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मध्य प्रदेश

सुबह हिन्दुस्तान मेलने चेताया शाम तकसरकार भी जाग गई

व्यापार करने पर लागू नया टैक्स स्थगित…..

व्यापारियों के बढ़ते विरोध के बाद अंतत: राज्य सरकार ने मध्यप्रदेश नगर पालिका व्यापार अनुज्ञापन नियम 2023 को मंगलवार को स्थगित कर दिया है। नगरीय विकास एवं आवास विभाग ने 21 अप्रैल को इस नियम की अधिसूचना जारी की थी। पांचवें दिन ही इसे स्थगित करना पड़ा। हालांकि इन नियमों के लागू होने के पहले जिन नगरीय निकायों द्वारा मध्यप्रदेश नगर पालिक निगम अधिनियम-1956 अथवा मप्र नगर पालिका अधिनयम-1961 के प्रविधानों के अनुसार निकाय स्तर पर व्यापार विनियमन के लिए व्यापार अनुज्ञप्ति (ट्रेड लाइसेंस) जारी करने के लिए शुल्क निर्धारित करके नियम लागू किए हैं, वह पूर्वानुसार लागू रहेंगे। उल्लेखनीय है कि नवीन नियमों के प्रकाशित होने के बाद विभिन्न नगरों संबद्ध व्यवसायियों, व्यापार समूहों एवं निकायों के स्थानीय जनप्रतिनिधियों द्वारा नियमों में विसंगतियों की ओर ध्यान आकृष्ट किया था, साथ ही इसका जमकर विरोध भी किया जा रहा था। नगरीय विकास एवं आवास मंत्री भूपेन्द्र सिंह ने बताया है कि मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान के निर्देश के बाद इस नियम के क्रियान्वयन को तत्काल प्रभाव से स्थगित कर दिया गया है।

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ढाई किमी के फ्लाईओवर से बदल जाएगी अरेरा हिल्स की पूरी यातायात व्यवस्था….

गणेश मंदिर से गायत्री मंदिर तक बन रहे लगभग ढाई किमी लंबे फ्लाईओवर के निर्माण के बाद आरकेएमपी स्टेशन, एमपी नगर और अरेरा हिल्स सहित आसपास के इलाके की पूरी ट्रैफिक व्यवस्था बदल जाएगी। मौजूदा वल्लभ भवन रोटरी पर फ्लाईओवर की एक आर्म आएगी। साथ में यहां एक नई सड़क बन रही है और फ्लाईओवर की दोनों तरफ सर्विस रोड भी बन रही है।
तीन भाग में बंट जाएगा ट्रैफिक
फ्लाईओवर, सर्विस रोड और नई सड़क के बन जाने से इस पूरे इलाके का ट्रैफिक तीन भाग में बंट जाएगा। एक फ्लाईओवर के ऊपर से चलेगा, दूसरा उसके नीचे और तीसरा सर्विस रोड पर। आरकेएमपी से एमपी नगर, डीबी सिटी मॉल, अरेरा हिल्स और वल्लभ भवन जाने वाले वाहनों को मैन रोड पर नहीं आना पड़ेगा। कुल मिलाकर जिन वाहनों को एमपी नगर, डीबी मॉल और अरेरा हिल्स नहीं आना है वे फ्लाईओवर का इस्तेमाल करेंगे। जिन्हें एमपी नगर, डीबी मॉल, अरेरा हिल्स या जेल रोड पर किसी एक स्थान पर जाना है वे नीचे की सड़क उपयोग करेंगे। और जिन्हें इस इलाके में ही एक जगह से दूसरी जगह जाना है।

वल्लभ भवन रोटरी की
भूल-भुलैया दूर होगी
वल्लभ भवन रोटरी पर अभी पांच रास्ते मिलते हैं। यहां एक और सड़क बनने, फ्लाईओवर की आर्म उतरने और सर्विस रोड भी बनने से इस रोटरी को नए सिरे से डिजाइन किया जा रहा है। सिग्नल की लोकेशन बदली जाएगी और ट्रैफिक को अलग-अलग करने के लिए आईलैंड बनाए जाएंगे।
25 मिनट का यह रास्ता
7 मिनट में हो जाएगा तय
फ्लाईओवर का एक सिरा सावरकर सेतु के पास और दूसरा सुभाष नगर आरओबी के पास होगा। होशंगाबाद रोड पर सावरकर सेतु से शुरू होकर गणेश मंदिर पर जीजी फ्लाईओवर पर आकर गायत्री मंदिर के पास से सुभाष नगर आरओबी से प्रभात चौराहा तक पहुंचा जा सकेगा। 5 किमी की यह दूरी 25 नहीं, 7 मिनट में पूरी होगी।

बोर्ड आॅफिस चौराहा पर 40 मीटर के गर्डर की लॉन्चिंग
बोर्ड चौराहे पर चौराहे के एक सिरे से दूसरे सिरे तक 40 मीटर के गर्डर की लॉन्चिंग बीती रात शुरू हुई। रात 12 बजे से सुबह 6 बजे तक ट्रैफिक को डायवर्ट करके दो गर्डर लॉन्च किए गए। पीडब्ल्यूडी के एसडीओ आरके शुक्ला ने कहा कि 30 जून तक हर हाल में फ्लाईओवर को तैयार करने का टारगेट है।
एजेंसियों में समन्वय की कमी के कारण निर्माण में हो रही देरी
फ्लाईओवर को इस साल मई तक पूरा हो जाना था, लेकिन एजेंसियों में समन्वय की कमी के कारण इसमें देरी हो रही है। बोर्ड आॅफिस चौराहा, गुरुदेव गुप्त चौराहा और वल्लभ भवन रोटरी पर ट्रैफिक डायवर्जन की अनुमति मिलने में देरी हो रही है। यहां कोलार लाइन की शिफ्टिंग होना है। पीडब्ल्यूडी निगम को एक करोड़ रुपए जमा कर चुका है, लेकिन शिफ्टिंग का काम अटका है।

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मप्र में आएंगे विदेशी जिराफ-जेब्रा, प्रोजेक्ट के लिए डेढ़ करोड़ रुपए मांगे

मध्यप्रदेश की धरती पर विदेशी चीता आने के बाद अब जिराफ और जेब्रा भी आएंगे। भोपाल के वन विहार के मास्टर ले-आउट प्लान को जू अथॉरिटी आॅफ इंडिया से हरी झंडी मिल गई है। वहीं, वन विहार मैनेजमेंट ने सरकार से प्रोजेक्ट के लिए डेढ़ करोड़ रुपए भी मांगे हैं। अधिकारियों का कहना है कि जू अथॉरिटी और सरकार से प्रोसेस पूरी होने के बाद जिराफ और जेब्रा लाने के प्रोजेक्ट में और तेजी आएगी।
वन विहार मैनेजमेंट ने करीब 8 महीने पहले जू अथॉरिटी आॅफ इंडिया को प्रस्ताव भेजा था। वहीं, वन मंत्री डॉ. विजय शाह भी अफ्रीका से जिराफ-जेब्रा लाने की बात कह चुके हैं, इसलिए प्रोजेक्ट में और तेजी आई। वन विहार की डायरेक्टर पद्मप्रिया बालकृष्णन ने बताया कि मास्टर ले-आउट प्लान को अप्रूवल मिल गया है। वहीं, प्रोजेक्ट के लिए सरकार भी राशि मांगी गई है। जू अथॉरिटी के निदेर्शानुसार आगे की प्रोसेस की जा रही है।
इसलिए बेहतर है वन विहार
वन विहार देश का इकलौता ऐसा नेशनल पार्क है, जो किसी राजधानी के बीचों-बीच है। 26 जनवरी 1983 को इसे नेशनल पार्क का दर्जा मिला था। वन विहार बड़े तालाब के पास पहाड़ी और आसपास के 445.21 हेक्टेयर क्षेत्र को मिलाकर बना है। हर साल यहां डेढ़ से दो लाख पर्यटक आते हैं, इसलिए जिराफ और जेब्रा के लिए इसे बेहतर माना जा रहा है। वन विहार में बबूल की प्रजातियों की पत्तियां, फल और फूल के पेड़-पौधे भी हैं, इसलिए यह जिराफ-जेब्रा के लिए अनुकूल माना गया है।
एमपी में दो शिफ्ट में आ चुके 20 चीते- टाइगर और लेपर्ड स्टेट मध्यप्रदेश चीता स्टेट भी बन चुका है। पिछले साल 18 सितंबर को कूनो नेशनल पार्क में 8 चीते छोड़े गए थे। इसके बाद 12 चीते और आए थे। इस तरह 20 चीते यहां आ चुके हैं। इनमें से दो की मौत हो गई है। अब शेष 18 चीते हैं। वहीं, एक मादा चीता ने चार शावकों को भी जन्म दिया है।

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प्रदेश के विकास के साथ सुशासन में सरकार ने नए आयाम स्थापित किए

मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने रविवार को 9 राज्यों से प्रदेश की यात्रा पर आए युवा मोर्चा के प्रतिनिधियों से मुख्यमंत्री निवास में भेंट की। मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश में जन-कल्याण और विकास के विभिन्न कार्य और गतिविधियां तेजी से हो रही हैं। सुशासन की दृष्टि से हमने अनेक प्रयास किए हैं और लगातार नए आयाम स्थापित किए जा रहे हैं। समाधान आॅनलाइन, जनसुनवाई, वन-डे गवर्नेंस और सीएम हेल्पलाइन बहुत लोकप्रिय हुई हैं। राज्य सरकार की मुख्यमंत्री लाड़ली बहना योजना महिला सशक्तिकरण का अभिनव प्रयास है। प्रदेश में शिकायतों के निवारण के लिए समाधान आॅनलाइन, सीएम हेल्प लाइन और जन-सुनवाई की व्यवस्था की गई है।
मप्र को कोई गिनता नहीं था, आज इस पर मुझे गर्व है
मुख्यमंत्री चौहान ने कहा कि मध्यप्रदेश कभी बीमारू राज्य कहलाता था। हमको कहीं कोई गिनता नहीं था, लेकिन आज मुझे कहते हुए गर्व है कि मध्यप्रदेश ने हर क्षेत्र में लंबी छलांग लगाई है। हर माह ढाई लाख युवाओं को स्व-रोजगार के लिए ऋण दिया जा रहा है। फैक्टरी आदि में काम सीखने के लिए मुख्यमंत्री युवा कौशल कमाई योजना के तहत युवाओं को 8100 रुपए हर महीने दिए जाएंगे। उन्होंने कहा कि प्रदेश में सड़क, बिजली, पानी, कृषि, शिक्षा, स्वच्छता और सुशासन के क्षेत्र में आमूलचूल परिवर्तन हुआ है। आज मध्यप्रदेश का बजट 3 लाख 14 हजार करोड़ रुपए हो गया है। प्रदेश में प्रति व्यक्ति आय 11 हजार से बढ़ कर अब एक लाख 40 हजार रुपए हो गई है। टेक्नॉलाजी का उपयोग करते हुए विभिन्न योजनाओं का लाभ लोगों तक पहुंचाया जा रहा है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि देश की जीडीपी में मध्यप्रदेश का 4.6 प्रतिशत योगदान है। प्रदेश में 68 हजार करोड़ रुपए के सिंचाई परियोजनाओं के कार्य चल रहे हैं। स्वच्छता के क्षेत्र में मध्यप्रदेश देश में अग्रणी है। जैविक खेती में मप्र नम्बर वन है। युवाओं के सर्वांगीण विकास के लिये प्रदेश में युवा नीति बनाई गई है। इस अवसर पर युवा मोर्चा के राष्ट्रीय महामंत्री रोहित चहल, राष्ट्रीय उपाध्यक्ष अभिनव प्रकाश सिंह, प्रदेश अध्यक्ष वैभव पंवार, प्रदेश उपाध्यक्ष रंजीत सिंह चौहान आदि शामिल थे।

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बार-बार बदलते मौसमने घटाई आम की उपज

आॅन ईयर होेने के बाद भी इस बार भोपाल में आम की पैदावार 50 फीसदी तक कम होगी। यहां के आम भी 15 मई तक ही बाजार में मिल सकेंगे। इस वजह से आम के शौकीनों को अभी आंध्रप्रदेश, गुजरात, महाराष्ट्र आदि प्रदेशों से आ रहे आम पर निर्भर रहना पड़ेगा। आम की पैदावार कम होने की सबसे बड़ी वजह बार-बार बदलने वाला मौसम का मिजाज भी है। एक्सपर्ट्स के मुताबिक इस साल मौसम में इतने उतार-चढ़ाव आए कि आॅन ईयर होने के बाद भी आम की पैदावर आधी रह गई। इस बार तो आॅफ ईयर से भी कम पैदावार हो रही है। भोपाल में 450 हेक्टेयर में आम की पैदावर होती है।
18 हजार क्विंटल उपज होेने के आसार
एक हेक्टेयर में करीब 80 क्विंटल आम होता है। इस तरह से 36 हजार क्विंटल आम होना चाहिए था। लेकिन, इस बार करीब 18 हजार क्विंटल ही पैदावार होने के आसार हैं। वह भी मई के मध्य में उपलब्ध हो सकेगा। एक्सपर्ट्स ने बताया कि दिसंबर में ठंड कम थी, तापमान बढ़ गया था, इस वजह से बौर समय से पहले आना शुरू हो गए। यह काले भी पड़ गए। जनवरी में फिर ठंड बढ़ी उसके बाद तापमान बढ़ने पर नये बौर आए। बीच-बीच मेंं आंधी बारिश से बड़ी मात्रा में बौर झड़ भी गए। यहां का आम राजस्थान, छग और दिल्ली के अलावा अरब देशों में भी जाता है।

सिंचाई पर फोकस करें
डॉ. आरके जायसवाल (प्रिंसिपल साइंटिस्ट, फल अनुसंधान केंद्र) का कहना है कि अब आम के किसानों को सिंचाई पर फोकस करना चाहिए। सिंचाई से आम के झड़ने की रफ्तार कम होगी। इस बार 50 फीसदी कम पैदावार मिलेगी। बार-बार मौसम बदलना इसका मुख्य कारण है। यह आॅन ईयर है फिर भी प्राकृतिक कारणों से ऐसी स्थिति बनी है।

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