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मध्य प्रदेश

फिर शुरू हुआ पोस्टर वॉर

भोपाल। विधानसभा चुनाव के दौर में एक बार फिर पोस्टर वॉर शुरू हो गया है। कांग्रेस नेता, पूर्व सीएम कमलनाथ को लेकर शहर के बिट्टन मार्केट चौराहा पर पोस्टर लगाए गए हैं।

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राजनीति में रेवड़ी की बाढ़, सारे नेता धर्म रथ पर सवार

चुनाव जब सिर पर हों तो जरूरी नहीं कि मूल मुद्दों पर बात की जाए। वोट लेने वाले यदि मतदाताओं का मूड बदलने में माहिर हैं, तो मतदाता भी जानते हैं कि बस यही वक्त है दलों को लूटने और रेवड़ी झपटने का। ये रेवड़ी फिर चाहे आशीर्वाद यात्राओं की सफलता के लिए लुटाई जा रही हों, या राम कथाओं में व्यासपीठ से शपथ दिलाई जा रही हो। मुद्दों को झपटने, मेकअप कर के उन्हें अनूठी घोषणा साबित करने का ट्रेंड कर्नाटक (कांग्रेस), पंजाब और दिल्ली (आप) से छत्तीसगढ़ (कांग्रेस) से होते हुए मप्र (भाजपा) में अदल-बदल कर चल रहा है। सर्वोच्च न्यायालय सरकार से लेकर दलों तक पर रेवड़ी बांटने के तरीकों पर नाराजी तो जाहिर करता रहा है, लेकिन रेवड़ी की स्पष्ट गाइड लाइन के अभाव में सत्तारूढ़ दलों ने भी लोक-लुभावन घोषणाओं को वैधानिक जामा पहना कर हर वर्ग, हर समाज को अपने पक्ष में करने में कोई कसर नहीं छोड़ी है।
राजनीति में रेवड़ी की बाढ़ के साथ ही बढ़ते धर्म के घालमेल का ही असर है कि मूल मुद्दे गायब हो गए हैं। कथा-भोजन-भंडारे का ऐसा असर है कि विभिन्न दलों को अपने काम से ज्यादा बाबाओं की कथा-शोभायात्रा में जीत का मार्ग नजर आने लगा है। भाजपा ने जिन धार्मिक आयोजनों का एक तरह से ट्रेडमार्क ले रखा था, कांग्रेस भी अकल के साथ उसकी नकल करने में जुट गई है। यही कारण है कि 2018 के विधानसभा चुनाव की अपेक्षा इस बार के चुनाव में बाबाओं पर हक जताने की होड़ अधिक है।
पूर्व सीएम कमलनाथ सहित अन्य कांग्रेस नेताओं की यह मजबूरी भी उजागर हो गई है कि उन्हें इस बार बागेश्वर धाम वाले पं. धीरेंद्र शास्त्री की कथा के बाद पंडित प्रदीप मिश्रा की कथा कराना पड़ी है। पिछले चुनाव तक तो कमलनाथ छिंदवाड़ा मॉडल का हवाला देकर प्रदेश के हर जिले को छिंदवाड़ा की तरह उन्नत और विकसित करने का सपना दिखाते थे, लेकिन इस चुनाव से पहले वे भी खुद को भाजपा से अधिक धार्मिक और सत्संगी साबित करने को मजबूर हो गए हैं। ऐसा नहीं होता तो पं. मिश्रा को विदा करते हुए उन्हें यह अनुरोध नहीं करना पड़ता कि आप तो छिंदवाड़ा को गोद ले लीजिए। बदले में पं. मिश्रा ने भी शिवराज-भाजपा की नाराजी से बचते हुए कमलनाथ की तारीफ में कह दिया है कि पहले छिंदवाड़ा का इतना विकास नहीं हुआ था। लोग छिंदवाड़ा को नहीं जानते थे। पूर्व सीएम का धन्यवाद, आपने छिंदवाड़ा को आकृति दी। उनकी हनुमान भक्ति से मोहित पं. मिश्रा यह कहने से भी नहीं चूके कि भगवान की कृपा जिस पर होती है, वही व्यक्ति मंदिर बनाता है। कमलनाथ जी पर भगवान राम की कृपा है और उनके माता-पिता के संस्कार हैं, जो उन्होंने छिंदवाड़ा को यह सौगात दी। जनता के द्वारा चुना हुआ व्यक्ति संसद में बैठता है और भगवान की जिस पर कृपा होती है, वह सत्संग में बैठता है। आरएसएस की विचारधारा के ब्रांड एंबेसेडर समझे जाने वाले संतों की कांग्रेस नेताओं पर कृपादृष्टि का मुख्य कारण कथा-भागवत के भारी भरकम खर्च उठाना भी है। यजमानों की सुविधा मुताबिक प्रवचनकारों ने राहत वाले पैकेज भी जारी कर दिए हैं। सात दिन की कथा कराने की क्षमता न हो तो तीन दिन और इसमें भी खर्चा अधिक लगे तो एक दिन का प्रवचन और यह भी बजट से बाहर लगे तो श्रद्धालुओं से मुलाकात के कुछ घंटे भी बुक कराए जा सकते हैं। एक दिन का पैकेज उन्हीं परिस्थितियों में दिया जा सकता है, जब दो स्थानों पर कथा की अलग-अलग तारीखों के बीच के दिन फुरसत के हों। इस चुनाव में धर्म के दबदबे का कितना असर है, यह सिवनी में रामभद्राचार्य महाराज ने भी बता दिया है।
व्यासपीठ से पार्टी को जिताने के आह्वान और मंत्री बनवाने का विश्वास दिलाने के ट्रेंड की शुरुआत सिवनी में जगद्गुरु रामानंदाचार्य स्वामी रामभद्राचार्य ने कर दी है। सिवनी के पॉलीटेक्निक ग्राउंड में विधायक दिनेश राय के नेतृत्व में आयोजित रामकथा के दौरान रामभद्राचार्य जी ने व्यासपीठ से प्रदेश में उन्मुक्त होकर कमल खिलाने के साथ ही विधायक को इस चुनाव में जिताने की अपील कर डाली। वे यहीं नहीं रुके, श्रोताओं को यह विश्वास भी दिला दिया कि तुम मुनमुन को चुनाव जितवा दो, इसे मिनिस्टर बनाना मेरी जिम्मेदारी है। ये लड़का मुझको इतना प्रिय है कि इस बार तो कैबिनेट में किसी ना किसी विभाग पर बैठाना ही है।

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शिवराज के मंत्री कैलाश सारंग का बड़ा दावाभाजपा के संपर्क में हैं कांग्रेस के 15 से 20 विधायक

हिन्दुस्तान मेल, भोपाल
मध्यप्रदेश के विधानसभा चुनावों में अब महज 2 महीने का समय ही शेष है। दल-बदल की राजनीति भी इन दिनों मप्र में जमकर चल रही है। कभी कांग्रेस के नेता बीजेपी ज्वाइन कर रहे हैं तो कभी बीजेपी के नेता कांग्रेस का दामन थाम रहे हैं। इन दल बदल की राजनीति के बीच मध्यप्रदेश शासन के उच्च चिकित्सा शिक्षा मंत्री विश्वास कैलाश सारंग का बड़ा बयान आया है। मंत्री सारंग ने दावा किया है कि कांग्रेस के 15 से 20 विधायक बीजेपी के संपर्क में है, लेकिन हम उन्हें ज्वाइन कराना नहीं चाहते हैं। मंत्री सारंग ने पीसीसी चीफ कमलनाथ के बयानों पर भी पलटवार किया है।
जब मीडिया उच्च चिकित्सा शिक्षा मंत्री विश्वास कैलाश सारंग से सवाल किया कि बीजेपी के लोग कांग्रेस में जा रहे हैं, इसका जवाब देते हुए उच्च चिकित्सा शिक्षा मंत्री विश्वास कैलाश सारंग ने कहा कि कांग्रेस के लोग तो बीजेपी में आ रहे हैं, हम ले नहीं रहे हैं। 15 से 20 विधायक ऐसे हैं कांग्रेस के जो बीजेपी ज्वाइन करना चाहते हैं पर हम ज्वाइन नहीं करा रहे।
कमलनाथ के बयान पर पलटवार
उच्च चिकित्सा शिक्षा मंत्री विश्वास कैलाश सारंग ने पीसीसी चीफ व पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ के बयानों पर भी पलटवार किया है। मंत्री सारंग ने कहा कि कांग्रेस का जो मूल कार्यकर्ता है उसकी कांग्रेस में इज्जत नहीं है। यदि आयातित और इम्पोर्ट किए नेताओं के भरोसे कांग्रेस चुनाव लड़ना चाहती है तो आप समझ सकते हैं कि कांग्रेस की स्थिति क्या होगी। पूर्व मुख्यमंत्री व प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ ने आज सुबह भारतीय जनता पार्टी पर तंस कसते हुए ट्वीट किया था कि मध्यप्रदेश में बीजेपी पूरी तरह से हताश हो गई है। बीजेपी अब न तो कनिष्ठों को तवज्जों दे रही है और न ही वरिष्ठ को। उन्होंने लिखा कि मध्यप्रदेश से अब बीजेपी का विदाई का समय आ गया है। बीजेपी के वरिष्ठ नेतागण अपने साक्षात्कारों में उनकी अपनी ही पार्टी द्वारा अपनी अवहेलना, उपेक्षा और अपमान की सरेआम बात कर रहे हैं। उससे साबित हो गया है कि कांग्रेस के प्रति जन-समर्थन देखकर बीजेपी पहले ही हताश हो चुकी है और दिखावटी चुनाव लड़ रही है, इसीलिए न उसके पास रणनीति है न सेनापति। इसीलिए न वो वरिष्ठों को महत्व दे रही है न कनिष्ठों को। पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने ट्वीट कर लिखा कि बीजेपी दिल्ली से ही मप्र का चुनाव संचालित करके दिखा रही है कि उसे न तो मप्र के नेतृत्व पर विश्वास है, न नेताओं और संगठन पर। पीसीसी चीफ कमलनाथ ने कहा था कि बीजेपी की सामूहिक विदाई का समय आ गया है।

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कुक्षी को जिला बनाने का प्रस्ताव प्रशासन ने शासन को भेजा, प्रशासन ने तैयारी कर ली

उम्मीद है सीएम चौहान 14 सितंबर को कुक्षी को जिला घोषित करेंगे – पाटीदार…………..

प्रदेश के बड़े जिलों में शुमार धार से पृथक कर बड़ी तहसील कुक्षी को जिला बनाने की मांग लगातार विभिन्न गतिविधियों के माध्यम से की जा रही है। इस बीच धार जिला प्रशासन द्वारा कुक्षी एसडीएम से कुक्षी को जिला बनाने संबंधित प्रस्ताव मांगा गया। एसडीएम कुक्षी के पत्र 10 अगस्त 2023 संदर्भ: आदेश क्र. 1338/भू – अभि./भू- प्रबंधन/2023 धार दिनांक 04 अगस्त, 2023 जिसके अनुसार संदर्भ राजस्व विभाग मध्यप्रदेश शासन मंत्रालय भोपाल का पत्र क्रमांक: 204/224/2020/सात-7/दिनांक: 22/03/21 तथा सोमेश्वर पाटीदार जनादेश सरकार का पत्र क्रमांक 85 दिनांक: 11/05/23 तथा सीएम हाउस का पत्र क्रमांक: 11271/सीएचएम/ 2021 दिनांक: 16/11/2021 का जिसकी प्रतिलिपि कुक्षी जिला बनाओ आंदोलन प्रमुख सोमेश्वर पाटीदार को भी हाल ही में प्राप्त हुई है।
सत्ता परिवर्तन पदयात्रा के पश्चात आगामी 14 सितंबर, को जन आशीर्वाद यात्रा में मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान के कुक्षी आगमन पर भी आंदोलन प्रमुख सोमेश्वर पाटीदार ने शासन-प्रशासन को पत्र लिखकर दौरा निरस्त करने व विरोधस्वरूप धरना-प्रदर्शन हेतु पत्र लिखा है।
पाटीदार ने बताया कि प्रशासन ने निर्धारित प्रपत्र अनुसार कुक्षी को जिला बनाने की जानकारी वरिष्ठ कार्यालय को प्रेषित कर कुक्षी को जिला बनाने की तैयारी कर ली है। अब क्षेत्रवासियों को उम्मीद है कि मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान 14 सितंबर को कुक्षी को जिला बनाने की घोषणा करके ही जाएं। कुक्षी जिला बनाने हेतु हर दृष्टि से सक्षम है। शासकीय भवनों हेतु भी पर्याप्त जमीनें उपलब्ध हैं।
जनादेश सरकार सोमेश्वर पाटीदार ने कहा कि प्रदेश में छोटे-छोटे मऊगंज, नागदा, पांढुर्णा, मेहर जैसे 4 जिलों की घोषणाएं हाल ही में की हैं। आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र कुक्षी से सौतेला व्यवहार छोड़कर कुक्षी को जिला बनाने की घोषणा कर सौगात दीजिए और अपने संवैधानिक पद की गरिमा को बनाए रखिए। पाटीदार ने कहा कि जब तक कुक्षी जिला बनाने की घोषणा नहीं करेंगे, तब तक हमारे आंदोलन की सभी गतिविधियां लगातार जारी रहेंगी। आगामी 14 सितंबर के धरना प्रदर्शन को लेकर सत्ता के दबाव में प्रशासन ने हमारे अधिकारों से वंछित कर जबरन धरना प्रदर्शन रोकने हेतु अपनी शक्तियों का दुरुपयोग किया तो हम न्यायपालिका के समक्ष जाएंगे। शिवराजसिंह अपना भेदभावपूर्ण रवैया बदलकर आदिवासियों व पिछड़ों सहित पूरे क्षेत्र का हित चाहते हैं तो कुक्षी को जिला बनाएं, हम आपका स्वागत व आभार प्रकट करेंगे, अन्यथा जन आशीर्वाद यात्रा में आक्रोश और 4 माह बाद सत्ता से बेदखली तय है।

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अब पार्लरों में मिलेंगे सांची के कुकीज, ब्रेड और मिनरल वॉटर………..

शहर के 550 से ज्यादा सांची पार्लरों पर सांची ब्रांड के कुकीज, ब्रेड, स्लाइस समेत कई फूड प्रोडक्ट और मिनरल वॉटर मिलेंगे। दुग्ध संघ द्वारा किसानों की दुग्ध सहकारी समितियों के अलावा अब स्व सहायता समूहों से भी दूध खरीदा जाएगा। सोमवार को भोपाल दुग्ध संघ की 41वीं वार्षिक साधारण सभा (एजीएम) की बैठक में कई प्रस्ताव पारित किए गए। वैशाली नगर स्थित पशुपालन विभाग के आॅडिटोरियम में हुई साधारण सभा की अध्यक्षता भोपाल के संभाग आयुक्त एवं दुग्ध संघ के प्रशासक डॉ. पवन कुमार शर्मा ने की। दुग्ध संघ के सीईओ आरपीएस तिवारी ने प्रस्तावों को पढ़कर प्रशासक से अप्रूवल लिया। ये फूड प्रोडक्ट फूड प्रोसेसिंग आॅर्गेनाइजेशन (एफपीओ) के जरिए सांची पार्लरों पर उपलब्ध होंगे। स्व-सहायता समूहों को सहकारिता के तहत रजिस्टर्ड कर दुग्ध सहकारी समितियों का दर्जा दिया जाएगा। इसके लिए नियमों में बदलाव भी किया जाएगा।
रोजाना 2.95 लाख किलो दूध लिया जा रहा- सभा में यह बताया गया कि 2425 सहकारी दुग्ध समितियों से जुड़े किसानों से रोजाना औसतन 2.95 लाख किलोग्राम प्रतिदिन दूध लिया जा रहा है। इन किसानों को अभी तक की सर्वोच्च क्रय दर रुपए 785 प्रति किलो फैट के हिसाब से दी गई।
दुग्ध उत्पादकों किसानों को 460 करोड़ रुपए का भुगतान किया गया। सहकारी दुग्ध समितियों द्वारा राशि 8.42 करोड़ रुपए का शुद्ध लाभ अर्जित किया गया। संघ के संचालित 342 कृत्रिम गभार्धान केंद्रों द्वारा 1.57 लाख कृत्रिम गभार्धान वर्ष के दौरान किए गए।

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