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मध्य प्रदेश

मल्टी लेवल पार्किंग : नहीं आएगी वाहन खड़े करने में दिक्कत, जाम से राहत

भोपाल के संत हिरदाराम नगर स्टेशन पर लंबे समय से पार्किंग के चलते यहां आने वाले यात्रियों को असुविधा का सामना करना पड़ता है। कई बार अव्यवस्थित पार्किंग के चलते स्टेशन परिसर के अंदर ही जाम की स्थिति बनती है। इसे ध्यान में रखते हुए रेलवे संत हिरदाराम नगर स्टेशन पर मल्टी लेवल पार्किंग बनाई जा रही है। अमृत भारत योजना के तहत इसका निर्माण किया जा रहा है।
मनमर्जी से खड़ी कर
देते हैं गाड़ियां
रेलवे अधिकारियों के अनुसार यहां फरवरी महीने से पार्किंग ठेकेदार नहीं है। इसके चलते फ्री स्पेस में लोग गाड़ियां पार्क कर रहे हैं। यहां अभी फिलहाल पार्किंग नि:शुल्क है। इसके कारण लोग यहां कहीं भी वाहन पार्क कर देते हैं, जिसके चलते कई बार जाम की स्थिति बनती है। पार्किंग बनने के बाद लोगों को फायदा होगा। बताया जा रहा है कि यह पार्किंग अगस्त से सितंबर तक बन जाएगी।
अमृत भारत योजना
के तहत कार्य
रेलवे अधिकारियों के अनुसार नई मल्टी लेवल पार्किंग में 400 से अधिक टू और फोर व्हीलर वाहन खड़े हो सकेंगे। इससे जहां एक तरफ बाहर का स्पेस भी रेलवे के लिए फ्री हो जाएगा। दूसरी तरफ यहां पार्किंग व्यवस्थित हो जाएगी। भोपाल रेल मंडल के सीनियर डीसीएम सौरभ कटारिया ने बताया कि कई तरह के निर्माण कार्य अमृत भारत योजना के तहत किए जा रहे हैं, जिसमें मल्टी लेवल पार्किंग भी शामिल है।

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वर्ल्ड हेरिटेज डे : थोड़ा दिया ध्यान… बढ़ गई उम्र एक हजार साल

हिन्दुस्तान मेल, भोपाल/मंडीदीप
अपनी ऐतिहासिक और पुरातात्विक धरोहरों को लेकर पिछले कुछ समय में भोपाल और आसपास जीर्णोद्धार व संरक्षण का काम मिशन मोड पर हुआ है। नतीजा ये हुआ है कि कई धरोहरों की चमक और उम्र बढ़ गई है। भोपाल के पास आशापुरी में सूर्य मंदिर को इस तरह बनाया गया है कि इसके अगले 1 हजार साल तक बने रहने का दावा है, वहीं गिन्नौरगढ़ के किले को भी संरक्षित कर इसकी उम्र 100 साल बढ़ा दी गई है।
सूर्य मंदिर का लौटा
पुराना वैभव
खासियत : 1300 साल पुराना मंदिर। राज्य पुरातत्व विभाग ने आशापुरी में सूर्य मंदिर का पुनर्निर्माण कराया है। इसमेंं 25 लाख का खर्च हुआ। पुनर्निर्माण में साइट से ही निकले पुराने मंदिरों के अवशेषों का उपयोग किया गया है। सिर्फ 2 फीसदी नए पत्थरों का उपयोग किया है, जो बांसवाड़ा से लाए गए। निर्माण में सीमेंट व लोहे का उपयोग नहीं हुआ। इनके स्थान पर दरार और छिद्रों को भरने के लिए चूना-सीमेंट के साथ अन्य चीजों का मसाला मिलाया गया है। मजबूती के लिए लोहे के क्लैंप लगाए हैं। यह मंदिर 1000 साल तक टिका रहेगा।
इतिहास : पुरातत्व अधिकारी डॉ. रमेश यादव बताते हैं- परमार काल में करीब 1300 साल पहले कई मंदिरों का निर्माण हुआ था। उन्हीं में यह सूर्य मंदिर भी था। वर्ष-2010 की खुदाई में इसके अवशेष मिले थे। इसे 16 फीट लंबा,12 फीट चौड़ा और 21 फीट ऊंचा बनाया गया है।

खासियत : इंडियन नेशनल ट्रस्ट फॉर आर्ट एंड कल्चरल हेरिटेज (इंटेक) भोपाल ने रातापानी अभयारण्य में गोंड साम्राज्य के गिन्नौरगढ़ किले को संवारा है। इससे इसकी उम्र करीब 100 साल बढ़ गई है। इंटेक के कंवीनर मदन मोहन उपाध्याय ने बताया कि किले में 7 मंजिल ऊंचा रानी कमलापति महल, हवा महल व अनूठी दुर्ग संरचना आकर्षण का केंद्र है।
मोती महल बनेगा सिटी म्यूजियम, काम शुरू… सदर मंजिल के सामने स्थित मोती महल का काम दो साल में पूरा होगा। पहले चरण में 24 करोड़ खर्च किए जा रहे हैं। यह महल भी 1868 के आसपास बना है। मप्र टूरिज्म के अभिषेक गौड़ ने बताया कि यहां सिटी म्यूजियम बनेगा। इसमें भोपाल के इतिहास से संबंधित गैलेरी बनाई जाएगी।

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मेहनत रंग लाई… सफलता की खबर सुनते ही झूम उठे

संघ लोक सेवा आयोग ने मंगलवार को सिविल सर्विसेस परीक्षा-2023 का रिजल्ट घोषित कर दिया है। इसमें भोपाल की छाया सिंह ने 65वां स्थान हासिल किया है। छाया सिंह, आईएएस छोटे सिंह की बेटी हैं। भोपाल के डॉक्टर सचिन गोयल को 209वीं और समीर गोयल को 222वीं रैंक मिली है। दोनों सगे भाई हैं। धार की माही शर्मा की 106 और सतना की काजल सिंह को 485वीं रैंक मिली है। काजल के पिता विजय सिंह सतना के कोलगवां पुलिस थाना में सब इंस्पेक्टर हैं।

चौथे प्रयास में मिली सफलता
65वीं रैंक हासिल करने वाली छाया के पिता छोटे सिंह अपर आयुक्त राजस्व ग्वालियर के पद पर पदस्थ हैं। उन्होंने बताया- छाया लद्दाख टूर पर है। उसने अपने सिलेक्शन की सूचना लद्दाख से एक परिचित के फोन से कॉल कर दी है। छाया सिंह ने यूपीएससी परीक्षा-2023 में चौथे प्रयास में आईएएस बनने में सफलता पाई है। छाया ने सीएसई 2021 क्लियर किया था और 288वीं रैंक पाई थी, तब सिलेक्शन आईडीएएस में हुआ था।

दोनों सगे भाई भी मार गए बाजी……………

भोपाल के डॉक्टर सचिन गोयल को 209वीं और समीर गोयल को 222वीं रैंक मिली है। दोनों सगे भाई हैं। समीर और सचिन के पिता संजय गोयल भारत हैवी इलेक्ट्रिकल्स लिमिटेड (भेल) भोपाल में एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर हैं, जबकि मां डॉ. संगीता गोयल, शिशु रोग विशेषज्ञ हैं।

भोपाल के अर्णव भंडारी का भी सिलेक्शन

भोपाल के अर्णव भंडारी का भी यूपीएससी में सिलेक्शन हुआ है। उनकी रैंक 232 है। इससे उनका आईपीएस बनना तय है। अर्णव ने बताया कि उन्होंने यूपीएसएसी की फरवरी को 2020 में पढ़ाई शुरू की थी। पिछले साल रिजर्व लिस्ट में थे और बाद में मिनिस्ट्री आॅफ रेलवे के लिए सिलेक्शन हुआ था। अब आईपीएस के लिए चयन हुआ है।

इंदौर की आराधना ने भी बटोरी शाबाशी

​​​​​​​इंदौर की 26 साल की बेटी आराधना चौहान ने यूपीएससी सिविल सेवा एग्जाम क्लियर की है। ये सेकंड इंटरव्यू था। पहले इंटरव्यू में 20 नंबर से रह गई थी। इस बार आॅल इंडिया लेवल पर 251वीं रैंक आई है। पिता वरदीपसिंह चौहान रिटायर्ड अधिकारी हैं। मां रेखा हाउस वाइफ हैं। आराधना चौहान से इंटरव्यू में बोर्ड मेंबर ने पूछा कि इंदौर स्वच्छता में नंबर-1 क्यों है? किस तरह से अन्य शहर इंदौर को पीछे छोड़ सकते हैं।

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ट्रक की टक्कर से दो किसानों की मौत, ट्रैक्टर-ट्रॉली में छह लोग दबे

विदिशा। सागर-विदिशा हाईवे पर एक ट्रक ने ट्रैक्टर-ट्रॉली को टक्कर मार दी। 6 किसान ट्रॉली के नीचे दब गए। इनमें से 2 किसानों की मौत हो गई। 4 की हालत गंभीर बनी हुई है। हादसा सुबह करीब साढ़े तीन बजे बागरोद के पास संस्कार वेयर हाउस के सामने हुआ। यहां अनाज बेचने आए किसानों के ट्रैक्टर-ट्रॉली की कतार लगी है। पुलिस ने ट्रॉली के नीचे दबे किसानों को जेसीबी की मदद से बाहर निकाला। सभी को विदिशा जिला अस्पताल ले जाया गया है, वहीं ट्रक ड्राइवर और क्लीनर मौके से फरार हो गए हैं।

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स्टेटस पड़ताल : ‘शताब्दी’ ने ‘वंदे भारत’ को पीछे छोड़ा

भोपाल से दिल्ली जाने वाले रेल यात्रियों को इन दिनों वंदे भारत से ज्यादा शताब्दी एक्सप्रेस पसंद आ रही है। यह हम इसलिए कह रहे हैं कि शताब्दी की आॅक्यूपेंसी वंदेभारत से बेहतर है। पिछले दो महीने की बात की जाए तो गाड़ी संख्या 12002 नई दिल्ली से रानी कमलापति शताब्दी एक्सप्रेस की आॅक्यूपेंसी 135 प्रतिशत है, वहीं 12001 रानी कमलापति से नई दिल्ली शताब्दी एक्सप्रेस की आॅक्यूपेंसी 117 प्रतिशत है, पर वंदेभारत की आॅक्यूपेंसी की बात की जाए तो इसकी क्रमश: 112 व 94 प्रतिशत है। बता दें कि रेलवे की यह रिपोर्ट पिछले दो महीने फरवरी और मार्च की है।
अधिक हॉल्ट और टाइमिंग है कारण- रेलवे अधिकारियों ने बताया कि ऐसा नहीं है कि वंदे भारत की आॅक्यूपेंसी कम है, उसकी आॅक्यूपेंसी बहुत बेहतर है, मगर शताब्दी की आॅक्यूपेंसी अधिक इसलिए है कि इसकी टाइमिंग और हॉल्ट अधिक हैं, जैसे- वंदे भारत आरकेएमपी से चलकर रास्ते में सिर्फ तीन स्टॉप पर ही हॉल्ट लेती है, वहीं शताब्दी 9 स्टॉप हैं। इसके अलावा वंदे भारत आरकेएमपी से जल्द सुबह निकलती है, वहीं शताब्दी दोपहर में होने के कारण इसमें अधिक लोग सफर कर पाते हैं।
पंक्चुअलिटी में वंदे भारत आगे – दोनों ट्रेन में पंक्चुअलिटी की बात की जाए तो इसमें वंदे भारत आगे है। पिछले 6 महीने की पंक्चुअलिटी में वंदे भारत गाड़ी संख्या 20171 आरकेएमी से हजरत निजामुद्दीन वंदे भारत 84.4% है। इसी तरह 20172 हजरत निजामुद्दीन से आरकेएमपी वंदेभारत 71.6%, वहीं गाड़ी संख्या 12002 नई दिल्ली से आरकेएमपी वंदे भारत एक्सप्रेस की पंक्चुअलिटी 36.4% है। गाड़ी संख्या 12001 रानी कमलापति से नई दिल्ली शताब्दी 29.6 प्रतिशत रही है। बताया जा रहा है कि गाड़ी संख्या 12002 नई दिल्ली से आरकेएमपी जनवरी महीने में सिर्फ 4 प्रतिशत ही रह गई थी।

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