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मध्य प्रदेश

रतलाम में पुलिस के सामने सर तन से जुदा के नारे…

रतलाम में सोशल मीडिया पर आपत्तिजनक टिप्पणी को लेकर बुधवार रात मुस्लिम समाज ने प्रदर्शन किया। मामले में तुरंत एक्शन लिए जाने की मांग को लेकर लोगों ने हाट रोड पुलिस चौकी को घेर लिया। भीड़ में शामिल कुछ लोगों ने ‘सिर तन से जुदा…’के नारे भी लगाए।
देर रात करीब 12 बजे तक हंगामा चला। हालात संभालने के लिए आस-पास के थाने के स्टाफ को बुलाया गया। पुलिस ने एफआईआर की कॉपी देकर मुस्लिम समाज के ही लोगों से ही माइक पर पढ़वाई, तब जाकर प्रदर्शन शांत हो पाया। सालाखेड़ी चौकी प्रभारी मुकेश सस्तिया ने बताया कि ये लोग सोशल मीडिया पर इस्लाम के लिए की गई आपत्तिजनक टिप्पणी से गुस्से में थे। समीर शाह की रिपोर्ट पर जिस फेसबुक आईडी से टिप्पणी की गई है, उसके खिलाफ केस दर्ज किया गया है। साइबर सेल की मदद से आरोपी का पता लगाया जाएगा। रतलाम की हाट रोड चौकी पर रात करीब 10 बजे बड़ी संख्या में मुस्लिम समाज के लोग जुटना शुरू हो गए थे। उनकी मांग थी कि आपत्तिजनक कमेंट करने वाले पर एफआईआर दर्ज कर उसकी गिरफ्तारी की जाए। सूचना मिलते ही माणक चौक और दीनदयाल नगर थाने से भी पुलिस फोर्स मौके पर पहुंच गई। सीएसपी अभिनव वारंगे भी पहुंचे। 2 घंटे बाद प्रदर्शन खत्म कराया जा सका। एडिशनल एसपी राकेश खाखा ने कहा- लोगों की मांग एफआईआर दर्ज करने की थी। थाना डीडी नगर में प्रकरण पंजीबद्ध किया गया है।

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पूर्व डकैत मलखान सिंह हुए कांग्रेसी

हिंदुस्तान मेल, भोपाल। चंबल के बीहड़ के मलखान सिंह ने भाजपा पार्टी छोड़ प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष के समक्ष आज प्रदेश कांग्रेस मुख्यालय प्रांगण में हुए समारोह में अपने समर्थकों के साथ कांग्रेस पार्टी की सदस्यता ग्रहण की, वहीं सागर और छतरपुर में जिला शिक्षा अधिकारी रहे निवाड़ी के संतोष शर्मा ने भी कांग्रेस की सदस्यता ग्रहण की। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ ने दोनों को कांग्रेस पार्टी का दुपट्टा पहनाकर पार्टी में स्वागत किया। कमलनाथ ने कहा कि भाजपा ने 18 वर्षों में प्रदेश की जनता में इतनी दहशत, भय और आतंक पैदा कर दिया है कि प्रदेश की जनता अब भाजपा और शिवराजसिंह चौहान को प्रदेश से हटाने का मन बना चुकी है। भ्रष्टाचार, बेरोजगार, महिला अत्याचार, दलित-आदिवासी पर अत्याचार में प्रदेश नंबर वन बना हुआ है। बीजेपी ने प्रदेश की कानून-व्यवस्था को चौपट कर दिया है।

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भाजपा में ऐसी मांग करना भी गुनाह कांग्रेस में उठती रहती है आदिवासी सीएम की मांग

विधायक उमंग सिंघार को भी पता है कि आदिवासी को मुख्यमंत्री बनाए जाने संबंधी उनकी मांग पर फिलहाल कांग्रेस भी ध्यान नहीं देगी, लेकिन विश्व आदिवासी दिवस के पहले यह मांग कांग्रेस के साथ भाजपा से भी करके उन्होंने प्रदेश राजनीति के तालाब में हलचल तो मचा ही दी है।
विधायक सिंघार की इस मांग पर प्रदेश के गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा से लेकर भाजपा प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा तक ने प्रतिक्रिया व्यक्त करने में उत्साह तो खूब दिखाया, लेकिन भाजपा के तमाम बड़े से लेकर छोटे नेताओं तक को पता है कि अगला मुख्यमंत्री आदिवासी हो, ऐसी आजाद जुबान तो वो अपनी पार्टी में हिला तक नहीं सकते। कांग्रेस में अनुशासनहीनता की लाइन छूने तक बयानबाजी की जा सकती है, भाजपा में बड़े नेताओं के सामने दिल की बात कहने पर पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती तक को पनिशमेंट का शिकार होना पड़ता है। टंट्या मामा को पूजने के इवेंट के साथ आदिवासी गौरव रक्षा की बात करने वाले भाजपा के किसी नेता ने झूठे मुंह मंच से आज तक यह सपना नहीं देखा कि मप्र की बागडोर किसी आदिवासी को सौंपी जाए। किसी दलित-आदिवासी को बागडोर सौंपे जाने की इच्छा का इजहार तो वरिष्ठ कांग्रेस नेता अर्जुनसिंह ने किया था, लेकिन जब विधायक दल की बैठक होने को थी, तब अपने पटु शिष्य दिग्विजय सिंह का नाम आगे कर दिया। आदिवासी मुख्यमंत्री बनाने का तो नहीं, लेकिन मप्र में दलित-पिछड़े आदिवासी समाज के प्रतिनिधि को उप मुख्यमंत्री बनाने का श्रेय कांग्रेस के खाते में दर्ज है- यह भी एक कारण है कि कांग्रेस भाजपा पर बनिये-ब्राह्मण की पार्टी होने का आरोप लगाती रही है। मप्र की 230 सीटों में मालवा-निमाड़ की 66 में से जो दल अधिक सीटें प्राप्त कर लेता है, उसकी सरकार आसानी से बनती रही है। यही एक बड़ा कारण रहा है कि कांग्रेस ने सुभाष यादव, शिवभानु सिंह सोलंकी और जमुनादेवी को उप मुख्यमंत्री बना कर आदिवासी वोट बैंक को साधे रखा।
समाजवादी मामा बालेश्वर दयाल का आदिवासी अंचलों में आज भी प्रभाव है। उन्होंने ही जमुनादेवी को राजनीति में आगे बढ़ाया। उप मुख्यमंत्री रहीं जमुनादेवी के भतीजे-विधायक उमंग सिंघार यदि आदिवासी मुख्यमंत्री की मांग कर रहे हैं, तो अपरोक्ष रूप से यह आदिवासी वोट बैंक को कांग्रेस के पक्ष में लाने की रणनीति भी कही जा सकती है। सिंघार यदि यह कह रहे हैं कि वे खुद को आदिवासी सीएम के लिए प्रोजेक्ट नहीं कर रहे हैं, तो इसकी वजह वो खुद भी जानते हैं कि उनका व्यक्तिगत जीवन इतना उजला नहीं है कि इस पद की दावेदारी पर विधायक आसानी से सहमति दे दें। उनकी इस मांग की वजह पूर्व सांसद कांतिलाल भूरिया को मजबूत बनाने के लिए हो सकती है, लेकिन भूरिया भी पिछला लोकसभा चुनाव सुमेरसिंह सोलंकी के हाथों हार कर झाबुआ-रतलाम संसदीय क्षेत्र में अपना जनाधार ढह जाने की इबारत खुद ही लिख चुके हैं। कांग्रेस ने उन्हें चुनाव अभियान समिति का अध्यक्ष बना कर एक तरह से उनके राजनीतिक उपलब्धियों पर जमी गर्त साफ करने की पहल भी इसलिए की है कि मुद्दा 66 सीटों पर अपने पक्ष में माहौल बनाने का है। भूरिया इस समिति के अध्यक्ष हैं। उनके पुत्र डॉ. विक्रांत भूरिया प्रदेश युवक कांग्रेस अध्यक्ष हैं ही। पिता-पुत्र को कांग्रेस और कितना दे? झाबुआ क्षेत्र से इस परिवार के घोर विरोधी रहे (स्व.) दिलीप सिंह भूरिया भी कांग्रेस से सांसद रहे, लेकिन सीएम बनने का सपना पूरा नहीं हुआ। भाजपा ज्वाइन करने के बाद वे राष्ट्रीय स्तर पर आयोग के अध्यक्ष जितना ही सम्मान पा सके थे।
विधायक उमंग सिंघार की मांग को निमाड़ क्षेत्र के कांग्रेस नेताओं का ही समर्थन नहीं मिल पाया है। नेता प्रतिपक्ष डॉ. गोविंद सिंह ने सीएम फेस को लेकर भले ही कमलनाथ के संदर्भ में चौंकाने वाले बयान देना बंद नहीं किए हों, लेकिन आदिवासी सीएम जैसी मांग का उन्होंने भी समर्थन नहीं किया है। यह हकीकत भी सब समझते हैं कि विपक्ष का दायित्व संभाल पाने में कांग्रेस यदि आज हिम्मत दिखा रही है, तो उसकी ताकत भी उद्योगपति कमलनाथ ही हैं। गांधी परिवार को जितने कमलनाथ प्रिय हैं, उतने ही दिग्वजय सिंह भी इस परिवार के प्रति निष्ठावान तब से हैं, जब अर्जुन सिंह, एनडी तिवारी, माधवराव सिंधिया ने इंदिरा गांधी से नाराजी के चलते तिवारी कांग्रेस गठित कर ली थी, तब भी दिग्विजय सिंह ने अर्जुन सिंह के साथ जाने की अफवाहों पर विराम लगाते हुए इंदिरा गांधी के प्रति अपनी निष्ठा जाहिर की थी। कभी कमलनाथ इन्हीं दिग्विजय सिंह को प्रदेश का मुख्यमंत्री बनाने में सहयोगी बने थे, तो 2018 में सिंधिया के सपनों को चकनाचूर कर कमलनाथ को प्रदेश का नेतृत्व सौंपने में दिग्विजय सिंह की खास भूमिका रही थी। इस बार भी प्रदेश में यदि कांग्रेस सत्ता शिखर पर पहुंचती है तो कमलनाथ को बुरी नजरों से बचाने की झाड़फूंक दिग्विजय सिंह को ही करना है।

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सरकार और मैंने जो भी वादा किया, उसे पूरा किया : संजय पाठक

विजयराघवगढ़ विधानसभा में विकास पर्व के अंतर्गत विधायक संजय पाठक ने 5 करोड़ से अधिक लागत वाले 5 मेगावॉट के विद्युत उपकेंद्र, सड़कों और सामुदायिक भवन जैसे विकास कार्यों का भूमिपूजन किया। अपने संबोधन में विधायक पाठक ने कहा कि संपूर्ण विधानसभा क्षेत्र में विकास के कार्यों के भूमिपूजन और लोकार्पण हो रहे हैं। ये विकास के कार्य सीधे आम जनता को सहुलियत पहुंचाने के लिए हैं। आज आपके क्षेत्र में विद्युत का उपकेंद्र का भूमिपूजन हुआ। विद्युत उपकेंद्र कुछ महीनों में तैयार हो जाएगा और इसका लाभ सम्पूर्ण ग्रामीण क्षेत्रों को मिलेगा। साथ ही 24 घंटे निर्बाध विद्युत आपूर्ति होगी। किसानों को सिंचाई के लिए पंप चलाने के अच्छा वोल्टेज मिलेगा, जिससे जन-जन लाभान्वित होंगे। भारतीय जनता पार्टी की सरकार व्यक्ति, परिवार, समाज और राष्ट्र को एक सशक्त, विकसित और शक्तिशाली बनाना चाहती है, जिस कार्य का वादा करती है, उसे पूरा भी करती है। लाडली बहना योजना, प्रधानमंत्री आवास योजना, संबल योजना इसके उदाहरण हैं। मुख्यमंत्री ने तकनीकी शिक्षा प्राप्त करने वाले युवाओं के लिए सीखो कमाओ योजना लाई है, जिससे उन्हें काम सीखने का अवसर मिलेगा। साथ ही दो साल तक आठ हजार रुपए मिलेंगे। इसलिए पिछले पांच दिनों पहले मुख्यमंत्री से आग्रह करके कैमोर में आईटीआई पास करवाई है अब विधानसभा में तीन-तीन आईटीआई होंगी। हमारे नौजवान किसी भी फील्ड में आगे आए खेल में भी आगे बढ़े। इसलिए विधानसभा में बड़े बड़े स्टेडियम बनवा रहे हैं। आज विधानसभा में सड़क, पुल, पुलिया, बिजली, पेयजल आपूर्ति सब काम विधानसभा में हो रहे हैं।

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लोकायुक्त छापा : पूर्व स्टोरकीपर के घर मिली 10 करोड़ से ज्यादा की संपत्ति

भोपाल मास्टर प्लान 2031 को लेकर आपत्तियों की आनलाइन सुनवाई नौ अगस्त से चार सितंबर तक होगी। इस दौरान 3005 आपत्तियों पर सुनवाई होगी। मंगलवार को पहले दिन 152 आपत्तियों को सुनवाई के लिए रखा जाएगा। भोपाल के मास्टर प्लान का ड्राफ्ट 2 जून को सरकार ने जारी कर दिया था। ड्राफ्ट जारी होने के 30 दिन के अंदर कुल 3005 आपत्ति और सुझाव मिले। इनमें बड़ा तालाब किनारे बसाहट, बाघ एरिया समेत कई रहवासी इलाकों को लेकर आपत्तियां आई हैं। 11 बजे से शुरू यह सुनवाई शाम 5.45 बजे तक चलेगी। इसमें विधायक कृष्णा गौर, पूर्व विधायक जितेंद्र डागा, दिलीप बिल्डकान के दिलीप सूर्यवंशी और सीमा सूर्यवंशी की 3—3 आपत्तियां, आयुक्त गृह निर्माण एवं अधोसंरचना जैसे अन्य नाम सुनवाई में शामिल हैं।
विवाद के 3 बड़े कारण
ल्ल मास्टर प्लान में एक बड़ा विवाद बड़े तालाब के कैचमेंट का लैंडयूज बदलने को लेकर है। लोग कैंचमेंट क्षेत्र को रहवासी करवाना चाहते हैं, जिससे यहां निर्माण कार्य किया जा सके। बता दें कि लैंडयूज को बदलने के लिए 770 आपत्तियां लगाई गई हैं।
ल्ल मास्टर प्लान में बड़े तालाब के कैचमेंट से संबंधित करीब 600 आपत्तियां आई हैं। ग्रामीण तबका इसे अपने साथ हुए धोखे की तरह देख रहा है। बड़े तालाब में शहरी क्षेत्र में जेडओआई 50 मीटर और उसकी सहायक नदी कोलांस में यह 100 मीटर से अधिक रखा गया है। इस दोहरे रवैये के खिलाफ लोगों ने आपत्ति लगाई है।
ल्ल एफएआर यानी फ्लोर एरिया रेशो पर 394 आपत्तियां आई हैं। लो- डेंसिटी एरिया में कई आईएएस और आईपीएस के बंगले हैं। वर्तमान प्लान के अनुसार लो डेनसिटी एरिया में मात्र 0.06 एफएआर ही मान्य है, जबकि अफसरों ने अपने रसूख का इस्तेमाल करते हुए तय एफएआर से ज्यादा निर्माण करवा लिया, इसे वैध कराने के लिए एफएआर का बढ़ाना जरूरी था, यह हुआ भी, लेकिन लोगों ने भर—भरकर आपत्तियां लगा दी, जिसके बाद इसे 0.06 ही रहने दिया गया, लेकिन अब इसे लेकर भी आपत्तियां लग गई है।

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