कलर्स चैनल के पहले सुपरहिट धारावाहिक ‘बालिका वधू’ की आनंदी यानी अविका गौर ने प्रिंट विज्ञापन से शुरुआत करके वाया साउथ सिनेमा अब हिंदी सिनेमा में कदम रखा है। उनकी पहली हिंदी फिल्म ‘1920 हॉरर्स ऑफ द हार्ट’ को बॉक्स ऑफिस पर संतोषजनक प्रतिसाद मिला है। एक कम बजट की फिल्म के हिसाब से इसका कलेक्शन भी इसके निर्माता अच्छा मान रहे हैं। 30 जून 1997 को मुंबई में जन्मी अविका गौर ने अपने जन्मदिन पर ‘अमर उजाला’ से ये खास बातचीत की।
हॉरर फिल्मों को लेकर विक्रम भट्ट का एक अलग ही नजरिया रहा है। अपनी पहली हिंदी फिल्म के लिए ये फिल्म चुनने की वजह क्या रही?
इस फिल्म के लिए मुझे विक्रम भट्ट जी का फोन आया। फोन पर ही उन्होंने कहानी सुनाई और कहा कि आपके साथ यह फिल्म करनी है। मुझे इतना बड़ा मौका बिना फिल्मी पृष्ठभूमि के। मेरा उनसे यही सवाल था कि मैं ही क्यों? उन्होंने कहा कि मुझे पता कि तुम ही यह रोल कर सकती हो। फिल्म को अच्छा रिस्पांस मिल रहा है। मैं खुद भी थियेटर में जाकर रिस्पांस देख रही हूं। कुछ बड़ी फिल्में आगे पीछे थी, फिर भी मेरी फिल्म को लोग पसंद कर रहे हैं। कोविड के बाद ऐसा रिस्पॉन्स मिलना बहुत बड़ी बात है।
आपने चाइल्ड आर्टिस्ट के तौर पर करियर की शुरुआत की, पहला मौका कब मिला?
एक बार मैं मुलुंड (मुंबई के पास का उपनगर) में अपने डांस क्लास के तरफ से परफॉर्म करने गई थी वहां मुझे एक कास्टिंग एजेंट ने देखा और मेरे पापा समीर गौर से बात की। अगले दिन मेरी फोटो मांगी गई और अगले दिन ही मुझे फोटोशूट पर बुला लिया गया। शूट पर जाने के बाद पता चला था कि सचिन पिलगांवकर और सुप्रिया पिलगांवकर के साथ एक बैंक के विज्ञापन के लिए प्रिंट ऐड शूट करना है।