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मध्य प्रदेश

66 सीट पर उम्मीदवार घोषित कर सकती है कांग्रेस

हिन्दुस्तान मेल, भोपाल। विधानसभा चुनाव 2023 के लिए मप्र की 29 लोकसभा सीट के लिए बनाए गए आॅब्जर्वर की मंगलवार को पहली बैठक हो रही है। सुबह 9.40 बजे से यह बैठक भोपाल में प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ के निवास पर हो रही है।
लोकसभा प्रभारियों के साथ बैठक कांग्रेस के राष्ट्रीय इंचार्ज जनरल सेक्रेटरी केसी वेणुगोपाल, कमलनाथ और इंचार्ज जनरल सेक्रेटरी रणदीप सिंह सुरजेवाला कर रहे हैं। आज शाम को दिल्ली में कांग्रेस की स्क्रीनिंग कमेटी की बैठक भी है। भाजपा की तरह कांग्रेस भी हारी हुई विधानसभा सीट पर पहले उम्मीदवार घोषित करने की तैयारी कर रही है। दिग्विजय सिंह ने लंबे समय से हार में जा रही 66 सीट पर दौरे कर अपनी रिपोर्ट और उम्मीदवारों के नामों का पैनल कमलनाथ को दिया है। इन नामों की सर्वे के डाटा से मैचिंग की जाएगी। इसके बाद स्क्रीनिंग कमेटी की बैठक में इन सीट्स के उम्मीदवारों के नामों पर चर्चा होगी। स्क्रीनिंग कमेटी की बैठक में जिला अध्यक्षों, जिला प्रभारियों द्वारा दिए गए नामों का भी मिलान किया जाएगा। सर्वे, दिग्विजय सिंह की रिपोर्ट और जिलों से आए नामों में जो भी नाम मैच करेंगे, उन्हें पहली लिस्ट में घोषित किया जा सकता है।

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जन्माष्टमी : जुगलकिशोर मंदिर में पन्ना की महारानी का नशे में हंगामा….

पन्ना, एजेंसी। बुंदेलखंड के प्रसिद्ध जुगलकिशोर मंदिर में पन्ना राजघराने की महारानी जितेश्वरी देवी ने कृष्ण जन्माष्टमी पर हंगामा कर दिया। कृष्ण जन्मोत्सव रात 12 बजे शुरू हुआ। इस दौरान जितेश्वरी देवी आरती के बीच से ​​​​​​उठीं और गर्भगृह में जाकर पुजारी से चंवर छुड़ा लिया। फिर भक्तों की तरफ देखकर गलत तरीके से चंवर डुलाने लगीं। अभद्रता की। श्रद्धालुओं ने उनको बाहर करने की आवाजें लगाईं। पुजारी और वहां मौजूद लोगों ने जितेश्वरी देवी को गर्भगृह से बाहर करने की कोशिश की। इस दौरान वह गिर गईं। उन्हें पुलिस की मदद से घसीटकर बाहर किया गया। उन्होंने पुलिस से भी अभद्रता की। पूजन में विघ्न के कारण पुजारी ने आरती बीच में ही रोक दी। भक्तों में काफी आक्रोश है, उन्होंने पन्ना के इतिहास में इसे सबसे निंदनीय घटना बताया है। मंदिर के मुसद्दी (पुजारी) संतोष कुमार तिवारी ने पुलिस को जानकारी दी।

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बंठाढार की छाया में छटपटाती सरकार

ईमानदारी और पूर्ण निष्ठा के साथ लंबे समय से बंठाढार-बंठाढार का जाप करने वाले भाजपा नेताओं ने सपने में नहीं सोचा होगा कि ऐन चुनाव से पहले वैसे ही हालात से खुद उनकी सरकार को गांव-गांव जूझना पड़ेगा। मध्यप्रदेश में गहराते बिजली संकट और खेतों में खड़ी लगभग 60 फीसदी फसल तबाह होने से किसानों की परेशानी हताशा में बदलती जा रही है। इसके साथ ही गांव से लेकर शहरों तक गहराते बिजली संकट ने भी सरकार की उजली योजनाओं को अंधेरे में धकेल दिया है। ऐसा नहीं कि मुख्यमंत्री चौहान चुनावी महीनों में बिजली-बारिश-फसल संकट से बिगड़ते हालात को लेकर चिंतित नहीं हैं। सरकार के हाथ में कुछ नहीं है, लेकिन शिवराज भी आम किसान की तरह महाकाल से बारिश की प्रार्थना के बाद ऐसा ही अनुरोध रामराजा सरकार से भी कर चुके हैं।
प्रदेश में मानूसन रूठा है, नतीजतन बांध खाली हैं, फसलें सूख रही हैं। सरकार की चिंता यह भी है कि पूरे प्रदेश में निकाली जा रही जनआशीर्वाद यात्रा को वो करोड़ों परिवार कैसे आशीर्वाद देंगे जो प्रकृतिजन्य सूखे के हालात और बिजली संकट से परेशान हैं। हर वर्ग की परेशानी से विचलित हो जाने वाले मुख्यमंत्री के पास आसान हल रहता है कि ऐसे तमाम धधकते मामलों पर तुरंत घोषणा के मलमली कालीन बिछा देते हैं। प्रकृति की नाराजी के सम्मुख अभी तो खुद मुख्यमंत्री भी असहाय नजर आ रहे हैं। सूखे और बिजली से उपजे संकट से राहत का हल सरकार के पास भी नहीं है। खुद मुख्यमंत्री स्वीकार चुके हैं कि पचास साल में सूखे का ऐसा संकट पहली बार निर्मित हुआ है।
प्रदेश में पुन: भाजपा की सरकार बनाने के लिए गांव-गांव रथ दौड़ा रहे अमित शाह, राजनाथ सिंह, नितिन गडकरी जैसे नेताओं के भी बस में नहीं है कि सरकार की तरफ से बिजली-पानी की भरपूर व्यवस्था का वादा कर सकें। सरकार के हाथ में ही होता तो नित नई घोषणा करने वाले मुख्यमंत्री हर खेत में पानी के टैंकर भिजवाने का प्लान घोषित कर के मंत्रियों को जिलेवार निगरानी का जिम्मा भी सौंप देते। जले पड़े ट्रांसफार्मर बदलने के लिए अफसरों को भी खेत-खेत दौड़ा देते। हर दो-चार दिन में कौतुक करने वाले- सिंधिया समर्थक ऊर्जा मंत्री प्रद्युम्न सिंह तोमर भी गहराते बिजली संकट वाले इन दिनों में जाने कहां कंबल ओढ़ कर खर्राटे भर रहे हैं।
चुनावी साल में अल्पवर्षा ने शिवराज सरकार के सामने नया संकट खड़ा कर दिया है। बारिश नहीं होने के चलते जहां एक ओर खेतों में खड़ी किसानों की फसल सूख रही है, वहीं दूसरी ओर प्रदेश में बिजली संकट के चलते सिंचाई के लिए पानी भी नहीं मिल पा रहा है।
मालवा-निमाड़ अंचल के किसान बड़े पैमाने पर सोयाबीन की खेती करते हैं, इन पर भी सबसे अधिक मौसम की मार पड़ी है। फसल बुरी तरह बर्बाद हो गई है। खेत पूरी तरह सूख गए हैं और जमीन फटने लगी है, इससे खेतों में खड़ी फसल का तगड़ा नुकसान हुआ है। प्रदेश के पश्चिमी हिस्से के कई जिलों में हुई बेमौसम बारिश ने किसानों के बीच रबी फसलों, विशेषकर गेहूं, चना और सरसों की क्षति को लेकर गंभीर चिंता पैदा कर दी है।
हर दम बिजली का ठीकरा कांग्रेस पर फोड़ने वाली सरकार इस संकट के दौरान निरुत्तर है। गांवों में कितने घंटे बिजली मिलेगी, शहरों में कब बिजली चली जाएगी इसका जवाब नाराज, महाराज और शिवराज-इन गुटों में बंटी भाजपा के किसी भी दबंग नेता के पास नहीं है। सरकार के पास फिलहाल तो एकमात्र हल यही नजर आता है कि जनआशीर्वाद यात्रा वाली सभाओं में यह घोषणा करती चले कि सूखे या अतिवृष्टि के कारण तबाह हुई फसलों का सर्वे कराएंगे और मुआवजा देंगे-जाहिर है बाकी घोषणाओं को पूरा करने की तरह मुआवजा वितरण के लिए भी सरकार को फिर भारी भरकम ऋण लेना होगा।

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राजनीति की छत्रछाया से बाहर निकलें अफसर : ईसी

हिन्दुस्तान मेल, भोपाल
मध्यप्रदेश में चुनावी तैयारियों का जायजा लेने आई चुनाव आयोग (ईसी) की फुल बेंच ने पुलिस के एक्शन पर नाराजगी जताई है। ग्वालियर-चंबल समेत दर्जनभर जिलों के एसपी को फटकार लगाई। आयोग ने कहा है कि सभी अधिकारी राजनीति की छत्रछाया से खुद को बाहर निकालें। जानबूझकर गलती करने से बचें, नहीं तो ऐसी कार्रवाई होगी, जो मिसाल बनेगी।
चुनाव आयोग ने मंगलवार को भोपाल के कुशाभाऊ ठाकरे कन्वेंशन सेंटर में सभी कलेक्टर और एसपी की बैठक ली। आयोग ने कानून व्यवस्था में कमी और आपराधिक गतिविधियों पर एक्शन के मामले में लापरवाही पर नाराजगी जताई। सुबह की पाली में पहले राउंड में पुलिस एक्शन और कानून व्यवस्था की समीक्षा की गई। आयोग ने कहा कि वे पुलिस के एक्शन से संतुष्ट नहीं हैं। शराब पकड़ने, स्मैक और गांजे के कारोबार पर कार्रवाई और हवाला के कारोबार पर एक्शन के मामले में खास तौर पर भी नाराजगी जताई गई।
शाम को ब्यूरोक्रेट्स की ‌सराहना
आयोग ने दूसरी पाली में जिला वार समीक्षा के बाद ब्यूरोक्रेट्स की पीठ थपथपाई। कहा कि प्रशासनिक व्यवस्था सुदृढ़ और व्यवस्थित है। यहां की ब्यूरोक्रेसी देश में सबसे अच्छी मानी जाती है। इसलिए अधिकारी निष्पक्ष चुनाव करने के लिए खुद को ढाल लें।
अफसरों को दी चेतावनी
आयोग ने अफसरों को चेताया है कि वह निष्पक्ष होकर काम करें। छोटी-मोटी गलतियां इग्नोर कर दी जाएंगी। आमतौर पर आयोग के एक्शन को लेकर अफसर में भय होता है कि जरा सी गलती पर कार्रवाई होती है। आयोग ने आश्वस्त किया कि सामान्य गलती को इग्नोर किया जा सकता है, लेकिन अगर जानबूझकर गलती की जाएगी, तो माफी नहीं मिलेगी। ऐसे मामले में आयोग सबसे खराब और खतरनाक कार्रवाई करेगा, जो मिसाल बनेगी।
कलेक्टर-एसपी ने बताई वस्तुस्थिति
इलेक्शन कमीशन की फुल बेंच के सामने कलेक्टर और पुलिस अधीक्षकों ने जिलों में मतदान केंद्रों की स्थिति, वहां पहुंच की स्थिति और मतदाताओं की संख्या के साथ-साथ संवेदनशील और अति संवेदनशील मतदान केंद्रों की जानकारी दी। आयोग ने कहा है कि चुनाव के दौरान उपद्रव और अशांति फैलाने वाले तत्वों पर सख्ती से कार्रवाई के लिए प्लानिंग होनी चाहिए। मतदान केन्द्रों में सुरक्षा प्रबंधन को लेकर आयोग ने पुलिस अधीक्षकों से जिला वार रिपोर्ट ली है।
ये अफसर पहुंचे हैं भोपाल
मुख्य चुनाव आयुक्त राजीव कुमार के साथ निर्वाचन आयुक्त अरुण गोयल, अनूप चंद्र पाण्डे, महानिदेशक निर्वाचन डॉ. नीता वर्मा, उप निर्वाचन आयुक्त अजय भादू एवं सचिव निर्वाचन पवन दीवान भी भोपाल आए हैं। केन्द्रीय निर्वाचन दल आज शाम तक प्रदेश में रहेगा।
दूसरे राज्यों से सटे जिलों पर ध्यान
आयोग के अफसरों ने कलेक्टर एसपी से यूपी, गुजरात, महाराष्ट्र, छत्तीसगढ़, राजस्थान की सीमा से सटे जिलों में की गई तैयारियों को लेकर चर्चा की। हाईवे से लेकर गांवों और कस्बाई इलाकों से जुडने वाली सड़कों पर नाकेबंदी और चेकिंग प्वाइंट बनाने को लेकर भी अफसरों ने जानकारी दी।

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हॉस्टल के 550 बच्चों में मिली खुजली की स्केबीज……..

राजधानी से सटे मुगालिया छाप में स्थित श्रमोदय विद्यालय में पढ़ने वाले 1250 बच्चों में से 550 बच्चे स्केबीज बीमारी से पीड़ित हैं। ये हकीकत पिछले दिनों यहां पर लगाए गए हेल्थ चेकअप कैंप में सामने आई है, लेकिन अभी तक इन बच्चों का ठीक तरीके से इलाज शुरू नहीं हो पाया है। ऐसे में आशंका है कि साथ में रहने वाले अन्य बच्चों में भी ये बीमारी तेजी से फैल सकती है।
डॉक्टर्स की मानें तो स्केबीज एक प्रकार की खुजली होती है जो सरकोप्टस स्कैबीई नामक कीटाणुओं की वजह से होती है। स्कूल में ये बीमारी फैलने की मुख्य वजह यह है कि जिन हॉस्टल में बच्चे रहते हैं, उस जगह पर धूप नहीं आती है। लंबे समय से पुराने गद्दों का इस्तेमाल किया जा रहा है, इनको धूप में नहीं रखा गया है।
इसकी वजह से बच्चों में ये बीमारी फैली है। डॉक्टर्स का मानना है कि इस बीमारी को फैलने से रोकने के लिए एक साथ सभी बच्चों का ट्रीटमेंट करना पड़ेगा। तब जाकर बीमारी पर काबू पाया जा सकेगा। खास बात ये है कि जिस स्कूल के बच्चों में ये बीमारी फैली है उस स्कूल में दो दिन पहले हुजूर विधायक रामेश्वर शर्मा ने राखी बंधवाने के लिए कार्यक्रम का आयोजन किया था। इस मामले की जानकारी पंचायत द्वारा स्वास्थ्य विभाग के अफसरों को दी गई है, लेकिन अभी तक बच्चों का ठीक तरीके से इलाज शुरू नहीं हो पाया है।

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