इंदौर के स्टार्टअप ने एक ऐसा ड्रोन तैयार किया है, जो पानी में डूबते हुए पर्यटकों को न केवल डिटेक्ट करेगा, बल्कि उनकी जान भी बचाएगा। इसका उपयोग गोवा के सभी 52 बीच, उप्र के घाटों, उत्तराखण्ड और इंडियन नैवी में किया जा सकेगा। मप्र में भी अब चुनाव के बाद नई सरकार बनने के बाद चर्चा की जाएगी और इसका प्रेजेंटेशन दिया जाएगा। प्रदेश में भी इसका उपयोग हनुवंतिया सहित सभी बड़ी नदियों, तालाबों में आसानी से किया जा सकेगा।
नव-रक्षक नाम का यह ड्रोन इंदौर की पिसार्व टेक्नोलॉजीस कंपनी ने तैयार किया है। कंपनी के फाउण्डर और चीफ टेक्निकल आॅफिसर अभिषेक मिश्रा व चीफ पीपुल आॅफिसर (उढड) रोशनी शुक्ला (मिश्रा) का दावा है कि यह भारत ही नहीं, बल्कि वर्ल्ड का सबसे पहला आर्टिफिशयल इंटेलिजेंस इनेबल ड्रोन है। आमतौर पर दूसरे ड्रोन उड़ते हैं, लेकिन इस ड्रोन के साथ आॅन बोर्ड कम्प्यूटर भी है, जो साथ में उड़ता है। यह ड्रोन समुद्र में, नदी में, तालाब आदि में कोई डूब रहा है तो आॅटोमैटिक उसे डिटेक्ट कर लेगा। इस दौरान वहां बेस्ड स्टेशन पर अलार्म बजेगा। डिटेक्ट करने के अलावा इसमें एक और सुविधा है कि जब कोई डूबता है तो यह संबंधित के ऊपर जाकर लाइफ सेविंग जैकेट गिरा देगा। ऐसे में डूबता हुआ व्यक्ति उस जैकेट की मदद से करीब एक घंटे तक पानी में आराम से तैर सकता है और उसकी जान बच जाएगी।
न्यूज में नाव पलटते देखी तो क्लिक हुआ आइडिया – रोशनी शुक्ला (मिश्रा) ने बताया कि कुछ माह पहले टीवी पर एक न्यूज देखी जिसमें उप्र में नदी में नाव को पलटते दिखाया गया था। तब इसमें सवार लोगों को मशक्कत के बाद बचा लिया गया था। इसके बाद से दिमाग में ऐसा ड्रोन तैयार करने का आइडिया आया। इसके साथ ही और स्टडी की तो पता चला कि देश में हर साल 40 हजार लोगों की डूबने के कारण मौत हो जाती है, जो चौंकाने वाला आंकड़ा है। न्यूज में भी आए दिन ऐसे हादसे देखने-सुनने को मिलते हैं। इसके बाद तो ड्रोन तैयार करने का फैसला ले लिया।
कुंभ मेले में रहेगा उपयोगी – कंपनी के (उळड) अभिषेक मिश्रा ने बताया कि उक्त ड्रोन का उपयोग गोवा के बीचेस के लिए काफी उपयोगी है। इसके लिए वहां की सरकार से बात हुई है जिस पर सैद्धांतिक सहमति बन गई है। वहां सभी 52 बीचेस पर इसका इंस्टालेशन किया जाएगा। इसी तरह गुजरात के कोस्टल एरिया, उत्तराखण्ड, उप्र में भी खासकर वाराणसी में जितने भी घाट हैं, उन्हें कवर किया जाना है, जिसके लिए चर्चा चल रही है। प्रारंभिक रूप से यहां भी सहमति बन चुकी है।