इंदौर। 25 वर्षों में मूक-बधिर बच्चों को उनका हक और उनकी देखरेख को लेकर शासन-प्रशासन की मदद से काम किया जा रहा है और इसी के तहत अब मूक-बधिर युवाओं को अच्छी शिक्षा के साथ ही आर्थिक रूप से मजबूत करने और समाज में अपना स्थान स्थापित करने में मदद की जा रही है… और ये काम कर रहा है आनंद मूक-बधिर संस्थान, जहां बच्चे अब दु:खी नहीं, आनंदित हो… अपना भविष्य संवार रहे हैं।
संस्थान संचालक ज्ञानेंद्र पुरोहित का कहना है- मध्यप्रदेश की आर्थिक राजधानी इंदौर में स्थित यह संस्थान द्वारा प्रदेश के 1000 से अधिक बच्चों को कम्प्यूटर डी एग्जाम की तैयारी आॅन लाइन और आॅफ लाइन तरीके से कराई जा रही है, ताकि मूक-बधिर और अशक्त युवा आर्थिक रूप से मजबूत बनकर समाज में अपना स्थान स्थापित कर सकें।
पुरोहित ने कहा- प्रदेश में सरकार द्वारा आसक्त और मूक-बधिर बच्चों और युवाओं के लिए कई तरह की योजनाएं संचालित की जा रही हैं, लेकिन आनंद मूक-बधिर संस्थान द्वारा कई ऐसे कार्य किए गए हैं, जो कि एक मिसाल बनकर समाज के बीच में पेश हुए हैं… और इसी के तहत यह संस्थान मूक-बधिर बच्चों के लिए लगातार काम करत्े आ रहा है। 25 वर्षों में इस क्षेत्र में यह संस्थान लगा हुआ है।
समस्या पर मिलती हैै मदद
पुरोहित ने कहा- प्रदेश स्तर पर आॅन लाइन और आॅफ लाइन कॉम्पीटिटिव एग्जाम के लिए क्लास का संचालन प्रतिदिन किया जा रहा है, जिसमें 1000 से अधिक बच्चे सम्मिलित होते हैं और उन्हें विभिन्न विषयों का ज्ञान देने के साथ ही यदि उन्हें कम्प्यूटर की एग्जाम में किसी तरह की कोई समस्या आती है तो उन्हें मदद की जाती है। इन मूक-बधिर बच्चों के लिए राज्य से लेकर केंद्र सरकार तक 10% का आरक्षण प्राप्त है और उसी आरक्षण के तहत इन्हें कॉम्पीटिटिव एक्जाम में फॉर्म भरवाए जाते हैं। फिलहाल कई बच्चे ऐसे हैं, जो कि तैयारी कर रहे हैं।
‘खास’ के लिए आगे
आए दंपति
संस्थान द्वारा 25 वर्षों से लगातार मूक-बधिरों के लिए काम किया जा रहा है। दोनों ही दंपति (पति-पत्नी) साथ में मिलकर इस संस्था को संचालित कर रहे हैं। इन बच्चों को बैंक, पटवारी सहित एमपीपीएससी और यूपीपीएससी की भी एग्जाम दिलवाई जा रही है। साइन लैंग्वेज में पढ़ाई कराई जा रही है। 6 का आरक्षण मध्यप्रदेश, 4 का आरक्षण भारत सरकार से इन बच्चों को मिलता है। देखा जाए तो नॉर्मल बच्चों के लिए काफी सारी कोचिंग संचालित होती हैं, लेकिन ‘खास’ के लिए नहीं… और इसी कारण से इस संस्था द्वारा यह कोचिंग संचालित की जा रही है। बुलबुल पांजरे नामक युवती आज नर्स की नौकरी कर रही हैं। हम चाहते हैं कि वह भी एक सरकारी नौकरी में आए और इसीलिए उसे भी इस कोचिंग से जोड़ा गया है। आने वाले समय में यह बच्चे प्रदेश सहित देश की विभिन्न संस्थाओं में अच्छे पदों पर नौकरी करेंगे और अपना जीवनयापन आगे बढ़ाते हुए समाज की मुख्यधारा से जोड़ना ही केवल एकमात्र इस संस्था का उद्देश्य है।