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मध्य प्रदेश

कनाडा में भोपाल की रीना ने जीता ‘गोल्ड’

मध्यप्रदेश में राजगढ़ की रहने वाली और भोपाल में पुलिस डिपार्टमेंट में पदस्थ रीना गुर्जर ने कनाडा में भारतीय परचम लहराया है। कराटे खिलाड़ी रीना ने वर्ल्ड पुलिस फायर गेम्स-2023 में फिलिपींस के खिलाड़ी को 7-4 से हराकर गोल्ड मेडल हासिल किया है। उन्होंने कुमीते ईवेंट में एक सिल्वर मेडल भी जीता। रीना ने बताया कि वह यातायात थाना में सीसीटीवी सर्विलांस सेंटर में पोस्टेड हैं। इसके अलावा वह टीटी नगर स्टेडियम में भी अटैच हैं, जहां वह बच्चों को कराटे सिखाती भी हैं। रीना ने अपनी इस उपलब्धि पर कहा- आज मैं जो भी कुछ कर पाई हूं, अपने परिवार और अनुशासन के कारण ही कर पाई हूं। मेरी मां और मेरी दीदी ने मुझे बहुत सपोर्ट किया है। इसके अलावा मैंने हमेशा खेल और अभ्यास में अनुशासन बनाए रखा। उन्होंने कहा कि एक खिलाड़ी अनुशासन के साथ ही खिलाड़ी बनता है। अगर अनुशासन है तो वह कुछ भी हासिल कर सकता है, क्योंकि शुरू में ड्यूटी में आने के बाद मुझे लगा कि मुझे कहीं न कहीं शायद प्रैक्टिस में दिक्कत हो, मगर धीरे-धीरे सब ठीक हो गया, मगर मैंने खेल के अनुशासन को बनाए रखा। रीना ने बताया- चुनौतियां तो बहुत थीं, मगर वहां 85 कंट्री के खिलाड़ी आए थे, दिमाग में बस यही था कि इंडिया के लिए खेल रहे हैं और बस अच्छा खेलना हैं और परफॉर्म तो करना ही है। बता दें कि कनाडा के विन्निपेग शहर में 28 जुलाई से 6 अगस्त तक वर्ल्ड पुलिस फायर गेम्स हुए।

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सीएम शिवराज के सामने गिरा स्वागत मंच, हादसे में 5 लोगों के पैर फ्रैक्चर

नीमच के मनासा में सोमवार को मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान के रोड-शो में हादसा हो गया। उनके सामने ही उनके स्वागत के लिए लगाया गया मंच गिर पड़ा। इस हादसे में 5 लोग घायल हो गए। सभी के पैरों में फैक्चर होने की बात सामने आई है। घायलों को नीमच जिला अस्पताल ले जाया गया है। जिस वक्त ये हादसा हुआ, उस दौरान सीएम शिवराज सिंह रोड-शो कर रहे थे। सड़क के किनारे जगह-जगह स्वागत मंच बनाए गए थे। सीएम शिवराज सिंह रथ में सवार होकर लोगों का अभिवादन कर रहे थे। शाम करीब 5 बजे उनका रथ जनपद पंचायत कार्यालय के सामने पहुंचा था। यहां जनपद पंचायत की ओर से स्वागत मंच लगाया था। सीएम के यहां आते ही मंच पर इतनी भीड़ हो गई कि वह वजन नहीं सह सका और गिर पड़ा। मंच गिरने के बाद कुछ देर के लिए वहां अफरा-तफरी मच गई। यह देखकर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह ने कुछ देर के लिए रोड-शो रोक दिया। उन्होंने घायलों का हालचाल पूछा।

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PCC चीफ कमलनाथ का बड़ा बयान, कहा- हिंदू राष्ट्र बनाने की क्या बात है…………

छिंदवाड़ा, एजेंसी।
पूर्व सीएम कमलनाथ के गढ़ छिंदवाड़ा में बागेश्वर बाबा की तीन दिनों की कथा सोमवार को समाप्त हो गई। सिमरिया हनुमान मंदिर प्रांगण में कथा के समापन के दौरान कमलनाथ भी पहुंचे। इस दौरान कमलनाथ ने कहा- महाराजजी आप ये मत सोचिएगा कि एक बार छिंदवाड़ा आकर आपने मुझसे छुटकारा पा लिया है।
भविष्य में भी आप मुझसे छुटकारा नहीं पा सकते हैं, क्योंकि मेरे और आपके संबंध हनुमानजी के संबंध हैं। ये जो संबंध होते हैं, वह आत्मीय होते हैं। कमलनाथ ने पंडित धीरेंद्र शास्त्री को बार-बार छिंदवाड़ा आने के लिए न्योता दिया, लेकिन कमलनाथ ने जिस अंदाज में यह बात कही… उसे देख वहां मौजूद लोग ताली बजाने लगे। कथा समाप्ति के बाद कमलनाथ बागेश्वर बाबा को अपने साथ विशेष प्लेन से भोपाल लेकर रवाना हुए। कथा समाप्त होने से पहले बागेश्वर धाम सरकार ने पूर्व सीएम कमलनाथ के लिए श्रद्धालुओं से जमकर ताली बजवाई। बागेश्वर धाम सरकार ने कहा कि न कमलनाथ बुलाने जाते और न ही मैं आपको यहां कथा सुनाने आता। धीरेंद्र शास्त्री ने यह भी कहा कि इन पर खूब कृपा बनाए रखें। ये सबकी मदद करें… बस यही आशीर्वाद है।

रविवार को लगे दिव्य दरबार में जज को बताए उपाय
धीरेंद्र शास्त्री ने रविवार को दिव्य दरबार लगाया। उन्होंने छिंदवाड़ा से स्थानांतरित होकर विदिशा गए एक जज को बुलाया। जज का जो कहना था, उन्होंने पहले ही पर्चे पर लिख लिया था। बाद में उनके बेटे से संबंधित समस्या को हल करने के कुछ उपाय उन्हें बताए। छिंदवाड़ा में पं. धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री की कथा को लेकर कांग्रेस में मतभेद सामने आए हैं। कांग्रेस के सीनियर लीडर आचार्य प्रमोद कृष्णम ने अपनी ही पार्टी के नेताओं को घेरा है। उन्होंने ट्वीट किया- भाजपा के स्टार प्रचारक की आरती उतारना कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं को शोभा नहीं देता। धीरेंद्र शास्त्री ने एक महिला पुलिसकर्मी को भी बुलाया। उनके जीवन को संघर्षशील बताते हुए बिना माइक के कुछ उपाय बताए। महिला पुलिसकर्मी के मन में जो चल रहा था, वह पहले से ही बाबा ने पर्ची पर लिख रखा था।

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अमित शाह के आते ही ग्वालियर भी हो जाएगा तनावमुक्त…!

भोपाल, इंदौर के बाद अब अमित शाह की अगली यात्रा ग्वालियर में इसी माह हो सकती है। ग्वालियर-चंबल क्षेत्र में कुल 34 विधानसभा सीटें हैं। पिछली बार सिंधिया साथ में थे, इसलिए कांग्रेस का प्रदर्शन इन दोनों क्षेत्रों में चमत्कारी रहा था, लेकिन अब सिंधिया भाजपा में हैं, यह भाजपा को अधिक सीटें मिलने का कारण बन सकता है। सिंधिया की काट के लिए ही पीसीसी चीफ कमलनाथ ने लहार सीट से सात बार के विधायक गोविंद सिंह को नेता प्रतिपक्ष की जिम्मेदारी देकर इन क्षेत्रों में कांग्रेस का प्रभुत्व स्थापित करने की चाल बहुत पहले चल दी थी। विधायक डॉ. गोविंद सिंह (71) की इन क्षेत्रों में सिंधिया के मुखर विरोधी की छवि तब से है, जब वो कांग्रेस की आंखों के तारे और गांधी परिवार में पुत्र समान दर्जा प्राप्त थे। अब जब कांग्रेस हर सभा में सिंधिया परिवार की गद्दारी का इतिहास सुनाती रहती है, ऐसे में गोविंद सिंह पर ही कांग्रेस को ग्वालियर-चंबल में अपनी जमीन मजबूत करने का भी भरोसा है।
ग्वालियर-चंबल में 8 जिले और विधानसभा की 34 सीटें हैं। 2018 के विधानसभा चुनाव की बात की जाए, तो यहां की 34 सीटों में से कांग्रेस ने 26 सीटें जीती थीं। बीजेपी को 7 सीट मिली थी। तब 2018 में अनुसूचित जाति, जन जाति और दलित वोटर भाजपा से नाराज था।
कमलनाथ सरकार गिरने के बाद प्रदेश की 28 सीटों पर हुए उप चुनाव में बीजेपी को 19 और कांग्रेस को 9 सीटें मिली थीं। ग्वालियर-चंबल क्षेत्र की 16 सीटों में से 7 सीट ही कांग्रेस को मिल पाई थी। उपचुनाव के परिणामों को भांप कर ही भाजपा ने इन क्षेत्रों पर फोकस कर दिया था। यही कारण है कि शिवराज सरकार में इस अंचल से 5 मंत्री हैं। वीडी शर्मा सांसद-प्रदेश अध्यक्ष हैं। नारायण सिंह कुशवाह पिछड़ा वर्ग प्रकोष्ठ प्रदेश अध्यक्ष हैं। मोदी मंत्रिमंडल में ग्वालियर और चंबल का प्रतिनिधित्व करने वाले सिंधिया और नरेंद्र सिंह तोमर मंत्री हैं। बीते लोकसभा चुनाव में गुना संसदीय क्षेत्र से सिंधिया को परास्त कर के भाजपा के केपी यादव ने इतिहास जरूर रचा था, लेकिन सिंधिया के भाजपा ज्वाइन करने के बाद से इस इतिहास पुरुष की चमक निरंतर फीकी होती जा रही है। उनके निकटस्थ सदस्यों के बढ़ते कांग्रेस प्रेम के चलते यह कयास भी लगाए जा रहे हैं कि सांसद भी कांग्रेस के हो जाएं तो बड़ी बात नहीं। इस तरह के धमाके अमित शाह की यात्रा के दौरान भी हो सकते हैं।
पिछली बार गुना-शिवपुरी संसदीय क्षेत्र से मिली हार की फांस का ही दर्द है कि सिंधिया ने इस बार सारा फोकस ग्वालियर पर कर रखा है। तय माना जा रहा है कि वे ग्वालियर से लोकसभा का चुनाव लड़ेंगे।
गुना संसदीय क्षेत्र में आज तक सांसद यादव और सिंधिया समर्थकों के बीच तलवारें खिंची हुई हैं। ऐसे ही सारे कारणों से ग्वालियर-चंबल क्षेत्र भाजपा आलाकमान के लिए भी टेंशन का कारण बना हुआ है। क्षेत्र में कभी सांसद केपी यादव आरोप लगाते हैं कि सिंधिया खेमा उनके प्रोटोकॉल का ध्यान नहीं रखता तो कभी खुद सांसद ही केंद्रीय मंत्री सिंधिया का मान-सम्मान भूल जाते हैं।
पीएम मोदी ने रविवार को वर्चुअल संबोधन में रेलवे स्टेशनों के पुनरुद्धार की घोषणा की-गुना स्टेशन भी इसमें शामिल है। सांसद केपी यादव ने रेलवे स्टेशन पर भारी तामझाम कर रखा था। पीएम के आभार वाले पोस्टर-बैनर भी लगाए लेकिन किसी भी पोस्टर पर न तो केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया का फोटो-नाम था और न ही उनके समर्थक-जिले के प्रभारी मंत्री प्रद्युम्न सिंह तोमर और पंचायत मंत्री महेंद्र सिंह सिसोदिया का जिक्र था। सांसद प्रतिनिधि सचिन शर्मा ने बड़े शालीन तरीके से सांसद का आभार मानते हुए एक पोस्टर जारी करते हुए इन बड़े नेताओं को सम्मान ना देने की याद दिला दी। सांसद को उनकी यह भूल याद दिलाना इसलिए भी जरूरी था कि पहले जब सिंधिया समर्थक उनका नाम-निमंत्रण आदि जैसी अनिवार्यता भूल गए थे तो सांसद यादव ने पार्टी अध्यक्ष जेपी नड्डा तक को चिट्ठी लिख दी थी।
सांवेर में फीकी क्यों हो रही है चमक
सांवेर में केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत को लेकर आए तुलसी सिलावट को भरोसा नहीं था कि भाजपा जिला अध्यक्ष राजेश सोनकर और राज्यमंत्री का दर्जा प्राप्त सावन सोनकर और उनके समर्थक कार्यक्रम से दूरी बना लेंगे। उपचुनाव में ऐतिहासिक जीत दर्ज कराने वाले सिलावट का सांवेर में जादू नहीं रहा या पुत्र मोह के कारण क्षेत्र में हो रही किरकिरी से अवगत कराना उनके सलाहकार भूलते जा रहे हैं। यही सारे कारण हैं कि यहां भी महाराज भाजपा और नाराज भाजपा में दरार बढ़ती जा रही है। दूसरी तरफ कांग्रेस के हंसराज मंडलोई ने नाक में दम कर रखा है। ऐसा कोई महीना नहीं जाता, जब मंडलोई राज्य सरकार से लेकर सीएम हेल्प लाइन तक में क्षेत्र में अवैध खनन को लेकर शिकायतें ना भेजते हों।इन शिकायतों में मंत्री मंडली निशाने पर रहती है।
बस पुलिस ही नहीं समझ पा रही
सरकार का आदिवासी प्रेम
सरकार आदिवासियों पर प्रेम और खजाना लुटा रही है और विभाग हैं कि मुख्यमंत्री की भावना की ही अनदेखी करने का रिकार्ड बना रहे हैं। सिंगरौली भाजपा विधायक रामलल्लू वैश्य के बेटे विवेक ने एक आदिवासी सूर्या खैरवार को गोली मार दी। मुख्यमंत्री की भावना से ज्यादा विधायक के दबाव-प्रभाव का ही असर रहा कि विधायक के बेटे को फरार होने का पर्याप्त अवसर तो मिल ही गया। मन मार कर चार घंटे बाद पुलिस ने आदिवासी युवक की रिपोर्ट दर्ज करने का मन बनाया, लेकिन तब भी घायल युवक और उसके परिजनों पर यह दबाव बनाया जाता रहा कि वह विवेक पिता रामलल्लू साहू की नामजद रिपोर्ट के बदले हमलावर का नाम अज्ञात लिखा दे। समाज के लोगों के दबाव का ही असर रहा कि पुलिस नामजद रिपोर्ट लिखने पर मजबूर हो गई।

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12 साल के बालक ने पापा के लिए आई लव यू लिखा और लगा ली फांसी….

12 वर्ष के बच्चे को पढ़ाई करने के लिए बोलना मां के लिए जीवनभर के संताप का कारण बन गया। मां के काम पर जाते ही, बालक ने मां के दुपट्टे से फांसी लगा ली। खुदकुशी करने से पहले उसने घर में लगे परदे पर पेन दिल के आकार का चित्र बनाया। उस पर लिखा पापा आई लव यू, नन्ना आई लव यू। इसके अलावा यही बात उसने दाहिने हाथ की हथेली पर भी पेन से लिखी थी।
घटना रविवार दोपहर को गोविंदपुरा की अन्नानगर बस्ती में हुई। वह छठवीं में पढ़ता था। गोविंदपुरा के एसआई वासुदेव सविता ने बताया कि अन्ना नगर निवासी भगवत मरकाम निजी काम करते हैं। उनके दो बच्चों में बड़ा 12 वर्षीय रियांस, सेंट पिट्स स्कूल में छठवीं में पढ़ता था।
रियांस की मां सीमा लोगों के घरों में साफ सफाई का काम करती है। रविवार सुबह भगवत अपने काम पर चला गया था। सुबह करीब 10 बजे रियांस और उसकी छोटी बहन नित्या उर्फ नन्ना घर में खेल रहे थे। काम पर जाते समय सीमा ने रियांस से खेलना बंद कर पढ़ने के लिए बोला था। इस पर बुरा सा मुंह बनाते हुए रियांस पलंग पर औंधा होकर लेट गया था। मां अपने काम पर चली गई। उधर कुछ देर बाद रियांस ने बहन नित्या को कमरे से बाहर निकालकर दरवाजे की कुंडी अंदर से लगा ली थी।
मां काम से लौटी तो घटना का पता चला- दोपहर करीब दो बजे सीमा घर वापस लौटी तो घर का दरवाजा अंदर से बंद था। काफी खटखटाने के बाद भी दरवाजा नहीं खुला तो उसने दरवाजे के सुराख सें अंदर झांककर देखा, तो उसकी चीख निकल गई। रियांस फांसी पर लटका हुआ था। उसने झोपड़ी के शेड में ऊपर लगे लोहे के पाइप में दुपट्टा बांधकर फांसी लगा ली थी। सीमा ने पड़ोस में रहने वाले भाई चंद्रशेखर को बुलाया। किसी तरह दरवाजा खोला गया, लेकिन रियांस की काफी पहले मौत हो चुकी थी।

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