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नमामि गंगे के लिए नमामि कान्ह जरूरी…

इंदौर। गंगा नदी को साफ करने के लिए केन्द्र सरकार द्वारा नमामि गंगा योजना पर काम किया जा रहा है। 20 हजार करोड़ रुपए के इस प्रोजेक्ट पर साल 2014 में काम प्रारंभ किया गया था और साल 2021 तक गंगा को प्रदूषण मुक्त करने का लक्ष्य था, लेकिन इस लक्ष्य को हासिल नहीं किया जा सका। हजारों करोड़ रुपए खर्च करने के बाद गंगा प्रदूषित की प्रदूषित ही रही। इसके कारणों को खोजा गया तो पता चला कि गंगा की सहायक नदियां जो देश भर से आकर इसमें मिलती है उन्हें भी साफ करना पड़ेगा ताकि उन नदियों का गंदा पानी गंगा में आकर नहीं मिले। आपकों यह जानकार शायद आश्चर्य हो सकता है कि शहर की कान्ह और सरस्वती नदी का पानी गंगा नदी में जाकर मिलता है। कान्ह-सरस्वती और शिप्रा गंगा की सहायक नदियों में शामिल हंै। इसी के चलते नमामि गंगा प्रोजेक्ट के तहत कान्ह- सरस्वती और शिप्रा नदी को साफ करने पर करोड़ों रुपए खर्च किए जा रहे है।

पिछले 10 सालों में कान्ह-सरस्वती को साफ करने पर 1200 करोड़ रुपए खर्च किए जा चुके हैं लेकिन इन दोनों नदियों को साफ नहीं किया जा सका है। अब नमामि गंगा प्रोजेक्ट के तहत कान्ह-सरस्वती और शिप्रा नदी के कायाकल्प पर 603 करोड़ रुपए और खर्च किए जाएंगे। जानकारों के अनुसार शहर की कान्ह-सरस्वती और उज्जैन की शिप्रा नदी गंगा की सहायक नदियां हैं। इंदौर से निकलकर कान्ह-सरस्वती सांवेर के आगे शिप्रा से मिलती है और उज्जैन पहुंचती है। यहां से आगे जाकर शिप्रा चंबल नदी में मिल जाती है। चंबल नदी आगे जाकर यमुना में मिलती है। और यमुना नदी आगे जाकर प्रयागराज में संगम बनकर गंगा में मिल जाती है। इस प्रकार कान्ह-सरस्वती नदी का जुड़ाव गंगा नदी से है। गंगा को साफ करने के लिए इसकी सहायक नदियों को साफ करने के प्रोजेक्ट पर काम किया जा रहा है। इन नदियों में मिलने वाले सीवेज, गंदगी और नालों को रोका जाएगा। जब कान्ह-सरस्वती सहित गांगा की सहायक नदियों को साफ कर लिया जाएगा तभी गंगा प्रदूषण मुक्त होगी।
केन्द्र देगी पैसा, स्थानीय स्तर
पर होगी निगरानी
गंगा की सहायक नदियों कान्ह-सरस्वती और शिप्रा को साफ करने के लिए 603 करोड़ रुपए की राशि केन्द्र सरकार द्वारा दी जाएगी। इसके साथ ही अगले 15 साल तक इस प्रोजेक्ट में लगने वाले अन्य खर्च व मेंटेनेंस की राशि भी केन्द्र सरकार द्वारा ही प्रदान की जाएगी। इस प्रोजेक्ट को क्रियान्वित करने और उसकी निगरानी की जिम्मेदारी स्थानीय नगरीय निकायों की रहेगी।

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