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मध्य प्रदेश

युवा-महिला जिसके साथ, कुर्सी भी उसी दल के हाथ

चाहे विधानसभा चुनाव हों, या लोकसभा चुनाव। पिछले कुछ चुनावों का रिकॉर्ड रहा है कि मतदान करने वालों में महिला और युवा मतदाताओं पर जिस दल का जादू चल जाता है, वो सरकार बनाने की रेस में आगे निकल जाता है। हालांकि युद्ध, प्रेम, क्रिकेट और इलेक्शन में ऊंट किस करवट बैठ जाए, पहले से कहा नहीं जा सकता, लेकिन मप्र चुनाव के संदर्भ में फिलहाल आंकड़े तो संकेत कर रहे हैं कि पांचवीं बार भी भाजपा की सरकार बनने के आसार हैं। रही बात मुख्यमंत्री कौन? तो खुद भाजपा प्रधानमंत्री के नाम-काम को आधार बना कर चुनाव लड़ रही है। तय है मोशाजी के मन को जो जीत लेगा, वही अगला सीएम होगा। रही शिवराज सिंह की बात, तो खुद उनके समर्थक भी जानते हैं कि मोशाजी का दिल तो वो पहले से ही खूब जीत चुके हैं।
इस चुनाव में मतदान करने वालों के जो आंकड़े प्रदेश के मुख्य निर्वाचन अधिकारी (सीईओ) अनुपम राजन ने जारी किए हैं, वो संकेत दे रहे हैं कि मप्र में भाजपा फिर सत्ता में आती है तो चुनाव रणनीति को अंजाम दे रही टीम से अधिक श्रेय अमित शाह के खाते में जाने वाला है। इस साल विधानसभा और अगले साल मप्र में भी लोकसभा चुनाव होना है। विधानसभा चुनाव में मतदान करने वाले कुल मतदाता 5 करोड़ 44 लाख 52 हजार 522 हो गए हैं। इनमें भी पुरुष मतदाता 2 करोड़ 81 लाख 99 हजार 333 और महिला मतदाताओं की संख्या 2 करोड़ 62 लाख 51 हजार 863 है। हर चुनाव में पहली बार मतदान करने वाले युवा मतदाताओं को जो दल प्रभावित कर लेता है, वही सत्ता सिंहासन की राह पर चल पड़ता है।
मध्यप्रदेश में जनवरी से जुलाई के बीच इन युवा मतदाताओं की संख्या 5 लाख 17 हजार 423 दर्ज की गई है। भाजपा की सारी तैयारी विधानसभा में 200 सीटें जीतने के साथ लोकसभा चुनाव का माहौल बनाने वाली चल रही है। इसके विपरीत कर्नाटक में मिली सफलता से उत्साहित कांग्रेस के रणनीतिकारों का फोकस अभी सिर्फ विधानसभा चुनाव पर और लक्ष्य 150 से अधिक सीटें जीतने पर है। इनके साथ ही 20 से 29 वर्ष के मतदाताओं की संख्या 1 करोड़ 31 लाख 93 हजार 816 है और 30 से 39 वर्ष के मतदाता 1 करोड़ 44 लाख 02 हजार 242। 50 से 59 वर्ष के मतदाता 75 लाख 22 हजार 156 एवं 60 से 69 वर्ष के मतदाता 43 लाख 72 हजार 141 हैं।
आंकड़ों के आधार पर तो आभास होता है कि पहली बार मतदान करने वालों के साथ ही 30 वर्ष तक के मतदाताओं को नरेंद्र मोदी के हर काम को विश्व स्तर पर मिली प्रसिद्धि वाला प्रचार और भाजपा की नीतियां प्रभावित कर सकती है। किंतु, दूसरा पक्ष यह भी है कि सोशल मीडिया पर परोसे जाने वाली हर खबर का दूसरा पक्ष भी कुछ पल में उतनी ही तेजी से वायरल करने में एक्टिव विभिन्न दलों की ट्रोल आर्मी दिलो-दिमाग को झटका देने में सक्रिय रहती हैं। भाजपा यदि मप्र, राजस्थान, छत्तीसगढ़ में मोदी के चेहरे पर ही चुनाव लड़ने का मन बहुत पहले ही बना चुकी थी, तो उसकी एक बड़ी वजह हाल ही में कर्नाटक विधानसभा के चुनाव परिणाम के साथ भाजपा वाले राज्यों में बीते वर्षों में पनपा भ्रष्टाचार, नौकरशाही पर निर्भरता और निष्ठावान कार्यकर्ताओं की सतत अनदेखी से राज्यों के नेतृत्व पर बढ़ता जनाक्रोश भी है। मोशाजी ने इन राज्यों में ऐसी चुनौतियों से निपटने के लिए ही चुनाव संचालन के लिए अपनी विश्वस्त टीम को राज्यों में तैनात कर रखा है।
पहली बार मतदान करने वाले युवाओं को लेपटॉप, स्कूटी, साइकिल, स्कॉलरशिप आदि योजनाओं में मिलने वाला लाभ भाजपा के अत्यधिक विश्वास का कारण बना हुआ है, तो मप्र में सवा करोड़ से अधिक लाड़ली बहनों को हर माह दी जा रही किस्त से रिटर्न गिफ्ट मिलने का भी भरोसा है। 25 जुलाई से 21 साल की विवाहित-अविवाहित युवतियों को भी इस योजना के फार्म भरने योग्य मान लिया है। इनके लिए ही उम्र के 23 साल वाले बंधन को घटा कर 21 किया गया है। अभी 23 साल या अधिक उम्र वाली 1.25 करोड़ महिलाओं को जून और जुलाई दो किस्तों का लाभ मिल चुका है। इसी माह से 21 से 23 वर्ष वाली 10 लाख महिलाओं को भी 10 तारीख से पहली किस्त मिलने लग जाएगी। जिन किसान परिवारों को ट्रैक्टर होने से लाभ नहीं मिल रहा था, उन परिवारों की 21 से 60 साल तक की महिलाएं भी अब इस योजना का लाभ ले सकेंगी। इन थोकबंद वोटर्स का आंकड़ा किसी भी दल की जीत में मददगार बनेगा ही।
बाकी दलों से बसपा आगे
सबसे पहले 66 सीटों पर प्रत्याशी घोषित करने का दावा करने वाली कांग्रेस को भी पीछे छोड़ते हुए बसपा ने अपने एक प्रत्याशी की घोषणा कर दी है। बसपा का यूपी में प्रभाव अधिक है, इसलिए यूपी सीमा से लगने वाले मप्र के जिलों में बसपा अपना प्रभाव पहले स्थापित करना चाहती है। यही कारण है कि सतना की रामपुर बघेलान सीट से सेवानिवृत तहसीलदार मणिराज पटेल को प्रत्याशी भी घोषित कर दिया है। पिछले चुनावों में बसपा की सफलता का आंकड़ा भले ही 10 सीटों पर भी कामयाबी वाला नहीं रहा, लेकिन बहनजी ने इस बार भी प्रदेश की सभी सीटों से लड़ने की घोषणा कर दी है। मायावती के निर्देश पर इसी महीने पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक आकाश आनंद भोपाल में सभा करने आ रहे हैं। अगले महीने मायावती की सभा कहां कराना बेहतर रहेगा, प्रदेश अध्यक्ष रमाकांत पिप्पल सभा के लिए शहर तलाश रहे हैं।
अभिमंत्रित ताबीज!
दिल्ली की हिदायत पर प्रदेश भाजपा ने नाराज चल रहे खुर्राट नेताओं को जब से गंडे-ताबीज बांधना शुरू किया है, पार्टी में बधाई गीत गूंजने लगे हैं। चाहे अनूप मिश्रा हों, अजय बिश्नोई या दमोह में पिछला चुनाव हार चुके जयंत मलैया हों, इनमें कोई मंत्री नहीं बनाने से, तो कोई अपनी उपेक्षा से नाराज था। मोशा जी के हाथों अभिमंत्रित डिब्बा लेकर आए केंद्रीय मंत्री भूपेंद्र यादव और चुनाव प्रबंधन समिति संयोजक नरेंद्र सिंह तोमर जब से नाराज नेताओं को ताबीज बांध रहे हैं, इन सभी की आवाज में भी मिश्री घुल गई है।

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एमसीयू ने बांग्लादेश के विवि के साथ किया अनुबंध

हिन्दुस्तान मेल, भोपाल। माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विवि (एमसीयू) भोपाल ने सोमवार को बांग्लादेश के डैफोडिल इंटरनेशनल यूनिवर्सिटी के साथ अनुबंध किया है। एमसीयू के कुलपति डॉ. केजी सुरेश ने यह अनुबंध डैफोडिल के कुलपति प्रो. (डॉ.) लूतफर रहमान के साथ हस्ताक्षर किया। इसमें दोनों विश्वविद्यालय संकाय, शोधार्थी, विद्यार्थियों का आदान-प्रदान करेंगे। ढाका में आयोजित हस्ताक्षर समारोह में प्रो. सुरेश ने कहा कि इस अनुबंध से एमसीयू के विद्यार्थियों को फायदा मिलेगा। प्रो. रहमान ने उम्मीद जताई कि इस अनुबंध से शोध प्रवृत्ति को मजबूती मिलेगी। इसके बाद प्रो. सुरेश ने इंडियन चैंबर आॅफ कॉमर्स द्वारा आयोजित शिक्षा मंच को संबोधित करते हुए राष्ट्रीय शिक्षा नीति के मुख्य बिंदुओं की ओर प्रतिभागियों का ध्यान आकर्षित किया। इस सम्मेलन में भारत और बांग्लादेश के कई कुलपतियों ने भाग लिया।

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नगर निगम नहीं दे सकता बड़े तालाब के पेड़ काटने की अनुमति

एनजीटी ने अहम फैसला देते हुए स्पष्ट किया है कि भोपाल नगर निगम को शहर के भीतर नगर वनों में पेड़ काटने की मंजूरी देने का अधिकार नहीं है। सुप्रीम कोर्ट के गोदवर्मन केस के फैसले के तहत डीम्ड फॉरेस्ट होने के कारण यह नगरीय निकायों के अधिकार क्षेत्र से बाहर है। जस्टिस सुधीर अग्रवाल और डॉ. अफरोज अहमद की जूरी ने भोपाल के नितिन सक्सेना द्वारा बड़े तालाब किनारे बोरवन नगर वन में काटे गए 85 पेड़ों को लेकर दायर याचिका पर यह फैसला दिया है।
एनजीटी ने एक संयुक्त जांच कमेटी गठित करते हुए 31 अगस्त तक बोरवन में पर्यावरण को हुए नुकसान का आकलन करने और इसकी भरपाई का प्लान बनाकर देने का आदेश दिया है। इस कमेटी में मप्र वन विभाग के पीसीसीएफ, मप्र वेटलैंड अथॉरिटी और मप्र प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड से एक-एक प्रतिनिधियों को शामिल किया गया है।
याचिकाकर्ता के वकील हर्षवर्धन तिवारी ने बताया कि निगम ने बड़े तालाब किनारे बोरवन नगर वन में मई 2023 में 85 पेड़ काट दिए थे। यहां एक योग सेंटर का निर्माण किया गया है। निगम ने 3 मई को निर्माण शुरू किया था, जिसके लिए 4 मई को 0.1 हेक्टेयर क्षेत्र में 100 पेड़ काटने की मंजूरी अपने ही अधीनस्थ उद्यानिकी शाखा से ली थी।

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आरा मशीन से कटा था हाथ पूरी रात सर्जरी कर जोड़ा

आरा मशीन पर काम करते वक्त विदिशा निवासी 50 वर्षीय हल्के कुशवाह का हाथ कलाई के पास से कट गया। जैसे-तैसे मरीज हमीदिया अस्पताल पहुंचा था। यहां तीन विभागों प्लास्टिक सर्जरी, अस्थि रोग और एनेस्थीसिया के 13 डॉक्टरों ने सर्जरी करके उनके हाथ को जोड़ दिया। इसके लिए डॉक्टरों ने माइक्रो सर्जरी की। यह सर्जरी 8 घंटे चली। अच्छी बात यह रही कि मरीज को अस्पताल में भर्ती रखा गया। लगातार डॉक्टरों की निगरानी रखने और नियमित उपचार का फायदा यह हुआ कि ना सिर्फ मरीज का हाथ जुड़ा बल्कि 10 दिन में उनकी उंगलियों में मूवमेंट भी आ गया। इस मरीज को अस्पताल से छुट्टी दे दी गई है।
90 फीसदी कट कर लटक गया था हाथ- हल्के के हाथ की हड्डी और नसें कट गई थीं। हाथ का 90 फीसदी हिस्सा क्षतिग्रस्त हुआ और हाथ लटक गया था। हल्के को तुरंत जिला अस्पताल लेकर पहुंचे तो वहां बिना समय गंवाए मरीज को हमीदिया भेजा गया था। डॉक्टरों ने उसी वक्त सर्जरी शुरू कर दी। ये रात 8 बजे से सुबह करीब 4 बजे तक चली।
हादसे के 5 घंटे बाद पहुंचा था मरीज- कटे हुए अंगों को 6 घंटे में जोड़ देने पर उनके दोबारा मूवमेंट आने की उम्मीद रहती है। प्लास्टिक सर्जरी डिपार्टमेंट के एचओडी डॉ. अरुण भटनागर ने बताया कि हल्के हादसे के 5 घंटे बाद हमारे पास पहुंचे थे। हमने पूरी टीम को लेकर उनकी तत्काल सर्जरी की और उनका हाथ अब पहले की तरह काम कर रहा है।
इस टीम ने की सर्जरी- प्लास्टिक सर्जरी डिपार्टमेंट के डॉ. अरुण भटनागर, डॉ. हरिशंकर सिंह, डॉ. अंबर यादव, डॉ. सौम्य अग्रवाल, डॉ. आशीष लूथरा, डॉ. रुचि, आॅथोर्पेडिक्स डिपार्टमेंट के डॉ. संतोष मिश्रा, डॉ. ब्रजेंद्र, डॉ. अतुल, डॉ. वरुण और एनेस्थीसिया डिपार्टमेंट के डॉ. संदीप राठौर, डॉ. दिवस और डॉ. स्वप्नेश आदि सर्जरी टीम में शामिल रहे।

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पहले दिन 601 पुलिस जवानों को मिला साप्ताहिक अवकाश

मध्यप्रदेश के पुलिसकर्मियों को सोमवार से साप्ताहिक अवकाश (वीक आॅफ) देने की शुरुआत कर दी गई है। जिला पुलिस थानों में पुलिस बल की उपलब्धता को देखते हुए रोस्टर बनाकर अवकाश दिया गया। इस लिहाज से भोपाल जिले में सोमवार को मैदानी अमले के 601 पुलिसकर्मियों को वीक आॅफ दिया गया। जिसका इस्तेमाल पुलिस के जवानों ने अपने पर्सनल काम निपटाने से लेकर परिजनों के साथ वक्त बिताने में किया।
शाहपुरा थाने के प्रभारी अवधेश भदौरिया ने बताया कि काफी अच्छा और रिलेक्स महसूस किया। मैं स्वयं को भाग्यशाली मानता हूं कि मध्यप्रदेश में वीक आॅफ की प्रथा शुरू होने के पहले ही दिन उन्हें अवकाश मिला। इस छुट्टी का लुत्फ उन्होंने अपने दोनों मासूम बच्चों के साथ घर में ही टाइम स्पेंड कर लिया। उनका कहना है कि आम दिनों में जब मैं घर आता हूं तो बच्चे सो चुके होते हैं। कई बार देर सवेर आने और सुबह जल्दी जाने में नींद की पूर्ति भी नहीं होती, वीक आॅफ के दिन मैं सुबह आराम से उठा, अपने पर्सनल काम निपटाए और बच्चों के साथ खूब मस्ती की।
इन शर्तों के साथ मिले हैं आॅफ
कानून व्यवस्था ड्यूटी में 24 घंटे तैनात रहने वाले मैदानी स्तर पर पदस्थ पुलिस अधिकारियों/कर्मचारियों को सप्ताह में एक दिन का साप्ताहिक अवकाश दिनांक 07.08.2023 से दिया जाएगा। थाने में पदस्थ अधिकारियों/कर्मचारियों को रात्रि ड्यूटी करने पश्चात पूरे 24 घंटे का अवकाश सप्ताह में एक बार देय होगा और साप्ताहिक अवकाश के उपभोग के बाद अगले कार्यदिवस में प्रात: गणना (09.00 बजे) वापस आमद देना होगा।

  • साप्ताहिक अवकाश देने का रोस्टर तैयार कर पालन सुनिश्चित करेंगे। साप्ताहिक अवकाश के दौरान अधिकारी/कर्मचारी को जिले से बाहर जाने की अनुमति नहीं होगी।
  • प्रत्येक थाने में थाना प्रभारी की अनुपस्थिति में उनसे तत्काल बाद वरिष्ठ अधिकारी साप्ताहिक अवकाश के दौरान थाने के इंचार्ज थाना प्रभारी होंगे।
  • यह सुनिश्चित किया जाए कि अनुभाग के अंतर्गत आने वाले थानों में से एक ही थाने के प्रभारी को साप्ताहिक अवकाश दिया जाए, सभी को एक साथ नहीं।
  • प्रत्येक अनुभाग में उसके थानों के लिये लिंक आॅफिसर पुलिस अधीक्षक द्वारा बनाये जाए ताकि तात्कालिक आवश्यकता होने पर उपलब्ध हो सकें।

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