दिल्ली में अफसरों की पोस्टिंग-ट्रांसफर पर नियंत्रण से जुड़ा विधेयक मंगलवार को लोकसभा में पेश किया गया। इस पर सदन में विपक्षी नेताओं ने हंगामा किया और शेम-शेम के नारे लगाए। कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी बोले- ये बिल संविधान का उल्लंघन है, सुप्रीम कोर्ट का फैसला बदलने की कोशिश है। अमित शाह ने कहा कि संविधान संसद को दिल्ली के लिए कानून बनाने की अनुमति देता है। बिल के खिलाफ जो बयान दिए जा रहे हैं, वो सिर्फ राजनीतिक हैं, उनका कोई आधार नहीं है। इस बिल का नाम गवर्नमेंट आॅफ नेशनल कैपिटल टेरिटरी आॅफ दिल्ली (अमेंडमेंट) बिल 2023 है। इसे गृह राज्यमंत्री नित्यानंद राय ने सदन में पेश किया। 25 जुलाई को इस अध्यादेश को केंद्रीय कैबिनेट की मंजूरी मिली थी। इसे लेकर आप के राज्यसभा सदस्य राघव चड्ढा ने कहा कि इससे दिल्ली में लोकतंत्र ‘बाबूशाही’ में तब्दील हो जाएगा। सरकार की सारी शक्तियां छीनकर भाजपा के नियुक्त किए गए एलजी को दे दी जाएंगी।
20 जुलाई से एक दिन भी सदन पूरे समय नहीं चला
मणिपुर हिंसा के मुद्दे पर संसद में विपक्ष और सरकार के बीच रोज हंगामा हो रहा है। इसकी वजह से 20 जुलाई से शुरू हुआ मानसून सत्र एक भी दिन ठीक से नहीं चल पाया। अनुमान है कि इस अवधि में करीब 10 करोड़ का नुकसान हो चुका है। सदन की एक दिन की कार्रवाई पर करीब 1 करोड़ रुपए खर्च होते हैं। सरकार और विपक्ष में समन्वय बन जाता तो संसद में गतिरोध की स्थिति नहीं बनती। विपक्ष और सरकार दोनों एक-दूसरे को इसके लिए जिम्मेदार ठहरा रहे हैं।
 
								