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मिस वर्ल्ड प्रतियोगिता पर विवाद: तेलंगाना में आयोजन को लेकर सियासी तूफान की वजह क्या, कांग्रेस क्यों घिरी?

दरअसल, तेलंगाना की प्रमुख पार्टी भारतीय राष्ट्र समिति (बीआरएस) और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने मिस वर्ल्ड का आयोजन तेलंगाना में कराए जाने को लेकर सवाल उठाए हैं। जहां सत्तासीन कांग्रेस का कहना है कि इस आयोजन से तेलंगाना वैश्विक नक्शे पर अपनी जगह बनाने में कामयाब रहेगा, वहीं विपक्ष का कहना है कि राज्य पहले ही आर्थिक समस्याओं से जूझ रहा है। सरकार को पहले ही सरकारी कर्मियों की तनख्वाह देने और अहम खर्चे उठाने में मुश्किलें आ रही हैं, लेकिन कांग्रेस मिस वर्ल्ड के भव्य आयोजन के लिए भारी-भरकम रकम खर्च करने के लिए तैयार है।    

तेलंगाना सरकार मिस वर्ल्ड प्रतियोगिता को राज्य में पर्यटन को बढ़ावा देने का अहम जरिया बताती रही है। मंगलवार को ही मौजूदा मिस वर्ल्ड क्रिस्टीना पिस्जकोवा ने तेलंगाना टूरिज्म का प्रचार करते हुए यदागिरीगुट्टा श्री लक्ष्मी नरसिम्हा स्वामी मंदिर के बाहर अलग-अलग जगहों पर गुलाबी साड़ी में फोटो खिंचवाईं। इस पोस्ट में क्रिस्टीना ने लिखा, “यदागिरी गुट्टा मंदिर में आने से मुझे खुशी और शांति मिली। और यह सिर्फ शुरुआत है। मैं तेलंगाना और इसके छिपे हुए खजाने को देखने का इंतजार नहीं कर सकती।”

मिस वर्ल्ड प्रतियोगिता पर सियासत क्यों शुरू हो गई?
तेलंगाना में मिस वर्ल्ड प्रतियोगिता के आयोजन पर बीआरएस के कार्यकारी अध्यक्ष केटी रामा राव (केटीआर) ने सबसे पहले मुख्यमंत्री रेवंत रेड्डी के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार की आलोचना की। उन्होंने तेलंगाना सरकार पर एक ब्यूटी पेजेंट के लिए 200 करोड़ रुपये आवंटित करने के फैसले पर सवाल उठाए। उन्होंने कहा कि पेंशन के भुगतान, सरकारी कर्मियों की तनख्वाह, कल्याणकारी योजनाओं के लिए वित्तीय प्रबंधन में लगातार देरी हो रही है और ‘जनता के पैसे’ को ब्यूटी कॉन्टेस्ट में लगाया जा रहा है।

कांग्रेस सरकार हमें यह मनवाना चाहती है कि तेलंगाना में सबकुछ ठीक है। जाहिर तौर पर उनके हिसाब से निवेश लगातार आ रहा है। कृषि क्षेत्र बढ़ रहा है। कल्याणकारी योजनाएं उच्चतम स्तर पर हैं और मुख्यमंत्री दिन में 18 घंटे काम कर रहे हैं। 

जिस मामले में कांग्रेस ने बिठाई केटीआर के खिलाफ जांच, उस पर क्या बोले?
इतना ही नहीं केटीआर ने तेलंगाना सरकार पर पाखंड करने का आरोप भी लगाया। उन्होंने मिस वर्ल्ड प्रतियोगिता की तुलना अपनी सरकार के दौरान कराई गई फॉर्मूला-ई रेस से की, जो कि वैश्विक मोटरस्पोर्ट इवेंट के तौर पर प्रचारित किया गया था। कांग्रेस ने बाद में इस रेस के आयोजन में ज्यादा वित्तीय खर्च का हवाला देते हुए इसे रद्द कर दिया था।

केटीआर ने कहा, “अगर फॉर्मूला-ई रेस को पैसों की बर्बादी कहा गया, तो अब एक ब्यूटी कॉन्टेस्ट पर उसके मुकाबले चार गुना खर्च कैसे न्यायसंगत हो गया? हैदराबाद में ई-रेस के लिए 46 करोड़ रुपये खर्च करना गलत था और इसके चलते मुझ पर केस दर्ज किए जा रहे हैं। लेकिन मिस वर्ल्ड के लिए 200 करोड़ खर्च करना ठीक है। यह कैसा भ्रष्ट तर्क है?” 

गौरतलब है कि फॉर्मूला-ई रेस को लेकर केटीआर पर कांग्रेस सरकार ने जांच बिठाई है। उनके खिलाफ आर्थिक अनियमितता के आरोप में भ्रष्टाचार रोधी ब्यूरो (एसीबी) की जांच चल रही है। केटी रामा राव ने कांग्रेस नेता राहुल गांधी को चुनौती देते हुए इस पर जवाब मांगा।

विपक्ष ने चुनावी वादों को लेकर कांग्रेस को घेरा
गौरतलब है कि बीआरएस लगातार राज्य की कांग्रेस सरकार को वित्तीय योजनाओं के मसले पर घेर रही है। विपक्ष का आरोप है कि कांग्रेस ने 2023 के चुनावी अभियान के दौरान वादे किए थे, वह उन्हें पूरा नहीं कर पा रही है। फिर चाहे वह किसानों की कर्ज माफी का वादा हो या लोक कल्याण से जुड़ी योजनाएं। बीआरएस का कहना है कि कांग्रेस सरकार उन कार्यक्रमों को बढ़ावा दे रही है, जिससे लोगों को सीधे तौर पर कोई फायदा नहीं होता। 

इसी मंगलवार को जब तेलंगाना विधानसभा में बजट पेश किया गया, तब बीआरएस के सांसदों ने प्रदर्शन किया था। इस दौरान कुछ सांसद सूखी हुई फसलें लेकर सदन में पहुंचे थे और उन्होंने इसे कांग्रेस-निर्मित सूखा करार दिया था। बीआरएस ने मिस वर्ल्ड प्रतियोगिता के आयोजन का भी विरोध किया था और परेशान किसानों को 25 हजार रुपये प्रति एकड़ के हिसाब से मुआवजा देने की मांग उठाई थी।

कांग्रेस ने कैसे किया पलटवार?
बीआरएस के इन आरोपों पर तेलंगाना के मुख्यमंत्री रेवंत रेड्डी ने पलटवार किया। उन्होंने मिस वर्ल्ड प्रतियोगिता आयोजित करने का बचाव करते हुए राज्य के पूर्व सीएम और बीआरएस नेता के. चंद्रशेखर राव (केसीआर) पर तेलंगाना को दिवालिया करने का आरोप लगाया। रेड्डी ने कहा कि बीआरएस की पूर्व सरकार की वजह से कांग्रेस सरकार को हर महीने कर्ज पर सिर्फ ब्याज के तौर पर 1.53 लाख करोड़ रुपये चुकाने होते हैं। सीएम ने कहा कि अगर इतनी बड़ी रकम बचा ली जाती तो सरकार सबके लिए घर बना सकती थी। किसानों के साथ 70 लाख और लोगों के कर्ज माफ किए जा सकते थे।


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