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मध्य प्रदेश

भोपाल में इफळर की 300 मीटर रैलिंग हटाई

भोपाल के इफळर (बस रैपिड ट्रांजिट सिस्टम) की 3 दिन में करीब 300 मीटर रैलिंग हटाई जा चुकी है। हलालपुर बस स्टैंड के सामने यह काम चल रहा है। रैलिंग के बाद कर्ब प्लेटफार्म भी हटेगा। अभी यह 50 मीटर ही हट सका है। इधर, रात में ठंड ज्यादा होने से दिन में भी काम किया जा रहा है।
शनिवार रात से इफळर को हटाने की शुरूआत हुई थी। दो दिन में 200 मीटर तक काम किया गया, जबकि सोमवार को 100 मीटर रैलिंग हटाई गई। कर्ब प्लेटफॉर्म को हटाने में दिक्कतें आ रही हैं, क्योंकि बुलडोजर कटर का उपयोग करने से सड़क को अधिक नुकसान हो रहा है। इसलिए अब हैंड कटर का इस्तेमाल किया जाएगा।
एक बस स्टाप भी हटाया
बैरिकेड की रैनिंग हटाने के साथ हलालपुर बस स्टैंड के सामने से एक बस स्टाप भी हटाया गया है। पीडब्ल्यूडी के इंजीनियरों के अनुसार करीब एक किमी तक रैनिंग और कर्ब हटाने के बाद सड़क सुधार का काम शुरू होगा। इससे कम में सड़क सुधार करना मुश्किल होता है। सड़क पर पेंचवर्क का काम रात के समय में नहीं हो सकता, क्योंकि डामर को अधिक तापमान की जरूरत होती है।
लालघाटी से बैरागढ़ तक का कॉरिडोर हटाने के लिए पीडब्ल्यूडी ने एक माह की डेडलाइन तय की है। इसके हटाने के बाद यहां फ्लाई ओवर का निर्माण किया जाएगा। इस बीच शहर के शेष इलाके से कॉरिडोर हटाने के लिए नगर निगम की टेंडर प्रक्रिया के भी पूरा हो जाने की उम्मीद है।
सीएम ने देखा था प्रजेंटेशन
मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने बीआरटीएस को हटाने का प्रजेंटेशन देखा था, और 20 जनवरी से इसे हटाने के निर्देश दिए थे। इसके बाद काम शुरू हुआ। मिसरोद से एम्प्री तक, रोशनपुरा से कमला पार्क और कलेक्टोरेट से लालघाटी के बीच बीआरटीएस को तोड़ने में कुल 18.51 करोड़ रुपए खर्च होंगे।

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दिल्ली से आए एडवाइजर बताएंगे कैसे होगा 17 लाख स्टूडेंट्स का एबीसी में रजिस्ट्रेशन

प्रदेश के महाविद्यालयों में उच्च शिक्षा के लिए एडमिशन कराने वाले स्टूडेंट्स की अंकसूची डिजि लॉकर में रखने की अनिवार्यता को देखते हुए गुरुवार से दो दिनी वर्कशाप भोपाल में होने वाली है। इस वर्कशाप में महाविद्यालयों में बनाए गए नोडल अधिकारियों को बताया जाएगा कि वे कालेज में अध्ययनरत स्टूडेंट्स का रजिस्ट्रेशन कैसे एबीसी (अकादमिक बैंक आफ क्रेडिट) में कराएंगे। इन सबको 31 मार्च के पहले यह रजिस्ट्रेशन कराना है। ऐसा नहीं होने पर स्टूडेंट्स के परीक्षा फार्म उच्च शिक्षा विभाग मान्य नहीं करेगा।
उच्च शिक्षा विभाग द्वारा 18 व 19 जनवरी को दो दिवसीय कार्यशाला का आयोजन कुशाभाऊ ठाकरे कन्वेंशन सेंटर में किया गया है। यहां दिल्ली से दो तकनीकी सलाहकार आकर पंजीयन का प्रशिक्षण देंगे।
इसके लिए सभी जिलों के कालेज के नोडल अधिकारी, विश्वविद्यालयों के नोडल अधिकारी और कम्प्यूटर आपरेटरों को प्रशिक्षण के लिए बुलाया गया है जो यहां आकर ट्रेनिंग लेंगे और फिर फील्ड में जाकर स्टूडेंट्स से एबीसी रजिस्ट्रेशन कराएंगे। उच्च शिक्षा विभाग ने दो दिन पहले इसको लेकर आदेश जारी किया है।

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22 को बच्चे को जन्म देने हॉस्पिटल ‘हाउसफुल’

हिन्दुस्तान मेल, धार
मुझे डॉक्टर ने 22 जनवरी को ही डिलीवरी की डेट दी है। मैंने डॉक्टर से पूछा कि क्या 22 जनवरी को दोपहर 12 बजकर 29 मिनट और 8 सेकेंड पर डिलीवरी हो सकती है तो उन्होंने कहा कि कोशिश करेंगे। मैं तो चाहती हूं कि इसी मुहूर्त पर मैं बच्चे को जन्म दूं। डॉक्टर ने नॉर्मल डिलीवरी की बात कही है, मगर संयोग नहीं होगा तो सिजेरियन भी करवा सकते हैं। इससे बड़ा मुहूर्त और क्या होगा।
ये कहते हुए भोपाल की रहने वाली संध्या का चेहरा खिल उठता है। संध्या अकेली गर्भवती नहीं हैं जो 22 जनवरी को अपने बच्चे को जन्म देना चाहती हैं। गर्भवती महिलाएं और उनके परिजन इस दिन बच्चे के जन्म को लेकर डॉक्टरों से सलाह ले रहे हैं। कई परिवार तो सिजेरियन डिलीवरी के लिए भी तैयार हैं। डॉक्टरों का भी कहना है कि प्रेग्नेंट महिलाओं की तरफ से ये डिमांड आ रही है, मगर उनकी मेडिकल कंडीशन देखकर ही उन्हें सलाह दे रहे हैं। दरअसल, अयोध्या में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा के साथ 22 जनवरी को अभिजीत मुहूर्त, इंद्र योग, मृगशिरा नक्षत्र, मेष लग्न और वृश्चिक नवांश जैसे शुभ संयोग बन रहे हैं। हर कोई अपने-अपने तरीके से इस दिन का साक्षी बनना चाहता है। कई युवा हैं जिन्होंने इसी दिन को शादी के लिए चुना है। अस्पताल में बुकिंग हाउसफुल है तो मैरिज गार्डन संचालकों को भी शादी करने वाले जोड़ों को मना करना पड़ रहा है। कई लोगों ने शोरूम से नई गाड़ी खरीदने के लिए इसी दिन का मुहूर्त तय किया।
भोपाल के श्रीराम कॉलोनी में रहने वाले ऋषभ चौहान स्मार्ट सिटी डेवलपमेंट कापोर्रेशन में इंजीनियर हैं। कुछ दिनों बाद ही वे पिता बनने वाले हैं। ऋषभ की पत्नी संध्या को डॉक्टरों ने डिलीवरी के लिए 22 तारीख की डेट दी है। इस तारीख पर डिलीवरी होने से परिवार बेहद खुश है।

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पॉवरफुल सीएस हुईं वीरा राणा

हिन्दुस्तान मेल, भोपाल। राज्य सरकार ने 48 दिन बाद प्रदेश की प्रभारी मुख्य सचिव व 1988 बैच की आईएएस वीरा राणा को मुख्य सचिव बना दिया। उनके पास माध्यमिक शिक्षा मंडल के अध्यक्ष का प्रभार रहेगा। इसी बैच के संजय बंदोपाध्याय को मप्र कर्मचारी चयन मंडल का अध्यक्ष पदस्थ किया गया है। सरकार के इस आदेश के बाद वीरा राणा के एक्सटेंशन का रास्ता आसान हो गया है। साफ है कि यदि मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव की एक्सटेंशन को लेकर हरी झंडी मिल जाती है तो आने वाले लोकसभा चुनाव के दौरान वीरा राणा ही मुख्य सचिव रह सकती हैं। हालांकि, केंद्र सरकार में डेपुटेशन पर 1989 बैच के अनुराग जैन को लेकर तस्वीर साफ नहीं हुई है। अनुराग का नाम अगले सीएस की दौड़ में प्रमुखता से है। मंत्रालय सूत्रों का कहना है कि यदि वीरा का एक्सटेंशन होना है तो प्रस्ताव फरवरी में ही केंद्रीय कार्मिक मंत्रालय को भेजा जाएगा। सुखवीर सिंह प्रमुख सचिव लोक निर्माण विभाग को उद्यानिकी एवं खाद्य प्रसंस्करण विभाग का अतिरिक्त प्रभार सौंपा गया है।

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स्टेट फाइनेंसियल इंटेलिजेंस सेल बनेगी मजबूत85 लाख पे बिल की जांच, 162 करोड़ का गलत पेमेंट मिला, वसूली नाम मात्र हुई

हिन्दुस्तान मेल, भोपाल
प्रदेश का वित्त विभाग वित्तीय इंटेलिजेंस सिस्टम में सुधार करेगा। सरकार ने यह फैसला 85 लाख पे बिल्स से किए गए 15 करोड़ रुपए के भुगतान की डेटा एनालिसिस करने के बाद लिया है। गलत पेमेंट का पहला मामला इंदौर में पकड़ा गया है। विभाग ने 162 करोड़ रुपए का गलत पेमेंट अधिकारियों द्वारा किया जाना पाया है। इसके विपरीत वसूली नाममात्र राशि की हो सकी है। इसे देखते हुए वित्त विभाग ने सभी आहरण एवं संवितरण अधिकारियों को वित्तीय अनुशासन का पालन करने, भुगतान में सतर्कता रखने और संवेदनशीलता के साथ भुगतान संबंधी कार्य करने के निर्देश दिये हैं। भुगतान संबंधी लापरवाही के लिये जिम्मेदार अधिकारियों के विरुद्ध एफआईआर दर्ज कराकर सजा दिलाई जायेगी।
वित्त विभाग में एकीकृत वित्तीय प्रबंधन सूचना प्रणाली का साफ्टवेयर संचालित है। इसके माध्यम से लगभग 5600 आहरण एवं संवितरण अधिकारियों द्वारा पे बिल के भुगतान किये जाते हैं। इनमें प्रदेश के 10 लाख से अधिक कर्मचारियों के वेतन एवं विभिन्न स्वत्वों के भुगतान, कार्यालयीन व्यय, अनुदान, स्कालरशिप आदि के भुगतान भी शामिल हैं। इस बीच सरकार के संज्ञान में आया है कि गलत भुगतान के कई बार नुकसान की स्थिति बनती है। विभाग द्वारा डेटा एनालिसिस एवं इंटेलीजेंस टूल्स का उपयोग करते हुए कुछ कार्यालयों में गलत भुगतान के गंभीर प्रकरण पाए गए हैं और ऐसे मामलों में कार्रवाई की गई है।
15 करोड़ पेमेंट का हुआ एनालिसिस- विभाग द्वारा पिछले पांच वित्तीय वर्षों में 85 लाख पे बिल से हुए लगभग 15 करोड़ भुगतानों का एनालिसिस किया गया। इसमें करप्शन की संभावनाओं वाले क्षेत्रों की पहचान की गई है। डेटा के विश्लेषण के लिये मापदण्ड अपनाए गये। गलत भुगतान का पहला प्रकरण कलेक्टर कार्यालय इंदौर में सामने आया। अब तक लगभग 162 करोड़ रुपये के गलत भुगतान पकड़े गये और 15 करोड़ रुपये की वसूली की गई। जिम्मेदार अधिकारियों एवं कर्मचारियों के विरुद्ध विभागीय जांच चल रही है।

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