
सुप्रीम कोर्ट की चेतावनी: सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि सरकारें न्यायाधीश नहीं बन सकतीं। किसी भी कानून व्यवस्था के तहत कार्रवाई करने से पहले उचित प्रक्रिया का पालन किया जाना चाहिए।
बुलडोजर कार्रवाई पर रोक: कोर्ट ने यह स्पष्ट किया कि अवैध निर्माणों को तोड़ने की कार्रवाई राज्य सरकारों द्वारा बिना न्यायिक आदेश के नहीं की जा सकती।
प्राकृतिक न्याय का पालन: सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि किसी भी व्यक्ति को अपनी संपत्ति तोड़े जाने से पहले सुनवाई का अधिकार मिलना चाहिए। यह प्राकृतिक न्याय के सिद्धांत के खिलाफ है, अगर बिना सुनवाई के कार्रवाई की जाती है।
प्रशासनिक फैसले न्यायिक तरीके से किए जाएं: अदालत ने यह भी कहा कि प्रशासन को अपने फैसले लेने में स्वतंत्रता है, लेकिन उसे न्यायिक प्रक्रिया का पालन करना होगा।
अवैध निर्माणों पर कार्रवाई: सुप्रीम कोर्ट ने माना कि अवैध निर्माणों पर कार्रवाई की जरूरत है, लेकिन यह कार्रवाई न्यायिक प्रक्रिया के तहत ही होनी चाहिए, न कि मनमाने तरीके से।
राज्य सरकारों को दी सलाह: सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकारों को यह सलाह दी कि वे अवैध निर्माणों को हटाने के लिए उचित प्रक्रिया अपनाएं और इसे न्यायिक समीक्षा से बचाने के लिए कार्रवाई करें।
दूसरे राज्य की कार्रवाई पर भी ध्यान: कोर्ट ने कहा कि बुलडोजर कार्रवाई से पहले संबंधित व्यक्ति को उचित समय और मौका देना जरूरी है, ताकि वे अपने पक्ष को रख सकें।
सुनवाई का अधिकार: कोर्ट ने यह भी कहा कि जो लोग प्रभावित हो रहे हैं, उन्हें अपनी स्थिति स्पष्ट करने का अवसर मिलना चाहिए।
संविधानिक सिद्धांतों का उल्लंघन नहीं होना चाहिए: सुप्रीम कोर्ट ने संविधानिक सिद्धांतों और मानवाधिकारों का उल्लंघन करने से बचने की आवश्यकता पर बल दिया।
कानूनी प्रक्रिया का पालन: अंत में, सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया कि बुलडोजर जैसी कार्रवाइयों में कानूनी प्रक्रिया का पालन किया जाना चाहिए और इसे न्यायिक आदेश से ही संचालित किया जाना चाहिए।