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इंदौर

बसों का अड्डा बनाकरोड़ों का टफ-4…..सड़क पर बसों का कब्जे, राहगीर परेशान

इंदौर। यातायात बेहतर हो सके और लोगों को आने-जाने में परेशानी न हो इसको ध्यान में रखकर करोड़ों खर्च करके बनाया गया एमआर-4 बसों का अड्डा बन गया है। सड़क पर निजी बसों का कब्जा हो गया है। आलम यह है कि सड़क पर ही बसों की धुलाई व मरम्मत भी की रही है। सड़क पर अवैध कब्जों से वाहन चालक से लेकर आम जनता भी परेशान है। इंदौर विकास प्राधिकरण द्वारा सिंहस्थ के मौके पर करोडों खर्च करके एमआर- 4का निर्माण किया था।करीब 80 फीट चौड़ी यह सड़क इंदौर के नए रेलवे स्टेशन के सामने से लेकर लक्मीबाई नगर रेलवे स्टेशन के आगे रेशम मिल तक बनाई गई है।
स्टेशन से राजकुमार मिल ओर भंडारी मिल ओवरब्रिज के नीचे से दिनभर वाहनों का आवागमन लगा रहता है। उज्जैन मार्ग ,पोलोग्राउंड और भागीरथपुरा सहित आसपास के इलाकों में जाने के लिए एमआर-4 का ही स्तेमाल होता है। शहर की यातायात व्यवस्था को बेहतर बनाने और जनता की सहूलियत के लिए बनाई गई इस महत्वपूर्ण सड़क का उपयोग निजी बसों को खड़ा किए जाने के किया जा रहा है। सड़क पर बसों ने कब्जे जमा लिए है। सबसे ज्यादा बुरी स्थिति वल्लभनगर मार्केट से लेकर राजकुमार मिल तालाब तक की बनी हुई है।
सड़क के दोनों तरह सुबह से लेकर रात बसों की पार्किंग की जाती है। बसों की संख्या बढ़ने पर भंडारी ब्रिज तक बसों को खड़ा किया जाता है। बसों का अड्डा बनने से 80 फीट चौड़ी सड़क आधी रह गई है। दिनों दिन बसों की बढ़ती संख्या और अवैध कब्जों के कारण सड़क का दायरा सिमटता जा रहा है। नोट करने लायक तथ्य यह है कि सड़क पर कब्जा कर बसों को खड़ा किया जाता ही है साथ ही बसों की धुलाई व मरम्मत भी होने लगी तक यातायात की समस्या बढ़ने लगी है। है। बसों के कब्जों के कारण खासतौर पर वल्लभनगर से लेकर राजकुमार मिल तालाब तक यातायात की समस्या बढ़ने लगी है। राजकुमार मिल ब्रिज के नीचे और आसपास अक्सर जमा की नोबत खड़ी हो जाती है। इससे वाहन चालक से लेकर आम राहगीरों को भी परेशानी का सामना करना पड़ता है।

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माखिजा पिता-पुत्र पर ईओडब्ल्यू ने दर्ज किया केस

इंदौर के डॉ. रघुवीर सिंह माखीजा एवं उसके पुत्र सतविंदर सिंह माखीजा के विरूद्ध आर्थिक अपराध प्रकोष्ठ (ईओडब्ल्यू), भोपाल ने गंभीर धाराओं 409 420, 467, 468, 471 एवं 120बी के तहत धोखाधड़ी, न्यासभंग, दस्तावेजों की कूटरचना, जालसाजी एवं आपराधिक साजिश का आपराधिक प्रकरण दर्ज किया है। मामला इंदौर के गुरुद्वारा गुरुतेग बहादुर साहिबजी ट्रस्ट, नंदानगर का है। सूत्रों के मुताबिक, गुरुद्वारा संगत को 1984 के दंगों की मुआवजा राशि लगभग 14.50 लाख रुपए प्राप्त हुई थी, उक्त राशि पर गुरुद्वारा संगत का अधिकार था, क्योंकि 1984 के दंगों में मुख्य रूप से गुरुद्वारा एवं गुरुद्वारे के प्रांगण में संचालित स्कूल एवं हस्पताल को भारी नुकसान हुआ था। उक्त स्कूल, हस्पताल एवं गुरुद्वारा, गुरुतेग बहादुर साहिबजी ट्रस्ट नंदानगर के तहत संचालित है। हस्पताल संचालित करने के लिए मुख्य ट्रस्ट साहिबजी ट्रस्ट के तहत ही एक सहयोगी ट्रस्ट गुरुतेग बहादुर चेरिटेबल हास्पिटल ट्रस्ट बनाया गया। ट्रस्ट में वे ही सब ट्रस्टी थे, जो मुख्य ट्रस्ट में ट्रस्टी थे। चूंकि हस्पताल के सुगम संचालन के लिए डॉक्टर्स की भी जरूरत थी, इसलिए मुख्य ट्रस्टीज द्वारा डॉ. आरएस माखीजा को भी हास्पिटल ट्रस्ट में ट्रस्टी नियुक्त बनाया था। ट्रस्टी बनते ही डॉ. माखीजा ने हॉस्पिटल ट्रस्ट अपना कब्जा करने की नियत से एवं संगत को मिली मुआवजा राशि को हड़पने की नीयत से मूल – ट्रस्ट के न्यासियों को भरोसा दिलाकर विष्णुपुरी क्षेत्र में हस्पताल एवं स्कूल खोलने के लिए जमीन खरीदने के नाम पर मुआवजे के 14.50 लाख पर धोखाधड़ी कर लिया।
इस संबंध में डॉ. माखिजा के मोबाइल पर संपर्क करने की कोशिश की गई लेकिन उनका नंबर आउट आॅफ कवरेज बता रहा था।

कलसी और गांधी की भूमिका
की भी चल रही जांच
उक्त पूरे मामले की शिकायत गुरुद्वारा संगत एवं न्यासीगण द्वारा ईओडब्ल्यूओ इंदौर को की गई थी। जांच में मामला सही पाते ही डॉ. आरएस माखीजा एवं उसके पुत्र सतविंदर सिंह माखीजा पर केस दर्ज किया है। वहीं, मामले रविन्दर कौर कलसी एवं मनजीत सिंह गांधी की भूमिका की जाँच चल रही है।

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आपसी मसले समाज में ही सुलझाएं : शहर काजी

समाज में आज छोटी-छोटी बातों पर घर-परिवार बिखर रहे हैं। मामूली बातों को लेकर पुलिस और अदालत के चक्कर लगा रहे हैं। हमें चाहिए कि सभी तरह के मसले समाज में ही सुलझा लिए जाएं। अब तो अदालतें भी हर समाज में सुलह सेंटर खोल रही है। हमें इन सेंटरों पर अपने मसले सुलझाकर समय और पैसे की बर्बादी से बचना चाहिए। साथ ही हमें नौजवानों को खोखला कर रहे नशे के खिलाफ मुहिम चलाना चाहिए। यह आह्वान शहर काजी डॉ. मोहम्मद इशरत अली ने आज सदर बाजार ईदगाह से किया। मुस्लिम समाज आज ईदुल अजहा को त्योहार हर्षोल्लास के साथ मना रहा है। सुबह से ही मुस्लिम बस्तियों में चहल-पहल है। शहर काजी को उनके निवास से शाही बग्घी में बैठाकर ईदगाह लाया गया। ईद की नमाज के पहले समाजजनों को संबोधित करते हुए शहर काजी ने कहा कि आज मुस्लिम इलाकों में जगह-जगह नशा बेचा जा रहा है। इस पर अंकुश लगाने की जरूरत है। आप कोई भी ऐसा कदम ना उठाना कि शहर की फिजा खराब करने की तोहमत आपके माथे माढ़ दी जाए। हमें बहुत सोच-समझकर हर मसले पर फैसला करना है।

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फ्लाईओवर निर्माण की बाधाएं होंगी दूर

शहर में चल रहे विकास कार्यों को अब गति मिलेगी। कलेक्टर ने फ्लायओवर ब्रिज निर्माण में आने वाली बाधाओं को शीघ्र दूर करने के निर्देश आईडीए, नगर निगम और अन्‍य संबंधित विभागों को दिए हैं। कलेक्टर ने फ्लाईओवर ब्रिज के निर्माण में तेजी लाने और ब्रिज स्थल पर जल निकासी के लिए उचित प्रबंध करने निर्देश भी दिए हैं।
बता दें कि शहर में चारों तरफ करीब आधा दर्जन फ्लाईओवर का निर्माण कार्य चल है।
बाधाएं व अन्य कारणों की वजह से निर्माण कार्य गति नहीं पकड़ पा रहे हैं। इसी को लेकर कलेक्‍टर डॉ. इलैयाराजा टी ने बुधवार को फ्लाईओवर ब्रिज के संबंध में आईडीए, नगर निगम, पुलिस और जल संसाधन विभाग सहित अन्‍य संबंधित विभागों के अफसरों की बैठक आयोजित की। उन्होंने बैठक में अफसरों को ब्रिज को लेकर आवश्‍यक दिशा-निर्देश दिए।
कलेक्‍टर ने बताया कि फूटी कोठी चौराहा, खजराना, भंवरकुआं और लवकुश चौराहा में फ्लाईओवर ब्रिज बनाए जाना है। उन्‍होंने अधिकारियों को निर्देश दिए कि फ्लाईओवर निर्माण क्षेत्र में आने वाली बाधाओं को शीघ्र दूर करने की कार्रवाई करें। उन्‍होंने कहा कि निर्माण क्षेत्र में लगी दुकानों, गुमटियां आदि को शीघ्र हटवाया जाएं। निर्माण क्षेत्र के अतिक्रमण को हटाकर भूमि रिक्‍त कराएं। जमीन की खुदाई के दौरान पाइप लाइनों का ध्‍यान रखें।
जल निकासी के उचित प्रबंध किए जाएं, जिससे बाद में दिक्कत न आए। बैठक में निगमायुक्‍त हर्षिका सिंह, आईडीए के सीईओ आरपी अहिरवार सहित अन्‍य संबंधित विभागों के अधिकारी मौजूद थे।

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यूनिक आईडी के आधार पर मिले नर्सिंग कॉलेजों में डुप्लीकेट शिक्षक

हाईकोर्ट के सख्त रवैये के बाद भी प्रदेश के नर्सिंग कॉलेजों में गड़बड़ी नहीं रुक रही है। वर्तमान सत्र में प्रदेश के नर्सिंग कॉलेजों के निरीक्षण में 31 में डुप्लीकेट फैकल्टी (शिक्षक) मिले हैं, यानि एक शिक्षक का नाम एक से अधिक कॉलेज में दर्ज मिला है। निरीक्षण करने वाली टीम ने फैकल्टी की यूनिक आईडी के आधार पर इसकी पहचान की है। इनमें 10 कॉलेजों पर मप्र नर्सेस रजिस्ट्रेशन काउंसिल ने 10-10 लाख रुपए का अर्थदंड भी लगाया है। काउंसिल ने कॉलेजों को नोटिस जारी कर जवाब भी मांगा है।
संतोषजनक जवाब नहीं मिलने पर कॉलेजों की मान्यता समाप्त की जा सकती है। काउंसिल के अधिकारियों ने बताया कि कुछ कॉलेज ऐसे भी हैं, जिनके यहां से फैकल्टी छोड़कर दूसरे संस्थान में चला गया है।
कॉलेज प्रबंधन ने इसकी सूचना काउंसिल को नहीं दी। इस कारण उन पर दो लाख रुपए अर्थदंड लगाया गया है।

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