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मध्य प्रदेश

आलमी तब्लीगी इज्तिमा के आखिर दिन हुई दुआ-ए-खास

ईंटखेड़ी में चल रहे आलमी तब्लीगी इज्तिमा का आज सोमवार को समापन हो गया। इज्तिमागाह पर पहले तीन दिन 7 लाख से ज्यादा लोग पहुंचे, आखिरी दिन दुआ-ए-खास के वक्त लगभग 10 लाख लोग शामिल हुए। रविवार रात तक लोगों के पहुंचने का सिलसिला जारी रहा। भोपाल पहुंचने वाली ट्रेनों में भीड़ देखी गई। बस और अन्य वाहनों से भी लोग यहां पहुंचे हैं। मध्यप्रदेश के आसपास के जिलों से लोग निजी वाहनों से भी आए हैं। आयोजन स्थल पर बनाई गई 65 से अधिक पार्किंग फुल हो गई। पुलिस ने सोमवार की भीड़ को देखते हुए एक दिन पहले बड़े वाहनों के प्रवेश पर रोक लगा दी थी। दूसरी ओर, रेलवे स्टेशन से लेकर ईंटखेड़ी तक इज्तिमा कमेटी के वॉलेंटियर्स ट्रैफिक मैनेजमेंट की जिम्मेदारी संभालते रहे।
सुबह 9 बजे हुई दुआ-ए-खास- इज्तिमा मीडिया प्रभारी मोहम्मद आरिफ खान ने बताया कि दुआ के लिए सोमवार सुबह 9 बजे का वक्त तय किया था। सुबह फजर की नमाज के बाद मौलाना सआद साहब का खास बयान हुआ। इस दौरान उन्होंने जमातों में निकलने वाले लोगों को इस सफर में अपनाए जाने वाले अखलाक, रखे जाने वाले ख्याल और किए जाने वाले काम पर समझाइश दी। दुआ के बाद लोग इज्तिमागाह से रवाना होना शुरू हो गए। यहां से शाम तक लगभग 2 हजार जमातें देशभर के लिए निकलेंगी।
इज्तिमागाह ​​​ग्रीन, क्लीन और डस्ट फ्री रहा- आमतौर पर बड़े मजमों में गंदगी, धूल, दुर्गंध और यहां-वहां फैले कचरे के अंबार दिखाई देते हैं। लेकिन, पूरा इज्तिमागाह ​​ग्रीन, क्लीन और डस्ट फ्री रहा। इज्तिमा गाह की मिट्‌टी पर बड़ी तादाद में लोगों की चहल-पहल से उड़ने वाले धूल के गुबार रोकने के लिए हर 4 घंटे में स्प्रिंकलर से पानी का छिड़काव किया जाता रहा। इज्तिमा शुरू होने से कई दिन पहले ये प्रक्रिया शुरू कर दी गई थी, जो आयोजन के दौरान भी सतत जारी रही।
रेलवे ने कहा- यूटीएस एप से खरीदें जनरल टिकट- ​​​​​​​इज्तिमा से लौटने वाले लोगों को टिकट खरीदने के लिए लाइन में लगने से बचने के लिए रेलवे ने यूटीएस (अनरिजर्व टिकट सिस्टम) ऐप यूज करने की सलाह दी। जिसमें बताया गया कि इस एप के माध्यम से लाइन में लगकर टिकट लेने की जरूरत नहीं होती। वे सीधे एप से जनरल टिकट प्राप्त कर सकते हैं। वरिष्ठ मंडल वाणिज्य प्रबंधक सौरभ कटारिया ने अनारक्षित टिकट लेकर यात्रा करने वाले यात्रियों से अपील की है कि वे मोबाइल टिकटिंग ऐप पर यूटीएस के उपयोग को बढ़ावा दें, और उपयोग से जुड़े हितों का लाभ उठाएं। किसी भी ऐप स्टोर से ऐप डाउनलोड करें। ऐप पर रजिस्ट्रेशन के लिए साइन अप करें। और टिकट बुक करें।

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लोक अदालत में तय था 25 का लक्ष्य, 15 करोड़ की हुई वसूली

राजस्व वसूली बढ़ाने की जरूरत है। लेकिन राजस्व शाखा के अधिकारियों और कर्मचारियों की लापरवाही से जोन स्तर पर कम बकाया करों की वसूली नहीं हो पा रही है। लोक अदालत के दौरान शनिवार को नगर निगम के कार्यालयों में राजस्व वसूली के लिए शिविर लगाए गए थे, इसमें बकायादारों को संपत्तिकर और जलकर समेत अन्य करों को जमा करने में छूट भी दी जा रही थी। लेकिन प्रचार-प्रसार नहीं होने से निगम लक्ष्य के अनुसार 60 प्रतिशत राशि भी नहीं वसूल पाया। इसका कारण 21 में से 11 जोन में वसूली कम होना है।
निगम अधिकारियों ने लोक अदालत में वसूली के लिए 25 करोड़ रुपये का लक्ष्य रखा था, लेकिन इसमें मात्र 15 करोड़ रुपये ही वसूली हुई। जो लक्ष्य का 59.66 प्रतिशत है। इसमें भी पांच जोन ऐसे रहे, जहां 31 से 49 प्रतिशत ही वसूली हो सकी। निगम के राजस्व विभाग के अनुसार एक दिन में 13 हजार 747 लोगों से टैक्स वसूला गया। जबकि बड़े बकायादारों को वसूली के लिए नोटिस थमाए गए हैं। यह बकायादार समय पर कर जमा नहीं करेंगे तो इनकी संपत्तियों को कुर्क करने सहित नल कनेक्शन काटने की कार्रवाई होगी।
वसूली में पिछड़े यह जोन- सबसे कम वसूली में एक नंबर पर जोन एक रहा। जोन एक को सवा करोड़ रुपये वसूली का लक्ष्य दिया था। लेकिन 655 बकायादारों से 39 लाख 9 हजार रुपए ही वसूल सका। दूसरे नंबर पर जोन 16 रहा। जोन को ढाई करोड़ वसूलना थे, 94 लाख 97 हजार रुपए वसूल किए। तीसरे नंबर पर जोन 17 रहा। डेढ़ करोड़ रुपए वसूलना थे, 68 लाख 75 हजार वसूले। जोन 14 में भी वसूली का 46.75 प्रतिशत आया और पांचवे नंबर पर जोन 18 रहा। यहां 49.77 प्रतिशत

वसूली से तय होगी परफार्मेंस
लगातार कम वसूली को देखते हुए नगर निगम प्रशासन जोन के जोनल अधिकारी और वार्ड प्रभारियों की सूची तैयार कर रहा है। बताया जा रहा है कि जो हर बार लक्ष्य पूरा नहीं करते, उन्हें राजस्व मुख्यालय अटैच किया जा सकता है।
वहीं पीईबी से चयनित होकर आए नए कर्मचारी-अधिकारियों को जोन और वार्ड का जिम्मा देने की तैयारी है। यह भी बताया गया कि अभी एलडीसी और दूसरे कर्मचारियों को जोनल अधिकारी का प्रभार दिया गया है।

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असली बेटा लौटा तो खुली नकली की पोल

ंडवा के आदिवासी बहुल खालवा के खुर्द गांव में एक फिल्मी कहानी जैसा मामला सामने आया है। यहां 28 साल पहले लापता हुआ दीनू नाम का युवक लौटा तो 15 साल से नकली दीनू बनकर रह रहे बाबा की पोल खुल गई। जब बाबा से पूछा तो उसने कहा कि मैं परिवार का दिल नहीं तोड़ना चाहता था, इसलिए बता नहीं पाया। 1995 में कालाआम खुर्द गांव में रहने वाला दिनेश लोवंशी दीनू 16 साल की आयु में काम के सिलसिले में घर से निकला था, जो अब 44 साल का हो गया है। इसके बाद वह घर नहीं लौटा। छोटे भाई विनोद ने बताया कि 15 साल बाद गांव में एक बाबा पहुंचा। मेरे भाई दिनेश जैसी ही उसकी शक्ल थी। उसने कहा कि मैं तुम्हारा खोया हुआ भाई हूं। दादा-पिता का नाम तक उसने बताया। उसके हाथों में दीनू नाम गुदा हुआ था। मुझे लगा यही दिनेश है। उसने यह भी बताया कि मैं संत बन गया। हरिद्वार में एक अखाड़े से जुड़ गया, जिसमें मेरा नाम कल्याणगिरि महाराज रखा गया। खोए हुए भाई को पहुंचा हुआ संत समझ लिया।
असली दिनेश लोवंशी का कहना है कि मैं मुंबई में केटरिंग का काम करने लगा था। वहां बिहार और यूपी के 3-4 साथियों के साथ काम कर एक कमरे में ही उनके साथ रहता था। मैं इस बीच तीन बार अपने घर आने के लिए आशापुर तक पहुंचा, पर पता नहीं क्या हुआ दिमाग काम नहीं किया। ऐसा लगा जैसे मुझ पर किसी ने तांत्रिक क्रिया की है, जो मुझे घर नहीं आने दे रही थी।

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मप्र में भी दो डिप्टी सीएम!

मध्यप्रदेश का 18वां मुख्यमंत्री भाजपा से ही होगा, लेकिन कौन? 8 दिन से चल रहा यह सस्पेंस आज शाम चार बजे समाप्त हो जाएगा। पांच राज्यों में हुए विधानसभा चुनावों में से मप्र, छग और राजस्थान में भाजपा सत्ता में आई है। छत्तीसगढ़ का पैटर्न मप्र में भी अपनाया जाना तय है, यानी यहां भी गुटीय संतुलन के लिए मुख्यमंत्री के साथ दो उप मुख्यमंत्री बनाए जा सकते हैं। मप्र में भाजपा का दो डिप्टी सीएम वाला यह पहला प्रयोग होगा।
लाड़ली बहनों का आशीर्वाद फलीभूत हुआ तो शिवराज सिंह पांचवीं बार मुख्यमंत्री पद की शपथ ले सकते हैं। कुछ समय बाद होने वाले लोकसभा चुनाव में उन्हें विदिशा से सांसद चुनाव लड़ाकर मोदी अपने मंत्रिमंडल में शामिल कर सकते हैं। पार्टी नेतृत्व ने यदि जवाब में उन्हें भी राम-राम कहते हुए लाड़ली बहनों का मान बढ़ाने का मन बना लिया तो मंडला से विधायक का चुनाव जीतीं पूर्व राज्यसभा सदस्य संपतिया उइके, सीधी से जीतीं रीति पाठक (पूर्व सांसद) के नाम पर तीनों पर्यवेक्षक केंद्रीय नेतृत्व का फैसला सुनाकर सर्वानुमति की घोषणा कर सकते हैं।
ग्वालियर-चंबल संभाग के कद्दावर नेता-प्रदेश भाजपा अध्यक्ष रहे-पूर्व केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर को बागडोर सौंपी जाए या लोधी समाज के जीते सर्वाधिक 10 विधायक में से एक प्रह्लाद पटेल को मौका दिया जाए या मालवा-निमाड़ में भाजपा को पुन: मजबूत साबित करने वाले कैलाश विजयवर्गीय को सीएम बनाने की मांग करने वाले इंदौर के विभिन्न संगठनों-समर्थकों को खुश किया जाए, यह आज शाम चार बजे तक स्पष्ट हो जाएगा। तोमर, सिंधिया, पटेल, विजयवर्गीय ये सभी केंद्रीय मंत्री अमित शाह से मुलाकात कर चुके हैं। इनका मान-सम्मान डिप्टी सीएम, विधानसभा अध्यक्ष, प्रदेश के गृहमंत्री के रूप में भी कायम रखा जा सकता है। छत्तीसगढ़ में भी पूर्व सीएम रमन सिंह को विधानसभा अध्यक्ष बनाया गया है।
मुख्यमंत्री के नाम की घोषणा के बाद यह उत्सुकता रहना तय है कि मंत्रिमंडल में इंदौर से जीते 9 विधायकों में से कितने को प्रतिनिधित्व मिलेगा। प्रदेश में सर्वाधिक मतों से जीते रमेश मेंदोला, विधायक उषा ठाकुर, मालिनी गौड़, महेंद्र हार्डिया, महू से उषा ठाकुर, सांवेर से जीते तुलसी सिलावट की प्रबल दावेदारी है।
3 दिसंबर के बाद से शिवराज सिंह जिस तरह सक्रिय हैं और अपने बयानों से जो हलचल मचा रहे हैं उसमें यह संकेत भी है कि लोकसभा चुनाव तक शिवराज की अनदेखी करना केंद्र के लिए भी संभव नहीं है। मप्र के पुरुष मतदाताओं ने मोदी की गारंटी पर जितना भरोसा किया है, परिवार की बहन-बेटियों ने भी लाड़ले भैया, मामा पर भी उतना ही प्यार लुटाया है। वे यदि पांचवीं बार सीएम नहीं भी बनते हैं तो प्रदेश में भैया और मामा का पद उनसे कोई नहीं छीन सकता।
तीनों पर्यवेक्षक क्या वाकई 163 विधायकों से वन टू वन चर्चा करने आ रहे हैं या मोशाजी के मन में एमपी को लेकर क्या है यह बताने आ रहे हैं? आम कार्यकर्ताओं में यह जिज्ञासा इसलिए भी है कि पर्यवेक्षकों के आगमन पर स्वागत द्वार-बैनर-पोस्टर से लेकर बैठक स्थल पर बैकड्रॉप की डिजाइन, नेताओं के कटआउट आदि सब कुछ दिल्ली से तय हो रहा है ऐसे में यही होना है कि विधायकों से बैठक में तीनों पर्यवेक्षक दिल्ली से तय नाम की जानकारी देंगे और सभी विधायक आम सहमति व्यक्त करेंगे।

तीनों केंद्रीय मंत्रियों, सात सांसदों को विधानसभा चुनाव में उतारकर एक तरह से भाजपा नेतृत्व ने इन क्षेत्रों में नए चेहरों को मौका देने के संकेत भी दे दिए हैं। यह भी संभव है कि छह महीने बाद भाजपा इंदौर से कैलाश विजयवर्गीय को लोकसभा चुनाव लड़ाने का फैसला करके आसपास के संसदीय क्षेत्रों में भी उनकी पैठ का लाभ लेने की प्लॉनिंग कर ले। इंदौर संसदीय क्षेत्र से शंकर लालवानी को दूसरी बार टिकट मिलने की संभावना कम ही है। इंदौर जिले की नौ सीटों पर भाजपा का कब्जा होने के बाद अब लोकसभा चुनाव जीत पाना तो दूर, कांग्रेस प्रभावी प्रदर्शन करने की स्थिति में भी नहीं है। उसके सामने सबसे बड़ा संकट तो यही है कि प्रत्याशी किसे बनाएगी? जो विधायक का चुनाव नहीं जीत पाए उन हारे हुओं में से किसी को टिकट दे भी दिया तो जरूरी नहीं कि मोदी की गारंटी के आगे मतदाता उन्हें जिताने की गारंटी लेने की उदारता दिखाएं।
छत्तीसगढ़ में साय सीएम
विष्णु देव साय छत्तीसगढ़ के नए मुख्यमंत्री होंगे। बीजेपी विधायक दल की रविवार को हुई बैठक में यह फैसला लिया गया। पहले से ही यह अनुमान जताया जा रहा था कि अगर भाजपा 2003 से 2018 तक तीन बार मुख्यमंत्री रह चुके रमन सिंह को नहीं चुनती है तो वह किसी ओबीसी (अन्य पिछड़ा वर्ग) या आदिवासी समुदाय से ही मुख्यमंत्री को चुनेगी और हुआ भी ऐसा ही। राज्य के अगले मुख्यमंत्री को लेकर अनिश्चितता को खत्म करते हुए भाजपा के नवनिर्वाचित 54 विधायकों की अहम बैठक में विष्णु देव साय के नाम पर मुहर लगा दी गई। राज्य की आबादी में ओबीसी की हिस्सेदारी करीब 45 फीसदी है। जिस सरगुजा क्षेत्र से भाजपा को पिछले चुनाव में एक भी सीट नहीं मिली थी, वहां इस बार भाजपा ने प्रभावी उपस्थिति दर्ज कराई है तो बदले में साय को सीएम बनाकर इस क्षेत्र के मतदाताओं का ‘सरगुजिया सरकार’ का सपना भी केंद्र ने पूरा कर दिया है। छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव में भाजपा ने 90 में से 54 सीट जीती हैं। वहीं 2018 में 68 सीट जीतने वाली कांग्रेस 35 सीट पर सिमट गई है। गोंडवाना गणतंत्र पार्टी (जीजीपी) एक सीट जीतने में कामयाब रही।

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हरियाणा CM भोपाल पहुंचे:विधायक दल की मीटिंग लेंगे; लंच के बाद मध्यप्रदेश के CM के नाम पर मंथन, नड्‌डा भी रहेंगे मौजूद

हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्‌टर दिल्ली से भापाल के लिए रवाना हो गए। वह मध्य प्रदेश के नए मुख्यमंत्री के नाम को लेकर मंथन करेंगे। केंद्रीय नेतृत्व की ओर से उन्हें बतौर पर्यवेक्षक इसकी जिम्मेदारी दी गई है। उनके साथ भाजपा की राष्ट्रीय कार्यकारिणी के पदाधिकारी डॉक्टर के लक्ष्मण, आशा लाकड़ा भी पर्यवेक्षक रवाना हुए हैं। भोपाल में होने वाली इस अहम मीटिंग में पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्‌डा भी मौजूद रहेंगे।

4 बजे शुरू होगी मीटिंग

भोपाल में होने वाली विधायक दल की मीटिंग से पहले दोपहर एक बजे लंच में भी सीएम मनोहर लाल शामिल होंगे। लंच के बाद 4 बजे मीटिंग शुरू होगी और 6 बजे तक मुख्यमंत्री का नाम फाइनल होने की संभावना है। हरियाणा के मुख्यमंत्री को इस बड़ी जिम्मेदारी को कई मायनों में देखा जा रहा है। पहला तो वह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के काफी करीबी है। वह अक्सर कहते भी रहते हैं प्रधानमंत्री उनके अच्छे मित्र हैं। उन्होंने पीएम के साथ हरियाणा में संघ में शामिल रहने के दौरान अच्छा वक्त साथ बिताया है।

हरियाणा CM की साफ छवि पर जताया विश्वास

केंद्रीय नेतृत्व में लगातार उनकी साफ स्वच्छ छवि को लेकर धाक जमती जा रही है। इसकी एक वजह यह भी है कि मुख्यमंत्री रहते हुए उन्हें 10 होने जा रहे हैं, लेकिन उनके कार्यकाल के दौरान कोई भी बड़ा आरोप उन पर नहीं लगा है। जबकि उन्होंने सूबे में सरकारी विभागों से भ्रष्टाचार को खत्म करने के लिए कई बड़े फैसले भी लिए हैं।

पार्टी को हर चुनाव में मिला फायदा

हरियाणा में मुख्यमंत्री मनोहर लाल के कार्यकाल के दौरान भारतीय जनता पार्टी को हर चुनाव में बढ़त मिली है। 2019 में हुए लोकसभा चुनाव के दौरान सूबे की 10 सीटों पर पार्टी प्रत्याशियों को जीत मिली है। इसके अलावा नगर निकाय चुनाव, पंचायत चुनाव में भी पार्टी को बढ़त मिली है। सरकार के साथ ही सीएम मनोहर लाल संगठन को भी साथ लेकर चलते हैं।

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