका है।
कई दिनों से ऐसा प्रतीत हो रहा है कि इजरायल 7 अक्टूबर के हमास के अप्रत्याशित हमले की प्रतिक्रिया के रूप में गाजा में जमीनी आक्रमण शुरू करने की तैयारी में है। सीमा पर टैंक और हजारों सैनिक लामबंद हो चुके हैं। इजरायली सेना के प्रवक्ता रियर एडमिरल डैनियल हागेरी ने कहा कि देश ने गाजा में हवाई हमलों को बढ़ा दिया है, ताकि युद्ध के अगले चरण में सैनिकों के लिए जोखिम कम हो सके।

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एकजुट होना होगा सारे समाजवादियों और साम्यवादियों को…

डॉ.राम मनोहर लोहिया की पुण्यतिथि 12 अक्टूबर के अवसर पर समाजवाद पर बहुत चर्चा हो रही है। हम समाजवाद और वैज्ञानिक समाजवाद के बारे में बहुत चचाएं सुनते आए हैं। हमारे बहुत सारे मित्र जो समाजवादी विचारों से प्रभावित रहे हैं, कई बार समाजवाद की बात किया करते थे। हम कई बार सोचा भी करते थे कि आखिर यह समाजवाद क्या है? और इसके बारे में जानने की इच्छा लगातार बलवती होती चली गई। हमने अपने छात्र जीवन में पढ़ा था कि यहां जो लोग खेती करते है वह भूखे मरते हैं, जो लोग मकान बनाते हैं वह सड़कों पर रहते हैं, जो कपड़ा बनाते हैं वह नंगे रहते हैं। तभी कुछ दिन बाद पता चला कि ये शब्द जर्मनी के दार्शनिकों कार्ल मार्क्स और फ्रेडरिक एंगेल्स के हैं। बाद में छात्र संघर्ष और पढ़ते-पढ़ते पता चला कि समाजवाद के असली जनक कार्ल मार्क्स और एंगेल्स हैं, जिन्होंने इसे वैज्ञानिक समाजवाद की संज्ञा दी और 19वीं सदी के उत्तरार्ध से दुनिया में वैज्ञानिक समाजवाद की धूम मच गई जो आज भी दुनिया की सर्वश्रेष्ठ और सबसे चर्चित विचारधारा का रूप धारण किए हुए हैं।
अब यहां पर यह जानना आवश्यक है कि आखिर यह वैज्ञानिक समाजवाद क्या है? जर्मनी के दार्शनिकों कार्ल मार्क्स और फ्रेडरिक एंगेल्स ने मानव समाज का अध्ययन करके बताया कि मानव समाज अभी तक आदिम साम्यवाद, दास समाज, सामंती समाज, पूंजीवादी समाज व्यवस्था से होकर गुजरा है। इसके आगे का विकास समाजवादी समाज से होकर गुजरेगा और इस समाजवाद को ही मार्क्स ने वैज्ञानिक समाजवाद की संज्ञा दी और बताया कि पूंजीवादी व्यवस्था के बाद दुनिया में समाजवादी व्यवस्था कायम होगी और आज इस व्यवस्था को ही वैज्ञानिक समाजवाद कहा जाता है।
वैज्ञानिक समाजवादी व्यवस्था पर मार्क्स और एंगेल्स ने अवधारित किया था कि दुनिया में दो वर्ग हैं पूंजीपति वर्ग और मजदूर वर्ग। इसमें पूंजिपति वर्ग मजदूरों का शोषण करता है, उनकी मेहनत को हड़प लेता है, उन्हें न्यूनतम वेतन नहीं देता। इस प्रकार उनमें लगातार संघर्ष से चलता रहता है। उन्होंने आगे कहा कि पूंजीवादी व्यवस्था में पूंजीपतियों और मजदूर वर्ग के बीच जीवन-मरण का संघर्ष होगा, जिसके परिणाम स्वरूप मजदूर वर्ग के नेतृत्व में समाजवादी व्यवस्था कायम होगी और सरकार मजदूर वर्ग की होगी। यह व्यवस्था समाज के सब लोगों के कल्याण और सबके विकास के लिए काम करेगी, जिसमें सबको शिक्षा, सबको काम, सबको स्वास्थ्य, सबको घर मुहिया कराए जाएंगे और जमीन-जल, जंगल, उत्पादन और सार्वजनिक संपत्ति पर समाज का कब्जा हो जाएगा।
मार्क्स और एंगेल्स की इस विचारधारा को लेनिन ने और पुख्ता किया और पहली दफा किसानों और मजदूरों में एकता कायम करके कम्युनिस्ट पार्टी के नेतृत्व में, रुस में जार की सरकार से लोहा लिया और वहां पर भयंकर संघर्ष के बाद, जार की सत्ता को ध्वस्त करके, उसमें मजदूर और किसानों के नेतृत्व में मेहनतकशों का राज कायम किया गया। यह संघर्ष रूस की कम्युनिस्ट पार्टी के नेतृत्व में आगे बढ़ा और कम्युनिस्ट पार्टी के नेतृत्व में रूस में समाजवादी समाज की स्थापना की गई और दुनिया में सबसे पहले मजदूरों और किसानों का राज कायम किया गया।
क्रांति के बाद रूस में सबको रोटी, सबको मुफ्त शिक्षा, सबको मुफ्त इलाज, सब को मुफ्त बिजली, सबको घर मुहैया कराए गए। हजारों साल से चले आ रहे शोषण, अन्याय, भेदभाव और जुल्मों-सितम का खात्मा करके समानता, न्याय और भाईचारे के सिद्धांतों पर समाजवादी व्यवस्था की स्थापना की गई। उत्पादन, वितरण, उद्योग और जमीन पर सब का निजी अधिकार खत्म करके, इन सब को पूरे समाज की संपत्ति बना दिया गया। सारी जनता को मुफ्त बिजली मुहिया कराई गई। इस समाजवादी क्रांति के बाद, रूस दुनिया की एक महाशक्ति बन गया।
1917 की रूसी क्रांति के बाद, दुनिया में सबसे पहले किसानों मजदूरों को अपना भाग्य विधाता बनाया गया, उनकी सरकार और सत्ता कायम की गई और समाज में शोषणविहीन और अन्यायरहित व्यवस्था कायम की गई और इस प्रकार मानव इतिहास में सबसे पहले वैज्ञानिक समाजवाद के सिद्धांतों को, अमलीजामा पहनाकर, धरती पर उतारा गया।
इसके बाद दुनिया में वैज्ञानिक समाजवादी व्यवस्था की आंधी चल गई। देखते ही देखते दुनिया समाजवादी और पूंजीवादी दो धडों में बंट गई। उसके बाद चीन, पूर्वी यूरोप, कोरिया, वियतनाम, बोलिविया, क्यूबा और दुनिया का तीसरा हिस्सा, लाल हो गया। दुनिया दो हिस्सों में बंट गई, कमेरा यानी मेहनतकश वर्ग और लुटेरा यानी पूंजीपति वर्ग। इसके बाद पूरी दुनिया में समाजवाद की आंधी चल पड़ी। हमारा देश भी रुसी क्रांति के प्रभाव से अलग-थलग न रह पाया। मौलाना हसरत मोहानी ने सबसे पहले 1921 में इंकलाब जिंदाबाद के नारे की रचना की। हमारे देश में कम्युनिस्ट पार्टी और हिंदुस्तानी समाजवादी गणतंत्र संघ के नेतृत्व में वैज्ञानिक समाजवादी व्यवस्था की व्याख्या और बड़े पैमाने पर प्रचार प्रसार किया गया। इस अभियान में भगत सिंह और उसके साथियों ने बहुत बड़ी भूमिका अदा की। उन्होंने भारत की आजादी की लड़ाई में इंकलाब जिंदाबाद के नारे को अपनाया और इसे मजदूरों, किसानों, छात्रों और नौजवानों और सारी संघर्षरत जनता का नारा बनाया और कहा कि जब तक मार्क्सवादी सिद्धांतो पर आधारित समाजवादी व्यवस्था और समाज की स्थापना नहीं की जाती, तब तक जनता को, किसानों, मजदूरों और मेहनतकशों को हजारों साल पुराने शोषण, अन्याय, दमन और भेदभाव से मुक्ति नहीं मिल सकती।
भारत की कम्युनिस्ट पार्टी ने भी इस वैज्ञानिक समाजवादी व्यवस्था के अभियान को आगे बढ़ाया। इस अभियान ने करोड़ों किसानों, मजदूरों, नौजवानों, महिलाओं, लेखकों और नौजवानों को अपने आगोश में ले लिया। इस प्रकार पूरे भारत में वैज्ञानिक समाजवाद क्रांति और कम्युनिस्ट पार्टी की बयार बहने लगी। समाज और देश का बड़ा हिस्सा गीत-संगीत, फिल्में, लाल रंग की विचारधारा में रंग गई।
दुनिया और देश में छायी समाजवादी विचारधारा से, हमारे देश के दूसरे दल, नेता और व्यक्ति भी अछूते नहीं रहे। कांग्रेस में राम मनोहर लोहिया, जयप्रकाश नारायण, नेहरू और बाद में कपूर्री ठाकुर, लालू प्रसाद यादव और मुलायम सिंह की समाजवादी पार्टी ने भी समाजवादी विचारों को आगे बढ़ाया और समाजवादी पार्टी की स्थापना की।
जयप्रकाश नारायण ने इमरजेंसी के आंदोलन में संपूर्ण क्रांति यानी टोटल रिवोल्यूशन की बात की, लोहिया ने सप्त क्रांति की बात की थी। इंदिरा गांधी ने भारतीय संविधान की उद्देशिका में समाजवादी शब्द को शामिल किया। इस प्रकार कई नेता और बहुत सारे छात्र संगठन समाजवादी रंग में रंग गए। उन्होंने समाजवादी विचारधारा और समाजवादी समाज को आगे बढ़ाने और बनाने के लिए काम किया। मगर उनका समाजवाद वह काम नहीं कर पाया जो रुस चीन और दूसरे समाजवादी मुल्कों ने कर दिखाया था।
आज हम देख रहे हैं कि जयप्रकाश नारायण, राम मनोहर लोहिया, कपूर्री ठाकुर, इंदिरा गांधी और मुलायम सिंह यादव का समाजवाद उस रंग में नहीं रंग पाया जिसकी जरूरत थी। समाजवादी पार्टी भी बस नाम की पार्टी रह गई है।

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“हमास ने ऐसा भयावह किया है कि अब ISIS भी…”, जो बाइडेन ने इजरायल के पीएम नेतन्याहू से कहा

अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन इजरायल के यात्रा पर पहुंचे. पीएम नेतन्याहू ने खुद उनका एयरपोर्ट पर स्वागत किया. जो बाइडेन जिस समय इजरायल गए हैं उस समय वह हमास से बीते कई दिनों से युद्ध लड़ रहा है….

अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन बुधवार को इजरायल पहुंचे. उनके स्वागत के लिए इजरायल के पीएम बेंजामिन नेतन्याहू बेन गुरियन एयरपोर्ट पर पहले से ही मौजूद थे. अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन ऐसे समय पर इजरायल गए हैं जब हमास और इजरायल बीते कई दिनों से एक दूसरे पर हमला कर रहे हैं. बीते कई दिनों से चल रहे युद्ध में अभी तक चार हजार से ज्यादा लोगों के मारे जानें की खबर है और 10 हजार से ज्यादा लोग गंभीर रूप से घायल हैं. अमेरिकी राष्ट्रपति का इजरायल का यह दौरा बेहद खास माना जा रहा है.

बाइडेन ने आगे कहा कि हमास ने ऐसे अत्याचार किए हैं, जिससे कि अब ISIS भी कुछ हद तक तर्कसंगत लगने लगा है. हमें यह भी ध्यान में रखना होगा कि हमास सभी फ़िलिस्तीनी लोगों का प्रतिनिधित्व नहीं करता है, और हमास की वजह से ही आम फिलिस्तीनियों को परेशानी हुई है. 

बता दें कि इजरायल और हमास के बीच बीते 12 दिनों से युद्ध जारी है. इस बीच मंगलवार की रात को गाजा के अस्पताल पर बड़ा हमला हुआ है. अस्पताल में हुए हमले में अभी तक करीब 500 से ज्यादा लोगों की मौत की खबर है. मरने वालों में मरीज और बच्चे भी शामिल हैं. इस हमले को लेकर अब विभिन्न देशों की तरफ से प्रतिक्रियाएं आ रही हैं. अमेरिका और कई अन्य देशों के राष्ट्राध्यक्षों ने इस हमले को गलत बताया है.

इस हमले को लेकर अमेरिका के राष्ट्रपति ने सुबह एक्स पर एक पोस्ट भी किया. उन्होंने अपने ट्वीट में लिखा कि मैं गाजा के अल अहली अरब अस्पताल में हुए विस्फोट और उसके परिणामस्वरूप हुई जानमाल की भयानक क्षति से खासा दुखी हूं. यह समाचार सुनते ही, मैंने जॉर्डन के राजा अब्दुल्ला द्वितीय और इज़राइल के प्रधानमंत्री नेतन्याहू से बात की और अपनी राष्ट्रीय सुरक्षा टीम को इस बारे में जानकारी जुटाने को कहा है ताकि पता चल सके कि आखिर ये हुआ कैसे है. 

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अमेरिका संघर्ष के दौरान नागरिकों के जीवन की सुरक्षा के लिए स्पष्ट रूप से खड़ा है और हम इस त्रासदी में मारे गए या घायल हुए मरीजों, चिकित्सा कर्मचारियों और अन्य निर्दोष लोगों के लिए शोक व्यक्त करते हैं. 

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गाजा में इजरायली सेना घुसी तो वह भीषण तबाही को तैयार रहे

ईरान, एजेंसी
इजरायल और हमास के बीच चल रहा युद्ध दूसरे सप्ताह में प्रवेश कर गया है। इजरायल की सेना अब गाजा पट्टी में घुसने के लिए तैयार है। इसके लिए उत्तरी गाजा के लोगों को साउथ गाजा की ओर जाने की चेतावनी भी दी थी। इस बीच ईरान ने इजरायल को धमकी दी है कि अगर इजरायली सेना ग्राउंड आॅपरेशन के लिए गाजा में घुसती है तो क्षेत्र में तनाव और बढ़ जाएगा, जो कि इजरायल की सेना का क्रबिस्तान साबित होगा, वहीं इस हमले में गाजा के 2670 लोगों की मौत हो चुकी है और इजरायल के 1,400 लोगों की मौत हुई है।
ईरान के विदेशमंत्री होसैन अमीर-अब्दुल्लाहियन ने रविवार को अल जजीरा को बताया- अगर गाजा पट्टी में बच्चों को मारने वाले इजरायली हमलों को तुरंत रोका नहीं गया तो ऐसी संभावना है कि कई वॉर फ्रंट खुल जाएंगे। उन्होंने आगे कहा- अगर इजरायल की यहूदी शक्तियां गाजा में घुसने का फैसला करती हैं तो हमास के लड़ाके इसे इजरायली सेनाओं के कब्रिस्तान में बदल देंगे। ईरान के सर्वोच्च नेता अयातुल्ला अली खामेनेई ने शनिवार को कहा कि सभी इस्लामी देशों का कर्तव्य है कि वे फिलिस्तीनियों की सहायता के लिए आगे आएं।

बाइडेन बोले – गाजा पर कब्जा, इजराइल की बड़ी गलती होगी
इजराइल-हमास जंग के बीच अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने कहा कि हमास का खात्मा जरूरी है, लेकिन गाजा पर कब्जा इजराइल की बड़ी गलती होगी। उन्होंने कहा- हमास ने बर्बरता की है। इस संगठन का खात्मा जरूरी है, लेकिन फिलिस्तीन लोगों के लिए भी देश होना चाहिए, अलग सरकार होनी चाहिए, वहीं अगर इजराइल गाजा पर कब्जा कर लेता है तो ये उसकी बहुत बड़ी गलती होगी। न्यूज एजेंसी अढ के मुताबिक… आने वाले दिनों बाइडेन इजराइल जा सकते हैं। अढ ने व्हाइट हाउस के एक अधिकारी के हवाले से कहा कि बाइडेन की इजराइल विजिट की डेट फिलहाल फाइनल नहीं हुई है। इधर, इजराइल डिफेंस फोर्स ने हमास के हमले से पहले और बाद की सैटेलाइट फोटो शेयर की। इसमें जली हुई इमारतें और काला धुआं दिख रहा है। 7 अक्टूबर से शुरू हुई जंग का आज 10वां दिन है। अब तक इजराइल के हमलों से गाजा में 2,450 फिलिस्तीनियों की मौत हुई है। इनमें 724 से ज्यादा बच्चे और 370 से ज्यादा महिलाएं शामिल हैं, वहीं हमास के हमले में करीब 1,400 इजराइली मारे गए हैं।

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