UP Police Viral Photo: हाल ही में इंटरनेट पर एक ऐसी ही तस्वीर सामने आ रही है, जिसमें पुलिस के एक जवान को किसान की मदद करते हुए कंधे पर फसल का गट्ठा उठाते देखा जा रहा है. तस्वीर को देख चुके यूजर्स पुलिसकर्मी की तारीफ करते नहीं थक रहे हैं….
: फसल की अहमियत सबसे ज्यादा एक किसान ही समझ सकता है कि, क्योंकि वह जानते हैं उसके पीछे की कड़ी मेहनत. सोशल मीडिया पर अक्सर किसानों और फसलों से जुड़े फोटोज और वीडियोज वायरल होते रहते हैं, जिन्हें देखकर कई बार दिल खुश हो उठता है, लेकिन कई बार खुश तस्वीरें भावुक भी कर देती हैं. हाल ही में इंटरनेट पर एक ऐसी ही तस्वीर सामने आ रही है, जिसमें पुलिस के एक जवान को किसान की मदद करते हुए कंधे पर फसल का गट्ठा उठाते देखा जा रहा है…
जनपद बलिया में किसान के फसल में आग लग गई, उस दौरान की सराहनीय तस्वीर । अपने कर्तव्यों का अच्छे तरह से निर्वहन करना ही हमारा संकल्प है । pic.twitter.com/oUan3Orzno
— Fire & Emergency Services Uttar Pradesh Police (@fireserviceup) April 12, 2023
इस दिल जीत लेनी वाली तस्वीर पर लोग तरह-तरह की प्रतिक्रियाएं देते हुए अपना प्यार जता रहे हैं. बताया जा रहा है कि, खेत में आग लगने के बाद पुलिसकर्मी ने किसान की मदद के लिए फसल का गट्ठा अपने कंधे पर उठा लिया, ताकि फसल को समय रहते सुरक्षित जगह पर पहुंचाकर उसे जलने से बचाया जा सके. तस्वीर को देख चुके यूजर्स पुलिसकर्मी की तारीफ करते नहीं थक रहे हैं. तस्वीर देखकर लोग कह रहे हैं कि, यह पक्का किसान का बेटा होगा, जो फसल की अहमियत और किसान की मेहनत को समझ रहा है. सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर इस तस्वीर को उत्तर प्रदेश पुलिस फायर एंड इमरजेंसी सर्विस के आधिकारिक ट्विटर पेज से शेयर किया गया है, जिसके कैप्शन में लिखा गया है, ‘जनपद बलिया में किसान के फसल में आग लग गई, उस दौरान की सराहनीय तस्वीर. अपने कर्तव्यों का अच्छे तरह से निर्वहन करना ही हमारा संकल्प है.’ इस तस्वीर को अब तक 156.9K व्यूज मिल चुके हैं, जबकि 4 हजार से ज्यादा लोग इस तस्वीर को लाइक कर चुके हैं….
‘In-grained to lend a helping hand'
In a heartwarming act of kindness, @meerutpolice assisted an elderly man who had accidentally spilled a bag of pulses on the road. The police not only helped him gather the scattered pulse but also escorted him safely back home.#UPPCarespic.twitter.com/TPDylWPqxR
यूं तो इससे पहले भी कई बार ऐसी तस्वीरें सामने आईं हैं, जिसमें पुलिसकर्मियों को आम नागरिकों की मदद करते हुए कुछ इस तरह ही देखा जा गया है. बीते दिनों मेरठ पुलिस का एक ऐसा ही वीडियो सुर्खियों में था, जिसमें वह एक बुजुर्ग की मदद करते कुछ पुलिसकर्मियों को देखा जा रहा था. वीडियो में देखा जा सकता है कि, बुजुर्ग से दाल की बोरी गलती से सड़क पर गिर गई, जिसके बाद पुलिसकर्मियों ने न सिर्फ उसकी मदद की, बल्कि उसे सकुशल घर भी पहुंचाया. सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर इस तस्वीर को यूपी पुलिस के आधिकारिक ट्विटर हैंडल से 1 अप्रैल को शेयर किया गया था.
19वीं शताब्दी के गोल्ड रश के बाद पहली बार सीमा परिवर्तन के बाद मेलबर्न ऑस्ट्रेलिया के सबसे अधिक आबादी वाले शहर के रूप में सिडनी से आगे निकल गया है। सिडनी ने 100 से अधिक वर्षों से इस खिताब को गर्व से अपने पास रखा है। लेकिन मेलबोर्न के किनारे पर आबादी तेजी से बढ़ने के साथ, मेल्टन के क्षेत्र को शामिल करने के लिए शहर की सीमा का विस्तार किया गया है। नवीनतम सरकारी आंकड़े, जून 2021 से, मेलबोर्न की आबादी सिडनी की तुलना में 4,875,400 – 18,700 अधिक है……
ऑस्ट्रेलियाई सांख्यिकी ब्यूरो (एबीएस) 10,000 से अधिक लोगों के साथ सभी कनेक्टिंग उपनगरों को शामिल करके शहर के “महत्वपूर्ण शहरी क्षेत्र” को परिभाषित करता है। “2021 की जनगणना की परिभाषा तक, सिडनी के महत्वपूर्ण क्षेत्र में मेलबोर्न की तुलना में अधिक आबादी थी। हालांकि, नवीनतम… वर्गीकरण में मेल्टन में मेल्टन के समामेलन के साथ, मेलबर्न में सिडनी की तुलना में अधिक लोग हैं – और 2018 के बाद से है,” द एबीएस के एंड्रयू होवे ने सिडनी मॉर्निंग हेराल्ड अखबार को बताया – जिसने पुनर्निर्धारित सीमा को “एक तकनीकीता” के रूप में वर्णित किया। गौरवान्वित सिडनीसाइडर्स एबीएस के इस निष्कर्ष की ओर इशारा करेंगे कि बड़े सिडनी और मेलबर्न क्षेत्रों को देखते हुए, सिडनी जून 2021 में बड़ा बना रहा। एबीएस का कहना है कि शहर के बड़े क्षेत्र अपने “कार्यात्मक क्षेत्र” को ध्यान में रखते हैं, और आबादी को शामिल करते हैं जो नियमित रूप से शहर के भीतर सामाजिककरण, खरीदारी या काम करते हैं, लेकिन छोटे शहरों और इसके आसपास के ग्रामीण क्षेत्रों में रह सकते हैं।
हालांकि संघीय सरकार का अनुमान है कि 2031-32 में ग्रेटर मेलबोर्न ग्रेटर सिडनी से आगे निकल जाएगा। यह पहली बार नहीं है जब मेलबर्न ने ऑस्ट्रेलिया के सबसे बड़े शहर का खिताब अपने नाम किया है। 19वीं शताब्दी के अंत में सोने की भीड़ के परिणामस्वरूप, जिसने विक्टोरिया राज्य में प्रवासियों के झुंड को देखा, मेलबर्न तेजी से बढ़ा और 1905 तक सिडनी से आगे निकल गया।
इलाहाबाद में कभी खौफ का दूसरा नाम रहे अतीक अहमद की आज उसी प्रयागराज में हत्या कर दी गई. जानिए कौन था अतीक अहमद और क्यों उसे कहा जाता था उत्तर प्रदेश का पहला गैंगस्टर….
गैंगस्टर से नेता बने अतीक अहमद की शनिवार रात प्रयागराज में हत्या कर दी गई. पुलिस अतीक अहमद और उसके भाई अशरफ अहमद को शनिवार 15 अप्रैल 2023 की रात मेडिकल के लिए लेकर जा रही थी. इसी दौरान उस पर हमला कर दिया गया और गोली लगने से दोनों की मौत हो गई. ज्ञात हो कि इससे पहले गुरुवार 13 अप्रैल 2023 को झांसी में हुए एक एनकाउंटर में अतीक अहमद का बेटा असद मारा गया था. असद के साथ अतीक अहमद का एक और गुर्गा ‘गुलाम’ भी था और दोनों एनकाउंटर में मारे गए थे. अतीक अहमद के बेटे के एनकाउंटर और उसकी स्वयं की हत्या के साथ ही उसके जराइम की दुनिया का भी अंत हो गया है. आइए जानते हैं अतीक अहमद कौन था और क्यों उसे उत्तर प्रदेश का पहला गैंगस्टर कहा जाता था….
कौन था अतीक अहमद
इलाहाबाद (अब प्रयागराज) में अतीक अहमद खौफ का दूसरा नाम था. वह समाजवादी पार्टी का नेता था. इसी पार्टी के टिकट पर वह उत्तर प्रदेश विधानसभा और लोकसभा तक भी पहुंचा था. अतीक अहमद इलाहाबाद वेस्ट कॉन्स्टीट्वेंसी से रिकॉर्ड लगातार 5 बार विधायक चुना गया था. सबसे पहले वह 1989 में यहां से चुनाव जीता था. 1989 में वह निर्दलीय चुनाव लड़ा और जीता. इसके बाद राजनीति में उसने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा. 1989 में निर्दलीय विधायक चुने जाने के बाद अतीक अहमद अगले दो विधानसभा चुनावों में भी निर्दलीय चुनाव लड़ा और जीता. इसके बाद 1996 में उसने समाजवादी पार्टी के टिकट पर लगातार चौथी बार विधानसभा चुनाव में जीत दर्ज की. 1999 से 2003 तक वह सोने लाल पटेल द्वारा बनाए गए अपना दल का अध्यक्ष था. इक दौरान 2002 में अपना दल के टिकट पर वह पांचवीं बार विधायक बना……
उत्तर प्रदेश का पहला गैंगस्टर
न्यूज एजेंसी IANS की साल 2013 की एक रिपोर्ट के अनुसार पुलिस के रिकॉर्ड में अतीक अहमद पहला व्यक्ति था, जिस पर उत्तर प्रदेश में गैंगस्ट्र एक्ट (Gangster Act) लगा था. कहा जाता है कि साल 1979 में अतीक अहमद ने जु्र्म की दुनिया में कदम रखा. उस समय उस पर एक हत्या का आरोप लगा था. शनिवार 15 अप्रैल 2023 को अतीक अहमद की हत्या तक उस पर कुल 70 आपराधिक मामले (criminal cases) दर्ज थे. अतीक अहमद के खिलाफ सबसे ताजा मामला प्रयागराज के धूमनगंज पुलिस स्टेशन में दर्ज हुआ था. यह मामला उमेश पाल हत्याकांड से जुड़ा था. बता दें कि उमेश पाल साल 2005 में बहुजन समाज पार्टी (BSP) के विधायक राजू पाल की हत्या के मामले में मुख्य गवाह था….
राजू पाल की हत्या
25 जनवरी 2005 को बसपा नेता राजू पाल की हत्या कर दी गई. राजू पाल की पत्नी ने एफआईआर दर्ज करवाई, जिसमें अतीक अहमद, अशरफ और 7 अज्ञात लोगों के नाम दर्ज थे. राजू पाल की हत्या सिर्फ इसलिए कर दी गई, क्योंकि उन्होंने साल 2005 में हुए उपचुनावों में इलाहाबाद वेस्ट सीट पर अतीक अहमद के भाई अशरफ को हराकर जीत दर्ज की थी. इलाहाबाद वेस्ट सीट अतीक अहमद के 2004 में लोकसभा चुनाव जीतने के बाद खाली हुई थी. अतीक के परिवार को लगता था कि वह यह सीट आसानी से जीत जाएंगे. लेकिन राजू पाल से हारने पर अतीक और उसके परिवार को झटका लगा, जिसका बदला राजू पाल की हत्या करके चुकाया गया. राजू पाल को उनके घर के पास ही गोली मारी गई थी. इस दौरान वह अपने दो साथियों संदीप यादव और देवी लाल के साथ अस्पताल से लौट रहे थे.
अतीक अहमद का सरेंडर
अतीक अहमद पर दंगे भड़काने, हत्या की कोशिश, हत्या और आपराधिक साजिश रचने सहित कई तरह के मामले दर्ज थे. राजनीतिक और पुलसिया प्रेशर के चलते आखिरकार साल 2008 में अतीक अहमद ने सरेंडर कर दिया. साल 2008 में ही समाजवादी पार्टी ने अतीक अहमद को पार्टी से निकाल दिया. मायावती ने भी उसे बसपा का टिकट देने से इनकार कर दिया. अतीक को किसी भी मामले में दोषी नहीं ठहराया गया था. इसलिए उसे 2009 का लोकसभा चुनाव लड़ने दिया गया. साल 2012 में वह छूटकर बाहर आया.
पॉलिटिक्स में री-एंट्री
साल 2014 के लोकसभा चुनाव में एक बार फिर समाजवादी पार्टी ने अतीक अहमद को श्रावस्ती सीट से अपना प्रत्याशी बनाया. इस चुनाव में अतीक अहमद को वोट तो मिले, लेकिन वह भाजपा के दद्दन मिश्रा के सामने करीब एक लाख वोटों से हार गया. इस हार के बाद अतीक अहमद का बुलंद सितारा ढलान की ओर आ गया. समाजवादी पार्टी में भी अखिलेश यादव के साथ उसके संबंध खराब रहने लगे. तत्कालीन मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने अतीक अहमद के क्राइम रिकॉर्ड्स को देखते हुए स्वयं को उससे दुर कर लिया.
14 दिसंबर 2016 को अतीक अहम अपने एक गुर्गे के साथ सैम हिंगिनबॉटम यूनवर्सिटी ऑफ एग्रीकल्चर, टेक्नोलॉजी एंड साइंस पहुंचा और वहां स्टाफ को पीटा. खबरों के अनुसार यहां के स्टाफ ने दो स्टूडेंट्स को एग्जाम में बैठने देने से इनकार कर दिया था, क्योंकि वह दोनों नकल करते हुए पकड़े गए थे. यूनिवर्सिटी का एक वीडियो सोशल मीडिया पर खूब वायरल हुआ, जिसमें अतीक अहमद वहां के टीचरों और कर्मचारियों को पीटता हुआ लिख रहा था.
पीएम नरेंद्र मोदी के खिलाफ चुनाव
10 फरवरी 2017 को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अतीक अहमद की क्रिमिनल हिस्ट्री मांगी और पुलिस सुप्रीटेंडेंट से सभी आरोपियों को गिरफ्तार करने को कहा. अतीक अहमद को 11 फरवरी को ही गिरफ्तार कर लिया गया और फिर 14 दिन की न्यायिक हिरासत में भी भेज दिया गया. जेल में बंद होने के बावजूद अतीक अहमद ने साल 2019 के लोकसभा चुनाव में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ वाराणसी से चुनाव लड़ा. इस चुनाव में अतीक अहमद को 855 वोट मिले.
राजू पाल हत्याकांड
24 फरवरी 2023 को राजू पाल हत्याकांड के मुख्य गवाह उमेश पाल की प्रयागराज में हत्या कर दी गई. उमेश पाल के साथ ही उनके पुलिस सिक्योरिटी गार्ड की भी हत्या कर दी गई. इस संबंध में पुलिस ने अतीक अहमद, उसकी पत्नी शाइस्ता परवीन, दोनों बेटों, उसके छोटे भाई खालिद अजीम उर्फ अशरफ और अन्य लोगों के खिलाफ 25 फरवरी को एफआईआर दर्ज की. इस हत्याकांड के बाद से ही अतीक का बेटा असद फरार था, जिसे यूपी-एसटीएफ ने झांसी में हुए एक एनकाउंटर में मार गिराया.
मध्यप्रदेश से महाराष्ट्र तक 33 ट्रक ड्राइवरों की हत्या करने वाले सीरियल किलर आदेश खांबरा को जिला अदालत ने शनिवार को ट्रक चोरी के मामले में 3 साल की सश्रम कारावास की सजा सुनाई है। 5 हजार रुपए के अर्थदंड से दंडित किया है। इतनी ही सजा उसके साथी जयकरण को सुनाई है जबकि सह आरोपी बलजिंदर सिंह और सुनील खटीक को 2-2 साल की सजा और 5-5 हजार का जुर्माना लगाया है। खांबरा ने पुलिस की पूछताछ में एमपी, महाराष्ट्र, छत्तीसगढ़, ओडिशा में 33 ट्रक ड्राइवर-क्लीनर की हत्या करना कबूला था। उसके केस की जांच के लिए एसआईटी का गठन किया गया था। अब तक पुलिस उसके 16 गुनाहों को ही ट्रेस कर पाई है, जो अभी कोर्ट में पेंडिंग हैं। उसे पहली बार किसी मामले में सजा हुई है। एक मामले में वह बरी हो चुका है। एक आम आदमी से सीरियल किलर बने आदेश खांबरा की जुर्म की दास्तां चौंकाती है। रिटायर्ड फौजी पिता के क्रूर व्यवहार से निर्दयी बना आदेश खांबरा (50) भोपाल से करीब 25 किलोमीटर इंडस्ट्रियल एरिया मंडीदीप में अपनी पत्नी व तीन बच्चों के साथ रहता था। यहां दर्जी की छोटी सी दुकान चलाया करता था। खांबरा दर्जी के काम में इतना माहिर था कि शरीर को देखकर कपड़े सिल देता था। आदेश के पिता स्व. गुलाब खांबरा फौज से रिटायर हुए थे। बचपन से ही वह अपने बिगड़ैल बेटे आदेश को बेरहमी से पीटते थे। यह सिलसिला उसकी किशोर अवस्था तक जारी रहा। पिता के व्यवहार के कारण वह अपनी दर्जी की दुकान भी एक जगह स्थायी तौर पर नहीं चला पाता था। इससे उसके दिल में निर्दयता बढ़ती गई।
’ मंडीदीप व्यावसायिक क्षेत्र होने से इस एरिया में कई राज्यों के लोग ट्रांसपोर्ट के काम में आया-जाया करते हैं, इसलिए आदेश के ग्राहकों में कई अन्य राज्यों के भी थे। साल 2010 में किसी ग्राहक के जरिए आदेश की मुलाकात एक शख्स से हुई। जो उत्तर प्रदेश के झांसी का था। दो तीन मुलाकातों के बाद इस शख्स ने आदेश से कहा ज्यादा पैसे कमाना चाहो तो कभी मिलना। इस आदमी से मिलकर आदेश को कुछ शक तो हो गया था कि यह आदमी किसी किस्म के अपराध में शामिल हो सकता है। फिर आदेश ने उसके बारे में सोचना छोड़ दिया। ’ इधर, 38 साल के आदेश की जिंदगी में कई उलझनें चल रही थीं। उसके बेटे का एक एक्सीडेंट हुआ था, जिसमें वह बुरी तरह घायल हो चुका था और उसका इलाज चल रहा था। बेटे के इलाज के लिए आदेश को बड़ी रकम इधर-उधर से उधार लेकर जुटाना पड़ी थी। ’ अपने कर्ज से परेशान आदेश कभी-कभी हाईवे किनारे शराब पीने जाया करता था। एक रोज जब आदेश इसी तरह शराब पी रहा था तभी उसे वही आदमी दिखाई दिया जो उससे ज्यादा पैसे कमाने की बात कहकर गया था। दोनों की मुलाकात हुई और आदेश ने उससे पूछा कि काम क्या करना होगा? तब उस आदमी यानी बजरंग ने कहा कि काम आसान है। हाईवे पर कई ट्रक ड्राइवर आते-जाते रुका करते हैं। उन्हें बताए हुए अड्डे पर शराब पार्टी करने के लिए फुसलाकर बुलाना होगा।
राजस्थान में सचिन पायलट ने एक बार फिर अपनी ही पार्टी की सरकार पर सवाल खड़े कर दिए हैं। पायलट ने रविवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस बुलाई। उन्होंने कहा, मैंने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत से पूर्व सीएम वसुंधरा राजे के खिलाफ शिकायत की थी, लेकिन गहलोत ने कोई एक्शन नहीं लिया। पायलट इसके विरोध में 11 अप्रैल को जयपुर में शहीद स्मारक पर एक दिन का अनशन करेंगे। उधर, सचिन पायलट के अनशन की घोषणा के बाद कांग्रेस महासचिव और संचार विभाग के प्रमुख जयराम रमेश ने बयान जारी कर सीएम अशोक गहलोत की तारीफ की है। पायलट ने कहा, वसुंधरा सरकार में हुए भ्रष्टाचार पर कार्रवाई नहीं की गई।
45 हजार करोड़ के घोटालों का मुद्दा उठाया था पायलट ने जयपुर में अपने घर पर प्रेस कॉन्फ्रेंस बुलाई थी। उन्होंने कहा, वसुंधरा सरकार के वक्त विपक्ष में रहते हुए हमने 45 हजार करोड़ के घोटालों को लेकर आवाज उठाई थी और यह वादा किया था कि हमारी सरकार आएगी तो इन घोटालों पर निष्पक्ष तरीके से जांच करवाएंगे और दोषियों को सजा देंगे।